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जीएसटी को व्यावसायिक संगठन कैट ने दिया नया नाम, आप भी जानिए

GST. व्यवसायी संगठन कैट ने जीएसटी को घनो सारो मुकदमेबाजी के रूप में नया नाम दिया है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया का कहा है कि चार वर्षों के अंतराल में जीएसटी कर प्रणाली सबसे जटिल कराधान प्रणाली के रूप में उभरी है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 19 Feb 2021 05:53 PM (IST)Updated: Sat, 20 Feb 2021 09:41 AM (IST)
जीएसटी को व्यावसायिक संगठन कैट ने दिया नया नाम, आप भी जानिए
कैट के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया की फाइल फोटो।

जमशेदपुर, जासं। कंफडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के सरलीकरण के लिए देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की है। कैट के पदाधिकारियों का तर्क है कि जब देश में जीएसटी को प्रभावी किया गया था तब केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया था कि यह बहुत ही सरल कानून है लेकिन कैट के अनुसार यह व्यवसायियों के लिए अब जी का जंजाल बन गया है।

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ऐसे में व्यवसायी संगठन कैट ने जीएसटी को घनो सारो मुकदमेबाजी के रूप में नया नाम दिया है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया का कहा है कि क्योंकि चार वर्षों के अंतराल में जीएसटी कर प्रणाली एक सबसे जटिल कराधान प्रणाली के रूप में उभरी है और वास्तव में अब इसे घनो सारो मुकदमेबाजी कर के रूप में कहा जा रहा है। यह देश में एक बेहतर और सरल कर के जरिये व्यापार को सुचारू रूप से चलाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कल्पना के बिलकुल विपरीत एवं जटिल है। चार वर्षों में जीएसटी नियमों में अब तक किए गए लगभग 950 संशोधन स्वयं बयां कर रहे हैं कि जीएसटी परिषद भी प्रणाली की स्थिरता के बारे में आश्वस्त नहीं है। लेकिन यह व्यापारियों से उम्मीद करता है कि वे जीएसटी के प्रावधानों का निर्बाध तरीके से अनुपालन करें अन्यथा जीएसटी रेजिस्ट्रेशन रद्द हो सकता है। इनपुट क्रेडिट से हाथ धोना पड़ सकता है और दंड भी भुगतना पड़ सकता है।

बंद ही एकमात्र विकल्प

ऐसी निराशाजनक स्थिति में कैट ने आगामी 26 फरवरी को भारत व्यापार बंद का आह्वान किया है, जिसे देश के व्व्यापारी एवं अन्य संगठनों का मज़बूत एवं खुला समर्थन मिल रहा है। कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एवं ज़ीएसटी काउंसिल से मांग की है कि जीएसटी की समग्र समीक्षा कर इसे सरल और युक्तिसंगत कर प्रणाली बनाया जाए। सुरेश सोंथालिया ने का कहना है कि परिषद हमेशा यह दावा करती है कि जीएसटी एक सरलीकृत कराधान प्रणाली है। यदि वास्तव में ऐसा है तो हम सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को आमंत्रित करते है जो कि जीएसटी परिषद के सदस्य भी हैं। वो किसी भी सार्वजनिक मंच पर किसी बाहरी मदद के जीएसटी रिटर्न फॉर्म भर कर दिखाएं। इससे जीएसटी कर प्रणाली का सरलीकरण एवं की जटिलताओं के बारे में सच्चाई अपने आप सामने आ जाएगे। इससे उन्हें जीएसटी की जटिलता का एहसास होगा।


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