Farmers agitation : इंटरनेट मीडिया पर खूब छाया रहा भारत बंद, फोटो; लोगों की टिप्पणी व सुझाव होते रहे शेयर
Bharat Bandh discussion on social media.भारत बंद को लेकर एक तरफ सड़कों पर तोड़-फोड़ व नारेबाजी हो रही थी तो वहीं सोशल मीडिया पर जंग छिड़ी हुई थी। फेसबुक ट्यूटर व व्हाट्सएप पर नए और पुराने कृषि बिल को लेकर दिनभर बहस होती रही।
जमशेदपुर, अमित तिवारी। भारत बंद को लेकर एक तरफ सड़कों पर तोड़-फोड़ व नारेबाजी हो रही थी तो वहीं, इंटरनेट मीडिया पर जंग छिड़ी हुई थी। फेसबुक, ट्यूटर व व्हाट्सएप पर नए और पुराने कृषि बिल को लेकर दिनभर बहस होती रही।
फेसबुक पर जन-जन की पुकार आइडी से एक पोस्ट किया गया-जिसमें लिखा है कि मैं किसान हूं, भारत बंद का बहिष्कार करता हूं। जो व्यक्ति किसानों को सम्मान के रूप में छह हजार रुपए देता है वो किसान का कैसे बुरा सोचेगा। इसका विरोध करते हुए अमित वर्मा ने लिखा है कि-क्या छह हजार रुपए से ही किसान खाता है। इसपर प्रकाश सिंह ने लिखा है- विरोध करने वाले किसान नहीं, वे मंडी के दलाल है। अमित वर्मा ने इसका खंडन करते हुए लिखा है-ऐसा नहीं है लेकिन हां, कुछ लोग हैं जो इसका फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं।
विरोधी की एक वजह यह भी बताई
फेसबुक पर राहुल कुमार ने लिखा है-विरोध तो इसलिए भी हो रहा है यदि किसान पूरी स्कीम समझ गए और फायदा पहुंचने लगे तो वर्ष 2024 में क्या होगा, भगवान ही जानें। रवि प्रकाश ने फेसबुक पर नए और पुराने कृषि बिल को एक ग्राफिक्स के जरिए समझाने की कोशिश की है। उन्होंने लिखा है कि पुराने कृषि बिल के तहत अगर बाजार में टमाटर 50 रुपए किलो बिकता है तो उसके एवज में किसानों को 15 रुपए मिलता है। यानी 35 रुपया बिचौलिया के जेब में चला जाता है। जबकि नए कानून के तहत यह दलाली खत्म हो जाएगी और सारा पैसा किसानों को मिलेगा। यानी बजार में टमाटर 50 रुपये बिकता है तो वह सारा पैसा किसानों को ही मिलेगा। बिचौलिया कमीशन नहीं कमा सकेंगे। इसी कारण से सबसे अधिक दर्द बिचौलियों को हो रहा है।
तेरे शहर की आबोहवा बेईमान हो गई ...
वहीं, फेसबुक पर किसी ने शेयर किया है कि ‘तेरे शहर की आबो हवा बेईमान हो गई, सुना है अब शाहीन बाग वाली शेरनिया भी किसान हो गई’। फेसबुक पर एक मंडी की फोटो भी खूब शेयर होता दिखा। हालांकि, वह फोटो कहां की है उसका जिक्र नहीं था। मंडी की सारी सब्जियां जमीन पर बिखरी पड़ी थी और लिखा हुआ था कि ये कोई अडानी और अंबानी की दुकान नहीं है। शर्म आनी चाहिए ऐसी बंदी पर। वहीं, व्हाट्सएप ग्रुप में सबसे अधिक एक ग्राफिक्स को शेयर किया जा रहा था जिसमें कुछ राजनीति पार्टियां किसान के कंधों पर बंदूक रखकर प्रधानमंत्री पर निशाना साध रहे थे।
आंदोलन तो एक बहाना है ...
उसपर मनीष शर्मा ने लिखा है कि आंदोलन तो बहाना है भाजपा पर निशाना है। रंजीत गोंड ने फेसबुक पर एक वीडियो शेयर किया है जिसके माध्यम से उन्होंने बताया है कि 12 जनवरी 1998 में कांग्रेस राज में भी किसानों ने अपनी स्थिति को लेकर एक किसान आंदोलन शुरू किया था। तब 300 गोलियां चली, 27 किसानों की मौत हुई और आंदोलन खत्म हो गया। उन्होंने भारत बंद को लेकर दूसरा वीडियो भी जारी किया और लिखा है कि क्या लगता है आपको ये किसान आंदोलन है।ये आतंक है और आप जल्दी नहीं जहे तो आपका अंत तय है।जय शर्मा ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है कि काश ये पंजाब के किसान 1984 में निर्दोष सिखों के कत्लेआम के विरोध में भी दिल्ली में इतना जोरदार प्रदर्शन कर पाते...।
मोदी सरकार का असर
तरुण कुमार ने लिखा है कि मोदी सरकार का असर। जो किसान आत्महत्या करता था, आज छह महीने का राशन लेकर दिल्ली में जमा हुआ है।