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happy birthday rajni: धूमधाम से मना हथिनी का जन्मदिन, कटा 20 पाउंड का केक

सात अक्टूबर को रजनी का जन्मदिन है। वैसे तो रजनी 68 साल की है, लेकिन यह उसका 9वां जन्मदिन समारोह था।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 07 Oct 2018 01:20 PM (IST)Updated: Sun, 07 Oct 2018 01:20 PM (IST)
happy birthday rajni:  धूमधाम से मना हथिनी का जन्मदिन, कटा 20 पाउंड का केक
happy birthday rajni: धूमधाम से मना हथिनी का जन्मदिन, कटा 20 पाउंड का केक

जमशेदपुर (जेएनएन)। केक कटे, लोगों ने हैप्पी बर्थ डे टू यू रजनी बोला और फिर केक बांटे गए। मौका था पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर से सटे सरायकेला-खरसावां जिले के दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में पाली गई हथिनी रजनी के जन्मदिन का। सात अक्टूबर को रजनी का जन्मदिन है। वैसे तो रजनी 68 साल की है, लेकिन यह उसका 9वां जन्मदिन समारोह था। पिछले नौ साल से रजनी दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में रह रही है, जहां उसका जन्मदिन मनाया जा रहा है। 

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हाथियों के लिए संरक्षित है दलमा

हाथियों के लिए संरक्षित दलमा में पालतू हाथी रजनी के जन्मदिन के लिए 20 पाउंड के केक का ऑर्डर दिया गया था। दलमा के मकुलाकोचा में केक कटिंग समारोह में वन विभाग के वरीय पदाधिकारी उपस्थित रहे। पूरे धूमधाम से समारोह आयोजित किया और रजनी को भी केक खिलाया गया। दलमा के रेंजर आरपी सिंह ने बताया कि रजनी का जन्म दिन पूर्व से मनाया जा रहा है। यह खुशी की बात है। इससे लोगों में एक अच्छा संदेश जाता है कि जब हम अपने बच्चों का जन्म दिन मना सकते हैं तो जंगली जानवर का क्यों नहीं। रजनी के जन्मदिन मनाने का वन विभाग का खास मकसद है। वन विभाग यह संदेश देना चाहता है कि जानवर भी पृथ्वी के लिए महत्वपूर्ण हैं और उनका भी अपना महत्व है। इसी संदेश को ध्यान में रख जन्मदिन मनाया जा रहा है। 

सिर्फ दलमा में है चलन

 

किसी भी अभ्यारण्य में हाथी का जन्म दिन नहीं मनाया जाता है। सिर्फ दलमा में यह चलन शुरू किया गया है। कोशिश है कि इससे दूसरे भी सीख लें और जानवरों की संरक्षा व सुरक्षा के संदेश देने के लिए इसे आत्मसात करें। 

झुंड से बिछड़ गई थी रजनी

 झुंड में रहने वाली मादा हाथी रजनी साथी हाथियों के झुंड से बिछड़ कर सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल के समीप एक गड्ढे में जा फंसी थी। उसे घायलावस्था में निकालकर टाटा जू लाया गया था, जहां काफी दिनों तक रजनी का इलाज हुआ। जब रजनी ठीक हो गई तो उसे दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी को सौंप दिया गया। दलमा के मकुलाकोचा में बकायदा इस मादा हाथी का नामकरण रजनी के रूप में किया गया था। उसी समय से रजनी का जन्मदिन धूमधाम से मनाया जाने लगा। 


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