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तीस हजार की बाइक छुड़ानी है तो चुकाने होंगे 86,400

गुरदीप राज, जमशेदपुर : यदि आपने रेलवे से कोई पार्सल मंगवाया है तो जल्द से जल्द उसे छुड़ाकर ल

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 11:27 PM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 11:27 PM (IST)
तीस हजार की बाइक छुड़ानी है तो चुकाने होंगे 86,400
तीस हजार की बाइक छुड़ानी है तो चुकाने होंगे 86,400

गुरदीप राज, जमशेदपुर : यदि आपने रेलवे से कोई पार्सल मंगवाया है तो जल्द से जल्द उसे छुड़ाकर ले जाएं। लेटलतीफी इतनी महंगी पड़ सकती है कि आपको अपना सामान फ्री में छोड़ देने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। इसका नमूना देखना हो तो टाटानगर व चक्रधरपुर पार्सल विभाग में पिछले तीन वर्षो से खड़ी नौ बाइक हैं जिन्हें उनके मालिकों ने इसलिए ले जाने से इंकार कर दिया। क्योंकि विलंब के लिए बाइक की अनुमानित कीमत से तीन गुना जुर्माना भरना पड़ेगा। नतीजा टाटानगर के पार्सल कार्यालय में आठ व चक्रधरपुर के पार्सल कार्यालय में एक बाइक खड़ी है, लेकिन इसे ले जाने से वाहन मालिकों ने इंकार कर दिया है क्योंकि बाइक की कीमत से अधिक रकम देरी से बाइक पार्सल विभाग से छुड़ाने का जुर्माना लग रहा है। पार्सल विभाग में पिछले तीन वर्ष से ये बाइक यूं ही खड़ी हैं।

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लगातार बढ़ता जा रहा बोझ : कुल नौ बाइक की कीमत करीब 2 लाख 70 हजार रुपये (प्रति बाइक 30 हजार) आंकी गई है। इन बाइकों को छुड़ाने के लिए जुर्माने की रकम करीब 23 लाख 32 हजार रुपये चुकानी होगी तभी बाइक मालिकों को मिल पाएगी। बाइक मालिक बाइक को पार्सल विभाग से ले जाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।

12 घंटे बाद 10 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से लेट फाइन : टाटानगर पार्सल विभाग के अधिकारी के अनुसार पार्सल विभाग में अगर बाइक को ट्रेन से उतार लिया गया हो तो 12 घंटे के अंदर बाइक को ले जाने का कोई चार्ज नहीं देना होगा, लेकिन अगर 12 घंटे के बाद बाइक लेने बाइक मालिक आते हैं तो उन्हें प्रतिघंटा 10 रुपये लेट फाइन की रकम चुकानी होगी। इसी तरह 50 किलो वजन वाले सामान पर एक रुपये प्रति घंटा के हिसाब से जुर्माना, एक क्विंटल भार वाले सामान के लिए दो रुपये प्रति घंटा जुर्माना वसूला जाता है।

एनओसी नहीं मिलने से अटका मामला : इन बाइकों की नीलामी की प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए रेलवे ने एनओसी देने के लिए डीटीओ कार्यालय में कई बार पत्राचार किया, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला। अब रेलवे के लिए समस्या यह है कि इन बाइक का आखिर वह क्या करे। हालांकि जल्द ही पुन: डीटीओ से मिलकर आगे का रास्ता निकालने की बात कही जा रही है। टाटानगर में आंध्र प्रदेश, राजस्थान, चंडीगढ़ व झारखंड राज्य से किए गए रजिस्ट्रेशन वाली बाइक खड़ी हैं।

वाहन मालिकों को जाता है एसएमएस : रेलवे ने पार्सल विभाग में एक नई योजना लागू की है जिसके तहत विभाग में पार्सल मैनेजमेंट सिस्टम लगाया गया है। इस सिस्टम के तहत पार्सल में बाइक व अन्य सामान बुक करने वाले के मोबाइल नंबर पर बुक करने से लेकर बाइक को ट्रेन में चढ़ाने व उतारने तक का एसएमएस जाता है।

यह है नियम : पार्सल विभाग में बाइक व अन्य सामान आ जाने के बाद अगर उसका मालिक लेने नहीं आता है तो 21 दिनों के बाद एक सेल नोटिस वाहन मालिक को जारी किया जाता है। सात दिनों बाद पुन: सेल नोटिस भेजा जाता है। यह सेल नोटिस जिस जगह से बाइक को ट्रेन में चढ़ाया गया होगा उक्त स्टेशन को भेजा जाता है। फिर वहां से बाइक के मालिक तक नोटिस जाता है।

पैकिंग सही नहीं हुई तो नहीं मिलेंगे इंश्योरेंस के रुपये : पार्सल विभाग में जब कोई वाहन मालिक अपने वाहन को पैकिंग कराकर बाहर से लाता है तो पैकिंग सही होनी चाहिए। यदि गंतव्य तक पहुंचने के दौरान बाइक का शीशा या अन्य सामान क्षतिग्रस्त हो जाए तो वाहन मालिकों को रेलवे से कोई क्षतिपूर्ति नहीं मिलती। इतना ही नहीं, गंतव्य तक पहुंचने के दौरान यदि बाइक कहीं गुम हो जाए तो रेलवे उस बाइक को लौटाने के लिए जिम्मेवार भी नहीं है। ऐसा रेलवे एक्ट में लिखा है। चक्रधरपुर मंडल के वाणिज्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि सिर्फ जुर्माना अधिक होने के कारण पार्सल विभाग में बाइक खड़ी हैं। इतनी अधिक रकम देकर कोई भी वाहन मालिक बाइक ले जाने को तैयार नहीं है।


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