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अंबेडकर का भारतीय अर्थशास्त्र में भी बड़ा योगदान, आरबीआई का गठन हुआ बाबा साहेब के प्रतिवेदन पर

बाबा साहेब अंबेडकर के प्रतिवेदन के आधार पर ही आरबीआई का गठन हुआ। आरबीआई के मजबूत होने के कारण ही वैश्विक आर्थिक संकट के दौर में भी भारत बहुत अधिक प्रभावित नहीं हुआ। अंबेडकर का अर्थशास्त्र में योगदान अतुलनीय है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 05:38 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 05:38 PM (IST)
अंबेडकर का भारतीय अर्थशास्त्र में भी बड़ा योगदान, आरबीआई का गठन हुआ बाबा साहेब के प्रतिवेदन पर
21वीं सदी में अंबेडकर का पुनरावलोकन : महानायक एवं राष्ट्र निर्माता विषय पर वेबिनार हुआ।

 जमशेदपुर, जासं। जमशेदपुर वर्कर्स कालेज के राजनीति विज्ञान विभाग और कोल्हान विश्वविद्यालय के पीजी राजनीति विज्ञान विभाग के संयुक्त प्रयास से 21वीं सदी में अंबेडकर का पुनरावलोकन : महानायक एवं राष्ट्र निर्माता विषय पर वेबिनार का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का प्रारंभ कालेज के प्राचार्य डा. सत्यप्रिय महालिक के स्वागत भाषण से हुआ। विषय प्रवेश राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डा. अशोक कुमार महापात्र ने कराया एवं इस वेबीनार का संचालन विज्ञान के प्रोफेसर सुभाष चंद्र दास ने किया।

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इस कार्यक्रम में रिसोर्स पर्सन के रूप में पीजी डिपार्टमेंट कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा के विभागाध्यक्ष डा. परशुराम सियाल ने अंबेडकर को एक दलित चिंतक के अलावा आंदोलनकारी, स्वतंत्रता सेनानी के रूप में चिन्हित किया। स्वतंत्रता आंदोलन को शोषित वर्ग तक विस्तारित करने का कार्य अंबेडकर ने किया, जिससे राष्ट्र निर्माण के लक्ष्य के साथ ही वास्तविक प्रगतिशील लोकतंत्र को स्थापित किया जा सके। मुख्य वक्ता डा. राजेंद्र भारती विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान एबीएम महाविद्यालय के अनुसार चिंतक किसी समूह से संबंधित नहीं होता है बल्कि वह सभी पहलुओं के लिए चिंतक होता है। उन्होंने बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर के अन्य पहलू जैसे अर्थशास्त्र में उनके योगदान को चिन्हित किया।

आरबीआई का गठन अंबेडकर के प्रतिवेदन पर

उनके अनुसार अंबेडकर के प्रतिवेदन के आधार पर ही आरबीआई का गठन हुआ। आरबीआई के मजबूत होने के कारण ही वैश्विक आर्थिक संकट के दौर में भी भारत बहुत अधिक प्रभावित नहीं हुआ। साथ ही लोकतंत्र को 'वे ऑफ लाइफ' के रूप में स्थापित करने का प्रयास अंबेडकर के द्वारा किया गया। इसलिए 21वीं सदी में ना केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर और महत्वपूर्ण हो जाते हैं। लोकतांत्रिक घाटा हो या आर्थिक असमानता इन सभी पहलुओं पर अंबेडकर का विचार प्रासंगिक है। इस वेबिनार में बड़ी संख्या में इस महाविद्यालय के शिक्षक के साथ ही अन्य महाविद्यालय के शिक्षक, विद्यार्थी भी सम्मिलित हुए। इस कार्यक्रम का समापन गीता कुमारी राजनीति विज्ञान विभाग के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।


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