शक्ति रुपेण संस्थिता.. बेलडीह कालीबाड़ी, बिष्टुपुर
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : शहर में नवरात्र का उल्लास चरम पर है। चारों ओर माता की जयकारा ल
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : शहर में नवरात्र का उल्लास चरम पर है। चारों ओर माता की जयकारा लग रहा है। दूसरी ओर रामनवमी को लेकर शनिवार को शहर का हर चौक-चौराहा और सड़कें महावीर झंडा से पटा रहा। नवरात्र पर बेलडीह कालीबाड़ी में कई अनुष्ठानों का आयोजन किया गया है। बेलडीह कालीबाड़ी शहर के आस्था का प्रमुख केंद्र है।
इतिहास
बेलडीह कालीबाड़ी की स्थापना 1923 में भूपति चरण भट्टाचार्य द्वारा कराया गया था। वे शिमला में रहते थे। उन्हें सपना मिला था कि बेलडीह में एक शिवलिंग है जहां उन्हें मंदिर का निर्माण करना है। सपना देखने के बाद वे जमशेदपुर पहुंचे। उस वक्त बेलडीह क्षेत्र घना जंगल था। बेलडीह कालीबाड़ी में वर्ष 1866 से प्रतिमा स्थापित कर शारदीय नवरात्र पर दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है। इसके पूर्व कलश स्थापित कर पूजा किया जाता था। यहां वर्ष 1980 से चैती दुर्गा पूजा यानि बासंती पूजा का आयोजन किया जा रहा है। बेलडीह कालीबाड़ी में बासंती पूजा के मौके पर देवी की प्रतिमा स्थापित किया जाता है।
कार्यक्रम
बेलडीह कालीबाड़ी में बासंती पूजा के अवसर पर प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है। शनिवार को कालीबाड़ी में महासप्तमी मनाया गया। मौके पर शाम सात बजे से भुवनेश्वर की अरुपा गायत्री पंडा ने ओडिसी और कोलकाता के अलोकपर्णा चटर्जी गुहा ने कत्थक प्रस्तुत किया। कालीबाड़ी में रविवार को महाष्टमी और महानवमी मनाया जाएगा। शाम को कोलकाता के राहुल देव मंडल अपने ग्रुप के साथ भरतनाटयम प्रस्तुत करेंगे।
---------
बेलडीह कालीबाड़ी शहर के प्रमुख आस्था का केंद्र है। यहां रोजाना श्रद्धालु मां काली, देवी दुर्गा, भगवान भोलेनाथ के अलावा मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं के दर्शन पूजन के लिए पहुंचते हैं। पर्व त्योहारों में यहां श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ता है। महाष्टमी और महानवमी एक ही दिन होने के कारण रविवार को मंदिर में दो बार चंडी पाठ होगा। इसके साथ ही अष्टमी और नवमी पूजा के साथ ही संधि पूजा भी होगा।
चंद्रबिंदु भट्टाचार्य, पूजारी, बेलडीह कालीबाड़ी।
---------
दक्षिण भारतीय होने के बावजूद पिछले 20 वर्र्षो से बेलडीह कालीबाड़ी आते है। मंदिर के साथ अटूट लगाव हो गया है। देवी मां भक्तों की मनोकामना पूरी करती है। मंदिर के पास ही काम करती हूं, इसलिए रोजाना ही मंदिर में भगवान के दर्शन का सौभाग्य मिलता है। मेरे साथ पूरे परिवार का मंदिर पर आस्था है। विशेष पर्व-त्योहार पर मंदिर आने से नहीं चुकते हैं।
जयंती शेषाद्री, सोनारी, श्रद्धालु