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कंप्यूटर ऑपरेटर कम होने से एमजीएम में ठप हो गई आयुष्मान भारत योजना

Ayushman Bharat yojana. महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आयुष्मान भारत योजना का लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। इसका मुख्य कारण अस्‍पताल में एक कंप्यूटर ऑपरेटर का नहीं होना भी बताया जा रहा है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Mon, 02 Nov 2020 07:47 AM (IST)Updated: Mon, 02 Nov 2020 07:47 AM (IST)
कंप्यूटर ऑपरेटर कम होने से एमजीएम में ठप हो गई आयुष्मान भारत योजना
आठ माह में शायद ही किसी मरीज को आयुष्मान योजना का लाभ मिला हो।

जमशेदपुर, जासं। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आयुष्मान भारत योजना का लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। इसका मुख्य कारण एक कंप्यूटर ऑपरेटर का नहीं होना भी बताया जा रहा है। शुरुआती दौर में जब आयुष्मान योजना लांच हुई थी तब एमजीएम में अलग से एक ऑफिस संचालित किया जा रहा था। जहां पर 24 घंटे दो-दो कंप्यूटर ऑपरेटर तैनात रहते थे।

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इनका काम गोल्डन कार्ड बनाने से लेकर योजना का लाभ दिलाना होता था। अगर कोई लाभुक अस्पताल में भर्ती होता तो उसका मुफ्त में इलाज कराना होता था और रिकार्ड विभाग को भेजा जाता था। लेकिन, जब से एमजीएम में कंप्यूटर ऑपरेटरों की संख्या कम हुई तब से लगभग यह योजना ठप पड़ गई है। बीते आठ माह में शायद ही  किसी मरीज को इस योजना का लाभ मिला हो।

 अब बाकी मरीजों की भी बढ़ सकती परेशानी 

एमजीएम में मैनपावर की भारी कमी है। सोमवार से 15 और कंप्यूटर ऑपरेटर सहित टेक्नीशियन और एंबुलेंस चालक को भी हटाने का नोटिस आउटसोर्सिंग कंपनी द्वारा थमा दी गई है। ऐसे में अगर ये लोग सोमवार से काम बंद कर देते हैं तो बाकी मरीजों की परेशानी भी बढ़ जाएगी। अस्पताल में रोजाना एक हजार से अधिक मरीज इलाज कराने को आते हैं। ऐसे में रजिस्ट्रेशन काउंटर के सामने सुबह से ही पर्ची कटाने के लिए भीड़ उमड़ जाती है। अगर ये कर्मचारी हटे तो रजिस्ट्रेशन काउंटर पूरी तरह से ठप हो जाएगा और मरीजों का इलाज प्रभावित हो सकता है।

 कंपनी ने कहा-आठ माह से नहीं मिला वेतन 

जिन 15 कर्मचारियों को नोटिस दिया गया है वे बीते आठ माह से शिव प्रोटेक्शन प्राइवेट लिमिटेड के अंतर्गत काम करते हैं। कंपनी के पदाधिकारी सतीश कुमार ने बताया कि टेंडर के अनुसार सिर्फ दो कंप्यूटर ऑपरेटर ही नियुक्त करना है लेकिन अस्पताल में छह रजिस्ट्रेशन काउंटर है और मरीजों की संख्या भी अधिक है। शुरुआत में दो ऑपरेटर रखा भी गया जिससे पूरा अस्पताल अव्यवस्थित हो गया। न तो ओपीडी का पर्ची बन पा रहा था और न ही इमरजेंसी का। रोजाना हो-हंगामा हो रहा था। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन ने कंप्यूटर आपरेटर रखने का मौखिक आदेश दिया और कहा कि विभाग को लिखकर भेजा गया है। वहां से निर्देश मिलते ही उन्हें टेंडर में शामिल कर लिया जाएगा। लेकिन आठ माह के बाद भी वहां से कोई आदेश नहीं आया। हर माह कंपनी अपने पाकेट से ढ़ाई से तीन लाख रुपए वेतन देती है लेकिन अब देने की स्थिति में नहीं है।

ये कहते अस्‍पताल के अधीक्षक

कंप्यूटर ऑपरेटर कम होने से परेशानी बढ़ी है। इसकी जानकारी विभाग को भी दी गई है। लेकिन, फिलहाल आउटसोर्स कंपनी की ओर से कुछ कर्मचारियों को नोटिस दिए जाने की सूचना मुझे नहीं है। अचानक से किसी भी कर्मचारी को नहीं हटाया जा सकता है।

- डॉ. संजय कुमार, अधीक्षक, एमजीएम


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