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भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व भैया दूज पर दिखे परंपरा और विश्वास के रंग

भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक भैया दूज शुक्रवार को मनाया गया। इस मौके पर परंपरागत तरीके से पूजा-अर्चना की गई और भाइयों की हिफाजत का आशीर्वाद मांगा गया।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 11:48 AM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 11:48 AM (IST)
भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व भैया दूज पर दिखे परंपरा और विश्वास के रंग
भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व भैया दूज पर दिखे परंपरा और विश्वास के रंग

जमशेदपुर (जेएनएन)।  भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक भैया दूज शुक्रवार को मनाया गया। इस मौके पर परंपरागत तरीके से पूजा-अर्चना की गई और भाइयों की हिफाजत का आशीर्वाद मांगा गया।

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कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बहनें व्रत, पूजा, कथा आदि कर भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं और उनके माथे पर टीका लगाती हैं। इसके बदले भाई भी उनकी रक्षा का संकल्प लेते हुए उपहार देते हैं। यह त्योहार रक्षाबंधन की तरह ही महत्व रखता है। ज्योतिषाचार्य पंडित रमा शंकर तिवारी ने बताया कि भैया दूज इस बार विशाखा नक्षत्र में मनाया गया।

भाई दूज मुहूर्त : सुबह- 9.20 से 10.35 बजे तक, दोपहर-1.20 से 3.15 बजे तक, शाम-4.25 से 5.35 और 7.20 से रात 8.40 बजे तक

भैया दूज की कथा

भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थीं। वह उससे बराबर निवेदन करती कि ईष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालते रहे। कार्तिक शुक्ल का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर उन्हें अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया। यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मागने का आदेश दिया। यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह ली। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।


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