रंकिनी मंदिर के संस्थापक के जन्मदिन पर जले दीये
प्राचीन रंकिनी मंदिर के पुन संस्थापक सह मुख्य पुजारी बाबा विनय दास के 105 वर्ष पूरे होने पर रविवार को भक्तों ने गुरु वंदना के साथ धूमधाम से पुजारी बाबा का जन्मदिन मनाया..
संवाद सूत्र, गालूडीह : प्राचीन रंकिनी मंदिर के पुन: संस्थापक सह मुख्य पुजारी बाबा विनय दास के 105 वर्ष पूरे होने पर रविवार को भक्तों ने गुरु वंदना के साथ धूमधाम से पुजारी बाबा का जन्मदिन मनाया। इस अवसर पर अमृतवाणी, सत्संग व भक्तों ने 1500 दीप प्रज्जवलित कर बाबा विनय दास को शुभकामनाएं दी और आशीर्वाद लिया। भक्तों ने वस्त्र देकर बाबा विनय दास को सम्मानित किया। जन्म दिन पर कई भक्तों ने बाबा से दीक्षा ग्रहण किया। कीर्तन कर रहे मंडली को भी भक्तों ने वस्त्र दान किया। इस उपलक्ष्य में आयोजित भंडारे में सैकड़ों लोग शामिल हुए। मौके पर जगदीश भकत, शिपु शर्मा, खुदीराम महतो, झूमा दास, पुष्पा देवी, राजश्री भकत, दीप शिखा भकत, सुकलाल हांसदा, मुकेश कर्मकार, अशोक गुप्ता आदि शामिल थे।
गमछा बाबा के नाम से भी जाने जाते है विनय दास बाबा : गालूडीह प्राचीन रंकिनी मंदिर के पुन: संस्थापक सह मुख्य पुजारी बाबा विनय दास क्षेत्र में गमछा बाबा के नाम से भी प्रचलित है। चूंकि बाबा किसी भी मौसम में अंग वस्त्र के रूप में सिर्फ गमछा ही पहनते हैं। गमछा से ही शरीर भी ढंकते हैं। भक्त जगदीश भकत ने बताया कि बाबा मूलत: पश्चिम बंगाल के बांकुड़ृा से 1948 में गालूडीह आए थे। उस दौरान अंग्रेज शासक ने मंदिर में ताला जड़ दिया था। बाबा विनय दास प्रतिदिन क्षेत्र के 11 परिवारों से भिक्षा मांगकर गुजारा किया करते थे। बाबा का ईश्वर पर आस्था देख ग्रामीणों ने उन्हें मंदिर बंद होने की जानकारी दी। वर्ष 1951 में ग्रामीणों के सहयोग से पुन: मां रंकिनी की मंदिर की स्थापना की गई। विनय दास बाबा ने घोषणा करते हुए कहा था कि अब वे वस्त्र के नाम पर सिर्फ गमछा का ही उपयोग करेंगे। तब से भक्त बाबा विनय दास को गमछा बाबा के नाम से भी पुकारने लगे।