Vocal For Local: बहरागोड़ा प्रसंस्करण केंद्र बांस को दिलाएगा नई पहचान
पूर्वी सिंहभूम जिले के बहरागोड़ा और चाकुलिया प्रखंड में बांस को उद्योग के रूप में विस्तार करने की असीम संभावनाएं हैं। मौका भी है झारखंड को आत्मनिर्भर बनाने का।
चाकुलिया (पूर्वी सिंहभूम), जेएनएन। पूर्वी सिंहभूम जिले के बहरागोड़ा और चाकुलिया प्रखंड में बांस को उद्योग के रूप में विस्तार करने की असीम संभावनाएं हैं। मौका भी है झारखंड को आत्मनिर्भर बनाने का। लोकल को वोकल करने का। प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने का। राज्य सरकार को इस विषय पर गंभीरता से सोचना होगा। लोकल प्रोडक्ट को वोकल बनाने के लिए हर स्तर पर चर्चा कर इसकी मार्केटिंग करनी होगी। इससे क्षेत्र में पलायन रुकेगा और मजदूरों को घर पर ही काम मिल सकेगा।
किसानों और उत्पादकों को दिया जाएगा प्रशिक्षण: अभिषेक कुमार
बहरागोड़ा और चाकुलिया के बांस को बढ़ावा देने के लिए वन विभाग ने एक योजना तैयार कर रखी है। बस लॉकडाउन खत्म होने के बाद इस पर काम प्रारंभ हो जायेगा। यहां के बांस को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने का भरपूर प्रयास होगा। यह बातें वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) डॉ. अभिषेक कुमार ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहीं। उन्होंने कहा कि इस बार यह प्रयास फेल नहीं होगा। इसके लिए बहरागोड़ा में हाई-वे किनारे बांस प्रसंस्करण केंद्र स्थापित किया जा चुका है। इसके लिए आधुनिक डिजाइनिंग मशीनें भी आ गई हैं। इस केंद्र में किसानों तथा उत्पादकों को प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। इसके बाद इसकी मार्केटिंग की व्यवस्था भी होगी। हाई-वे किनारे होने के कारण यह काफी आसानी से उपलब्ध होगा। कनेक्टिविटी बढि़या है।
लोकल मार्केट से टैग करने की भी योजना
सबसे पहले कोल्हान, पश्चिम बंगाल और ओडिशा की मांग के अनुरूप बांस से बनी सामग्री का उत्पादन होगा। सबसे ज्यादा मांग बांस से बने टेबुल व कुर्सी तथा चटाई की है। इस मांग को सबसे पहले पूरा करने की योजना है। वर्तमान में बांस के कारीगर एक दिन में एक ही चटाई बनाते हैं, मशीन के सहारे कम से कम दस चटाई एक दिन में बना पाएंगे। इन उत्पादों को लोकल मार्केट से टैग करने की भी योजना है। इसके लिए एक कमेटी गठित की जाएगी। अब गांव में ही लोग आसानी से बांस की सामग्री बना सकते हैं। इसके लिए जगह- जगह कलेक्शन सेंटर बनाया जायेगा। यहां कच्चे माल की कोई कमी नहीं है। बहरागोड़ा प्रसंस्करण केंद्र प्रारंभ होने से सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके लिए अलग से कमेटी बनाई जायेगी। बांस को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए वन विभाग ने कमर कस रखी है। इस वर्ष यह कार्य संपन्न जायेगा। यहां से आत्मनिर्भर भारत की झलक बहरागोड़ा विधानसभा के किसान तथा व्यापारी देखेंगे।
ट्रेनिंग और मार्केटिंग से सुधरेगी बांस की सेहत:अशोक सिंह
चाकुलिया एवं बहरागोड़ा के बांस में अपार संभावनाएं हैं। पलामू में बांस से सोफा, बास्केट व अन्य आकर्षक सामग्री बनाई जा रही है। वहां पर इसकी मार्केटिंग भी बढिय़ा तरीके से होती है। जबकि, चाकुलिया एवं बहरागोड़ा क्षेत्र के बांस झारखंड में सबसे अच्छे हैं। यहां के बांस उत्पादक किसानों को प्रशिक्षण के साथ-साथ मार्केटिंग की व्यवस्था हो जाये तो इसकी चमक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिखाई पड़ेगी। यहां के कई किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। बस मार्केटिंग का काम त्वरित गति से करना होगा। यही एक वजह है जहां चाकुलिया के बांस मार खा रहे हैं। बहरागोड़ा के लोग चटाई बनाते हैं, जिसकी आपूर्ति जमशेदपुर में होती है।
तीन साल से बंद है बंबू स्मेलटिंग सेंटर
यहां के बांस को बढ़ावा देने के समय पूर्व वन मंत्री स्व. सुधीर महतो के साथ मानुषमुडि़या में बंबू स्मेलटिंग सेंटर खोला गया था। यह तीन साल से बंद है। इसमें असम से ट्रेनर भी बुलाये गए थे। तीन-चार वर्ष चला भी। मार्केट नहीं मिलने के कारण यह बंद हो गया। यहां के किसान भी बांस उत्पादन को लेकर जागरूक हैं। यह उनका नकदी फसल है। बहुत जरूरत पडऩे पर ग्रामीण इसका इस्तेमाल करते हैं। बांस बगान को यहां के किसान अपनी आवश्यकताओं के लिए सुरक्षित रखते हैं। यहां भी जो ट्रेनिंग होती है, उसे अंजाम तक पहुंचाया जाना चाहिए। इस दिशा में प्रयास किया जाएगा।
बोले प्रवासी मजदूर
जरूरत के हिसाब से मिलता है काम: शकीला टुडू
मजदूर शकीला टुडू का कहना है कि बांस उत्पादन तो अच्छा है, पर काम हमें जरूरत के हिसाब से मिलता है। अगर रोजाना रोजगार एवं अच्छे रोजगार की बात करें तो यह हो नहीं पाता। रोजाना रोजगार का विकल्प सरकार को तलाशना होगा।
मार्केटिंग से ही बढ़ेगा रोजगार : सुखलाल मुर्मू
मजदूर सुखलाल मुर्मू का कहना है कि बांस की मार्केटिंग यहां सही ढंग से नहीं हो पा रहे हैं, इस कारण रोजगार के नए साधन सृजित नहीं हो पा रहे हैं। बांस से सामग्रियां बनने लगेगी तो हमारी भी मजदूरी बढ़ेगी।
रोजगार सृजन की हो व्यवस्था : विक्रम किस्कू
बांस से चाकुलिया की अलग पहचान है। इससे कई तरह के रोजगार सृजन की व्यवस्था प्रशासन एवं सरकार मिलकर कर सकते हैं। रोजगार सृजन होने से यहां के स्थानीय मजदूरों को रोजाना रोजगार मिलेगा तथा मजदूर भी खुशहाल रहेंगे। यह बातें मजदूर विक्रम किस्कू ने कही।
बांस की सामग्री का निर्माण करना होगा: दसमत हेब्रम
विभाग को चाहिए कि वह बांस की सामग्रियों के निर्माण को सुनिश्चत करायें। इससे स्थानीय स्तर पर युवाओं एवं मजदूरों को रोजगार के नए अवसर प्रदान होंगे। यह बातें मजदूर दसमत हेंब्रम ने कही। उन्होंने वर्तमान समय में जब गाड़ी आती है, तभी हमें मजदूरी मिल पाती है।