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सावधान! एक्सपायर्ड रसोई गैस सिलिंडर बरपा सकते हैं कहर Jamshedpur News

यदि आप घर में रसोई गैस सिलिंडर इस्तेमाल कर रहे हैं तो सावधान हो जाइए। क्योंकि इसकी भी एक जीवन अवधि (एक्सपायरी डेट) होती है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 03:41 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 03:41 PM (IST)
सावधान! एक्सपायर्ड रसोई गैस सिलिंडर बरपा सकते हैं कहर Jamshedpur News
सावधान! एक्सपायर्ड रसोई गैस सिलिंडर बरपा सकते हैं कहर Jamshedpur News

जमशेदपुर, विश्वजीत भट्ट। यदि आप घर में रसोई गैस सिलिंडर इस्तेमाल कर रहे हैं तो सावधान हो जाइए। क्योंकि, इसकी भी एक जीवन अवधि (एक्सपायरी डेट) होती है। यदि इस मियाद के बाद गैस सिलिंडर का इस्तेमाल हो तो यह बेहद खतरनाक हो सकता है। एक्सपायर्ड गैस सिलिंडर कहर बरपा सकते हैं।

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पूरे पूर्वी सिंहभूम जिले में हर महीने लगभग दो लाख 25 हजार रसोई गैस सिलिंडर आते हैं। यदि इनमें से 10 सिलिंडर भी एक्सपायर्ड आ गए तो बड़ा हादसा होना निश्चित है। जिले में अपनी मियाद पूरी कर चुके गैस सिलिंडर आ रहे हैं या नहीं, इसकी जांच करने की कोई मशीनरी ही नहीं है। जांच की पूरी की पूरी जिम्मेदारी ऑयल कंपनियां पर ही है। अब यह भी जांच का बड़ा मुद्दा है कि ऑयल कंपनियां तय समय पर सिलिंडरों की जांच कर रहीं हैं या नहीं। हालांकि कंपनियों के नोडल अधिकारी का यह दावा है कि तय समय पर हर हाल में सिलिंडरों की जांच की जाती है।

हर 10 साल पर सिलिंडरों की जांच का दावा 

ऑयल कंपनियों के नोडल अधिकारी यह दावा करते हैं कि हर 10 साल पर गैस सिलिंडरों की स्थिति की जांच तीनों ऑयल कंपनियां अपने-अपने प्लांट में करती हैं। वैसे माना जाता है कि एक गैस सिलिंडर की मियाद लगभग 25 साल होती है।

जिले में हर माह आते हैं दो लाख 25 हजार सिलेंडर 

 पूरे जिले में इंडियन ऑयल कारपोरेशन, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम की कुल 43 गैस एजेंसियां हैं। जिले में रसोई गैस के कुल चार लाख 52 हजार 203 उपभोक्ता हैं। इनमें से मात्र दो लाख 25 हजार उपभोक्ता ही हर महीने गैस सिलिंडर भरवाते हैं।

कोड से जान सकते हैं जांच हुई या नहीं

हर गैस सिलिंडर में ए, बी, सी व डी के साथ दो अंकों का एक कोड लिखा होता है। इससे पता चलता है कि सिलिंडर की जांच कब होनी है। ए का मतलब साल की पहली तिमाही, बी माने दूसरी तिमाही, सी मतलब तीसरी तिमाही और डी का मतलब चौथी तिमाही। दो अंकों का मतलब होता है जांच का वर्ष। इससे साफ समझ में आ जाएगा कि सिलिंडर की जांच किस साल के किस तिमाही में होनी निश्चित है। सलिंडर फटने के कारण हुए हादसे में यदि किसी का निधन हो जाता है तो ऑयल कंपनी की ओर से कराए गए बीमा से उपभोक्ता को छह लाख रुपये मुआवजा देने का प्रावधान है। हादसे में यदि कोई घायल होता है तो उसकी स्थिति के मुताबिक मुआवजा मिलता है।

ये कहते अधिकारी

सिलिंडरों की तय समय पर जांच की जिम्मेदारी तीनों ऑयल कंपनियों की है। वे जांच भी करती हैं। पूर्वी सिंहभूम जिले में सिलिंडरों की जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। वैसे वितरक प्री डिलिवरी जांच भी करते हैं।

-रजत सिंह, तीनों ऑयल कंपनियों के नोडल अधिकारी

केस 1

चार अगस्त 2017 को एलपीजी सिलेंडर फटने से सीतारामडेरा के देवनगर पटेल आश्रम में 20 मकान जलकर राख हो गए थे और दो व्यक्ति झुलस गए थे।

केस 2

28 अक्टूबर 2017 को टेल्को न्यू मार्केट में वेल्डिंग दुकान में अचानक गैस सिलेंडर फट गया था। इसमें टेल्को बारीनगर निवासी मैकेनिक मो. एकराम घायल हो गया था।

केस 3

लोहरदगा के भंडरा थाना क्षेत्र के छापर टोली गांव में आठ जून 2019 को रसोई गैस सिलेंडर फटने से एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई थी।


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