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26 की राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल आम जनता और देशहित के लिए : बैंक यूनियन

झारखंड प्रदेश बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन ने मंगलवार को बिष्टुपुर में संवाददाता सम्मेलन किया। इसमें एसोसिएशन के नेताओं ने कहा कि 26 नवंबरको आहूत राष्ट्रव्यापी हड़ताल देश के 10 बड़े सेंट्रल ट्रेड यूनियन द्वारा बुलाई गई है इस हड़ताल को स्वतंत्र रूप से सफल बनाने में

By Vikram GiriEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 05:00 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 09:25 AM (IST)
26 की राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल आम जनता और देशहित के लिए : बैंक यूनियन
26 की राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल आम जनता और देशहित के लिए : बैंक यूनियन। जागरण

जमशेदपुर (जासं) । झारखंड प्रदेश बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन ने मंगलवार को बिष्टुपुर में संवाददाता सम्मेलन किया। इसमें एसोसिएशन के नेताओं ने कहा कि 26 नवंबर,को आहूत राष्ट्रव्यापी हड़ताल देश के 10 बड़े सेंट्रल ट्रेड यूनियन द्वारा बुलाई गई है, इस हड़ताल को स्वतंत्र रूप से सफल बनाने में विभिन्न ट्रेड यूनियन भी शामिल हो रहे हैं। इस हड़ताल में देश के 25 करोड़ श्रमिकों के शामिल होने का अनुमान है। केंद्र सरकार की गलत नीतियों के चलते देश में संकट गहराता जा रहा है,अर्थव्यवस्था चरमरा उठी है। प्रति वर्ष दो करोड़ का रोजगार देने का वादा कर आईं सरकार के कार्यकाल में बेरोजगारी 45 वर्षों में सबसे निम्न स्तर पर है।

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कोविड के संकट काल में करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं। देश के 29 श्रम कानूनों को बदलकर चार कानून बना दिए गए, जिस पार्लियामेंट सेशन में इसे पास किया गया, उसमें पूरा विपक्ष इसके खिलाफ सदन के बाहर था। इसमें वे श्रम कानून भी शामिल हैं, जो अंग्रेजों द्वारा श्रमिकों के हित में बनाए गए थे। श्रम कानून में बदलाव पूंजीपतियों और बड़े औद्योगिक घरानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया है। संसद में पास हुए इस कानून से करोड़ों असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को कानूनी सुरक्षा से बाहर कर दासता कि स्थिति उत्पन्न कर दी गई है।

दूसरी तरफ किसान विरोधी तीन बिलों को पास कराकर किसानों को उनकी उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी से वंचित किया जा रहा है। इस बिल से कारपोरेट और अनुबंधीय खेती, देसी और विदेशी खुदरा एकाधिकार को बढ़ावा दे कर देश की खाद्य सुरक्षा खतरे मे पड़ गई है। देश की आर्थिक रीढ़ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों,बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआईं के माध्यम से निजीकरण और नीलामी का खेल खेला जा रहा है। सरकारी बैंकों में आम जनता और वरिष्ठ नागरिक अपने भविष्य की सुरक्षा एवं जरूरत के लिए बचत की गई रकम जमा करते हैं। इन्हीं जमा पूंजी से बड़े बड़े औद्योगिक घराने कर्ज लेते है बड़े-बड़े कल-कारखाने और व्यवसाय स्थापित करते हैैं।

उन्हीं में से कुछ बैंक के कर्ज नहीं चुकाते, लोन एनपीए कर बैठ जाते है और कुछ तो विदेशों में फरार हो गए है। इन बड़े कर्जदारों से वसूली कर बैंकों की स्थिति सुदृढ़ करना छोड़ सरकार बैंकों के विलय कर रही है और निजी हाथों में सौंपने की तैयारी भी है। आज जरूरत है बैंकों की संख्या बढ़ाने,निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने,बैंकों में खाली पदों को भरकर बेरोजगारों को रोजगार देने की,सरकार ठीक इसके उलट कर रही है। संवाददाता सम्मेलन को झारखंड प्रदेश बैंक इम्प्लाइज एसोसियेशन के महासचिव आरबी सहाय, उप महासचिव हीरा अरकने, सपन अदक, वाइस चेयरमैन आरए सिंह, जिला महासचिव सुजीत घोष और ऑल इंडिया एलआईसी फ़ेडरेशन के महासचिव राजेश कुमार, जमशेदपुर डिवीजन इंश्योरेंस इम्प्लाइज एसोसिएशन के महासचिव गिरीश ओझा ने संबोधित किया।


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