मॉडल को रिमॉडल कर फर्राटा भर रहे सड़कों पर, युवा बाइकर्स की दीवानगी कर देगी हैरान
किसी बाइक में मोटे टायर लगाकर अलग लुक दिया जा रहा है तो कहीं उसकी सीटों, पेट्रोल टंकी व स्ट्रक्चर में फेरबदल कर अपना ड्रीम व्हीकल तैयार किया जा रहा है।
जमशेदपुर [रोहित कुमार] । सड़कों पर वाहनों की भीड़ में कुछ अलग दिखने की चाहत युवाओं के मन-मस्तिष्क में हावी है। वाहन मालिक की चाहत को मैकेनिक आकार दे रहे हैं तो कहीं खुद मैकेनिक अपने कौशल और क्रिएटिविटी को साकार कर रहे हैं। इसे बोलचाल में व्हीकल मॉडिफिकेशन कहा जा रहा है। किसी बाइक में मोटे टायर लगाकर अलग लुक दिया जा रहा है तो कहीं उसकी सीटों, पेट्रोल टंकी व स्ट्रक्चर में फेरबदल कर अपना ड्रीम व्हीकल तैयार किया जा रहा है। ऐसे युवाओं की यह तमन्ना भी पूरी हो रही है कि जब वे सड़कों पर निकलें तो लोग घूम-घूमकर देखें और उनके मुंह से निकले- ये क्या? वो देखो, किस डिजाइन की बाइक है। या कार है।
जी हां, आजकल युवाओं में वाहनों के मॉडिफिकेशन का जबरदस्त क्रेज है। ज्यादातर बाइक के मॉडल का स्वरूप बदल दिया जा रहा है तो कई बार चार पहिया वाहनों को भी कुछ अलग स्ट्रक्चर, कलेवर व रंगरूप देकर सड़कों पर उतारा जा रहा है। मॉडिफाई किए जानेवाली दोपहिया वाहन में इनफील्ड बुलेट सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है। इसके बाद पल्सर और यामाहा ब्रांड के दोपहिया वाहन हैं। मॉडिफिकेशन का शौक कार मालिकों के भी सिर चढ़कर बोल रहा है, जिनमें मारुति 800 से लेकर स्विफ्ट और थार तक शामिल हैं।
शौक के आगे पैसे की नहीं परवाह
शहर में बाइक मॉडिफिकेशन का काम कर रहे अर्पण कुमार मानगो चेपापुल के पास बी स्पोक डिजाइन नाम की वर्कशॉप संचालित करते हैं। मूल रूप से धनबाद के मैथन के रहने वाले अर्पण 2016 में पिता के इलाज के लिए जमशेदपुर आए थे और यहीं बस गए। अर्पण ने चेन्नई से ऑटोमोबाइल इंजीनिय¨रग का कोर्स किया है। मोडिफिकेशन के लिए जमशेदपुर को चुना। अर्पण अब तक 12 बाइक मॉडिफाइ कर चुके हैं। इनके द्वारा मॉडिफाइ की गई बाइक की कई शहरों में डिमांड है। वह इंजन को छोड़कर बाकी के सभी पार्ट्स-एसेसरीज खुद डिजाइन करते हैं। अपना अनुभव बताते हुए कहते हैं, बाइक मॉडिफिकेशन के लिए 25 से 35 वर्ष के युवाओं में ज्यादा क्रेज है। वे मॉडिफिकेशन के शौक को पूरा करने में पैसे की परवाह नहीं करते। एक बाइक मोडिफिकेशन में 25 हजार से दो लाख रुपए तक का खर्च आता है।
खूब चल पड़ी है दुकान
हावड़ा ब्रिज के पास रॉयल ऑटो का संचालन करने वाले जस्मित सिंह पांच साल से बाइक मॉडिफिकेशन का काम कर रहे हैं। साकची के अलावा भालूबासा में भी उनकी एक दुकान है। पहले वे सिर्फ बाइक रिपेय¨रग करते थे। युवाओं के शौक और डिमांड को देखते हुए पर धीरे-धीरे बाइक मोडिफाइ करना शुरू किया। जस्मित बताते हैं कि बाइक मॉडिफिकेशन में युवाओं को एलॉय और साइलेंसर का स्वरूप बदलने में ज्यादा दिलचस्पी होती है। उन्हें अपनी बाइक में कुछ अलग लुक चाहिए। इसके अलावा बाइक की हैंडल के लिए एक्सट्रा एसेसरीज चाहते हैं। इन एसेसरीज में फॉग लाइट, स्कल बैकलाइट, हाईबीम लाइट शामिल है।
कार में महिंद्रा थार पहली पसंद
जुगसलाई में अब्दुल गफ्फार खान करीब दस साल से कार मोडिफाई कर रहे हैं। मैकेनिक का काम करनेवाले अब्दुल से ग्राहकों ने कार मॉडिफिकेशन कराना शुरू किया। अब अब्दुल की भी इसमें ज्यादा रुचि है। अब्दुल बताते हैं कि लोग कार मॉडिफिकेशन के लिए ज्यादातर जीप या थार को लेकर आते हैं क्योंकि मोडिफिकेशन के लिए ये गाड़िया सबसे उपयुक्त मानी जाती हैं। मॉडिफिकेशन के बाद इनका रूप बदल जाता है। ग्राहक इनसे सबसे पहले पहिये की एलाय व्हील और बंपर आदि अलग डिजाइन का लगवाते हैं। इसके बाद कार की सीट, म्यूजिक सिस्टम, लाइट आदि का नंबर आता है। एक कार को मॉडिफाइ करने में एक से दो लाख रुपए खर्च आता है।
ये कहते युवा
बाइक को बिना मॉाडिफाइ किए चलाने में मजा नहीं आता है। जब मॉडिफाइड बाइक सड़क पर चलती है, तो लोग घूमकर देखते हैं। उसका एक अलग ही मजा होता है।
-रोशन, बारीडीह
मैंने बुलेट को मोडिफाइ कराया है। खर्च तो उतना नहीं कर सका, पर जैसा भी है मोडिफाइड है। बड़े टायर बुलेट को अलग ही लुक देते हैं।
-जसविंदर, साकची
मैंने अपनी जीप पंजाब से मंगाई थी। अब इसे मॉडिफाइ करके चला रहा हूं। मोडिफिकेशन में लगभग दो लाख खर्च हो चुके हैं। यदि खर्च की बात सोचता तो इस तरह का लुक नहीं मिलता।
-सौरभ, साकची