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पहली बार भजोहरि महतो व चैतन्य माझी बने थे सांसद

26 जनवरी 1950 को देश में संविधान लागू होने के बाद लोकसभा के लिए 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 के बीच पहला आम चुनाव हुआ था।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 03:16 PM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 03:16 PM (IST)
पहली बार भजोहरि महतो व चैतन्य माझी बने थे सांसद
पहली बार भजोहरि महतो व चैतन्य माझी बने थे सांसद

जमशेदपुर (दिलीप कुमार)। 26 जनवरी 1950 को देश में संविधान लागू होने के बाद लोकसभा के लिए 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 के बीच पहला आम चुनाव हुआ था। इस चुनाव में इस सीट से दो सांसद चुने जाने का प्रावधान था। तब आज का जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में नहीं था, बल्कि यह मानभूम दक्षिण सह धालभूम लोकसभा क्षेत्र हुआ करता था। आजाद भारत में पहली बार हुए आम चुनाव में इस क्षेत्र से दो सांसद भजोहरि महतो और चैतन्य माझी सांसद चुने गए थे। संयोग देखिए कि दोनों एक ही पार्टी लोक सेवक संघ (एलएसएस) के उम्मीदवार थे।

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सिर्फ 32.94 प्रतिशत ही हुआ था मतदान, 7,30,957 में कुल 4,81,518 वोटरों ने किया था अपने मताधिकार का उपयोग

तब कुल नौ प्रत्याशी उतरे थे चुनाव मैदान में

इस क्षेत्र की दो सीटों के लिए पहले आम चुनाव में कुल नौ प्रत्याशी मैदान में उतरे थे। इनमें भजोहरि महतो व चैतन्य माझी (एलएसएस), दशरथ मुर्मू (झारखंड पार्टी), माइकल जॉन (तब के टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष व धाकड़ मजदूर नेता), विभूति भूषण मुरा (कांग्रेस), खुदीराम महतो बैकुंठ (निर्दलीय), उमापद त्रिपाठी (एफबीएल-एमजी), मुंशी अहमदीन (एसपी) और ठाकुर दास मांझी (सीएनएसपीजेपी) शामिल थे।

चुनाव में एलएसएस ने सभी प्रत्याशियों को छोड़ दिया था पीछे

यदि उम्मीदवारों को मिले वोट पर नजर दौड़ाई जाए तो एलएसएस ने सभी को पीछे छोड़ दिया था। इसके दोनों उम्मीदवार ही पहले व दूसरे नंबर पर रहे, नतीजतन दोनों चुनाव जीत गए। 17.85 प्रतिशत मत हासिल कर भजोहरि महतो व 16.69 प्रतिशत वोट प्राप्त कर चैतन्य माझी क्षेत्र के पहले सांसद बने। दोनों को क्रमश: 85,957 व 80,349 वोट मिले थे। 61,713 वोट लेकर झारखंड पार्टी के दशरथ मुमरू तीसरे स्थान पर रहे थे। कांग्रेस के माइकल जान व विभूति भूषण मुरा को क्रमश: 58,838 व 55,369 वोट प्राप्त हुए थे। इसी तरह खुदी राम महतो बैकुंठ (निर्दलीय) को 47,028, उमापद त्रिपाठी (एफबीएल-एमजी) को 36,159, मुंशी अहमदीन (एसपी) को 28,776 और ठाकुर दास मांझी (सीएनएसपीजेपी) 26,860 मत प्राप्त हुए थे।

जागरूक नहीं थे वोटर

भौगोलिक स्थिति जटिल होने के कारण पहले आम चुनाव को लेकर जनता में कुछ खास जागरुकता नहीं फैल सकी और इसी का परिणाम था कि सिर्फ 32.94 फीसद वोटिंग हुई। 7,30,957 वोटरों में 4,81,518 ने ही वोट डाला।

1956 के बाद बने नए क्षेत्र

चुनाव बाद क्षेत्रों का नये सिरे से परिसीमन हुआ। 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के बाद नए चुनाव क्षेत्र सामने आए। पहली लोक सभा ने अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था। तब के लोकसभा क्षेत्रों में इस चुनाव क्षेत्र की क्रम संख्या 43 थी।


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