बिक गए गहने-बढ़ा उधार, पीएम के तोहफे ने बचा ली जान Jamhedpur News
जमशेदपुर से करीब 110 किलोमीटर दूर चाकुलिया के रसपाल गांव निवासी जितेंद्र सिंह की जान बचाने में आयुष्मान भारत योजना संजीवनी साबित हुई।
जमशेदपुर (अमित तिवारी)। मौत के मुंह से बाहर निकलनेवाले जितेंद्र सिंह (60) की कहानी गरीब मरीजों के दिल में उम्मीद की किरण है। जमशेदपुर से करीब 110 किलोमीटर दूर चाकुलिया के रसपाल गांव निवासी जितेंद्र सिंह की जान बचाने में आयुष्मान भारत योजना संजीवनी साबित हुई। अगर, इलाज में थोड़ी और देर होती तो उनकी जान बचनी मुश्किल थी।
11 सिंतबर 2018 को जितेंद्र सिंह को ब्रेन हेमरेज हो गया। परिजन आनन-फानन में झाड़ग्राम स्थित एक नर्सिग होम में परिजनों ने उन्हें भर्ती कराया। वहां उनकी हालत में सुधार होता नहीं देख किसी दूसरे निजी डॉक्टर से दिखाया गया। उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और इसी तरह करीब तीन महीने का समय निकल गया। इस अवधि में उनकी चिकित्सा पर करीब एक लाख रुपये खर्च हो गए जिसे चुकाने के लिए जितेंद्र सिंह की पत्नी को अपने गहने बेचने पड़े। इसके बावजूद उनकी हालत में सुधार होता नहीं दिखा। जितेंद्र सिंह के परिजनों के पास अब रुपये नहीं थे कि वे दूसरी जगह इलाज करा पाते। लिहाजा उनके मन में इलाज की उम्मीद खत्म हो चुकी थी। जितेंद्र को लेकर परिजन घर लौट आए और भगवान के भरोसे छोड़ दिया। घर में ही जिंदगी व मौत से वह जूझने लगा। इसी बीच एक सहिया उनके घर पहुंची और घ्रवालों को आयुष्मान भारत योजना के बारे में जानकारी दी। निराश हो चुके जितेंद्र के परिजनों के मन में उम्मीद की किरण जगी। तत्काल आयुष्मान भारत योजना से जुड़े पदाधिकारी प्रकाश सिंह से संपर्क किया गया। प्रकाश सिंह ने योजना के तहत उन्हें कांतीलाल गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल में भर्ती कराया। 18 नवंबर 2018 को उनकी सर्जरी की गई जो सफल रही और जितेंद्र को नई जिंदगी मिल गई।
अब सामान्य जिंदगी जी रहे जितेंद्र
जितेंद्र सिंह अब दूसरे लोगों की तरह ही घूम-फिर रहे हैं। परिवार के साथ खुशी-खुशी जिंदगी बिता रहे हैं। वह कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गरीब मरीजों के लिए भगवान के समान हैं जिन्होंने इतनी बड़ी 'आयुष्मान भारत योजना' देशभर में शुरू कराई। जितेंद्र सिंह के छोटे भाई निरपन सिंह कहते हैं कि किसी तरह कर्ज लेकर और गहने बेचकर भाई के इलाज पर एक लाख रुपये खर्च किए। वह कर्ज अब भी चुका रहे हैं।
जितेंद्र सिंह को ब्रेन हेमरेज हो गया था। इसकी जानकारी हमलोगों को नहीं थी। इसी बीच उनके घर गोल्डन कार्ड पहुंचाने के लिए एक सहिया पहुंची। उसके माध्यम से मुझे जानकारी मिला कि उन्हें ब्रेन हेमरेज है। इसके बाद उन्हें तत्काल कांतीलाल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। इलाज पर करीब साठ हजार रुपये खर्च आए, जिसे योजना के तहत इंश्योरेंस कंपनी ने हॉस्पिटल को दिया।
प्रकाश सिंह, को-आर्डिनेटर, आयुष्मान भारत योजना, पूर्वी सिंहभूम जिला।