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अविवाहित पर्वतारोही बछेंद्री को पुस्तक में बताया विवाहित

शहर के साकची स्थित रवीद्र भवन परिसर में चल रहे जमशेदपुर पुस्तक मेले में जो किताबें बिक रही हैं, उनमें कुछ ऐसी भी हैं जिनमें गलत तथ्यों की भरमार है।

By Edited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 02:16 AM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 03:00 AM (IST)
अविवाहित पर्वतारोही बछेंद्री को पुस्तक में बताया विवाहित
अविवाहित पर्वतारोही बछेंद्री को पुस्तक में बताया विवाहित

जमशेदपुर [ वीरेंद्र ओझा]।  शहर के साकची स्थित रवीद्र भवन परिसर में चल रहे जमशेदपुर पुस्तक मेले में जो किताबें बिक रही हैं, उनमें कुछ ऐसी भी हैं जिनमें गलत तथ्यों की भरमार है। एक ऐसी ही एक किताब राही प्रकाशन के स्टॉल पर भी है। अंतरराष्ट्रीय व्यक्ति कोष नामक इस पुस्तक के पृष्ठ संख्या 358 में एवरेस्ट विजेता पर्वतारोही बछेंद्री पाल का परिचय दिया गया है।

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इसमें लिखा गया कि बछेंद्री पाल का विवाह संतोष यादव के साथ हुआ है, जबकि बछेंद्री अविवाहित हैं। यही नहीं, शायद लेखक को यह भी पता नहीं है कि एवरेस्ट विजेता पर्वतारोही संतोष यादव भी महिला हैं। बछेंद्री के परिचय में लिखा गया है कि वे लंबे समय तक अध्यापन से जुड़ी थीं और पर्वतारोहण में इनकी रुचि थी। हालांकि इसमें यह लिखा है कि बछेंद्री पाल फिलहाल टाटा स्टील से जुड़ी हैं, जहां पर्वतारोहियों को प्रशिक्षित करती हैं।

अध्यापन से जुड़ी जानकारी भी गलत

बछेंद्री पाल के अध्यापन से जुड़ा तथ्य भी गलत है। उन्होंने बीएड किया था, लेकिन जब किसी स्कूल में सम्मानजनक नौकरी नहीं मिली, तो उन्होंने उत्तरकाशी के पर्वतारोहण प्रशिक्षण संस्थान में दाखिला ले लिया था। ज्ञात हो कि उत्तराखंड की मूल निवासी बछेंद्री पाल एवरेस्ट फतह करने वाली विश्व की पांचवीं महिला हैं, जबकि रेवाड़ी (हरियाणा) की संतोष यादव दो बार एवरेस्ट फतह करने वाली विश्व की प्रथम महिला हैं। उन्होंने मई 1992 और मई 1993 में दूसरी बार एवरेस्ट फतह किया था। लेखक या प्रकाशक को शायद यह भी मालूम नहीं है कि संतोष यादव का विवाह 1992 में उत्तम कुमार लाल से हुआ था।

स्टाल संचालक को कोई मतलब नहीं

जब स्टाल संचालक का ध्यान इस बात पर दिलाया गया, तो उनका कहना था कि उन्हें इससे मतलब नहीं है कि किताब में क्या छपा है। जिसे तथ्य पर आपत्ति है, वह प्रकाशक पर मुकदमा करे। यदि चाहेंगे तो प्रकाशक का पता उपलब्ध कराने को तैयार हैं। जब उनसे कहा गया कि इसका मतलब तो यह है कि इस प्रकाशन की अन्य किताबों में भी इसी तरह की लापरवाही बरती गई होगी, तो उनका जवाब था 'पता नहीं'। उन्हें इससे पहले किसी ने इसके बारे में नहीं बताया। वह मेला से लौटने के बाद प्रकाशन प्रबंधन को इस बारे में सूचित करेंगे।


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