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आइसीसी के तांबा से जुड़ेगा अयोध्या का राममंदिर

अयोध्या में बन रहे भव्य राममंदिर से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। राममंदिर के निर्माण में झारखंड का सिंहभूम क्षेत्र भी भावनात्मक रूप से जुड़ेगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 06:00 AM (IST)
आइसीसी के तांबा से जुड़ेगा अयोध्या का राममंदिर
आइसीसी के तांबा से जुड़ेगा अयोध्या का राममंदिर

संस, घाटशिला : अयोध्या में बन रहे भव्य राममंदिर से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। राममंदिर के निर्माण में झारखंड का सिंहभूम क्षेत्र भी भावनात्मक रूप से जुड़ेगा। अयोध्या में बनने जा रहे प्रभु श्रीराम के मंदिर से पूरे देश को किसी न किसी रूप से भावनात्मक रूप से जोड़ा जा रहा है। सिंहभूम क्षेत्र भी इस भव्य मंदिर के निर्माण में अपना योगदान दे सकेगा।

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सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) का तांबा भव्य राममंदिर निर्माण कार्य में इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो यहां के तांबा का अंश भी मंदिर के निर्माण से जुड़कर खुद को गौरवान्वित महसूस करेगा। यह क्षेत्र के लिए भी गौरव का विषय बनेगा। सिंहभूम क्षेत्र में एचसीएल/आइसीसी की ताम्र खदानें हैं। एटसीएल/आइसीसी के ताम्र की पहचान देश-विदेशों में है। अब उसी ताम्र क्षेत्र के खदानों से निकली तांबे की चमक भव्य राममंदिर में दिख सकेगी। ऐसी योजना पर काम चल रहा है।

यदि ऐसा हुआ तो सिंहभूम क्षेत्र का एक विशेष लगाव अयोध्या के भव्य राम मंदिर से जुड़ेगा। एक नया इतिहास बनेगा। हालांकि अब तक यह योजना फाइनल नहीं हुआ है कि किस रूप में आइसीसी के तांबा का उपयोग राममंदिर में होगा। इस पर चर्चा चल रही है। सूत्रों की मानें तो राममंदिर निर्माण में तकनीकी देखरेख कर रही टीम ने सिंहभूम क्षेत्र के मऊभंडार आइसीसी का दौरा कर चुकी है।

टीम ने यहां के अधिकारियों संग चर्चा भी की है। यहां एचसीएल/आइसीसी की ताम्र खदानें अवस्थित हैं। मभऊंडार में तांबा धातु बनाने का कारखाना हैं। कंपनी ताम्र अयस्क से एनोड का निर्माण करती है। फिर एनोड से कैथोड बनाती है। फिर उस कैथोड से एचसीएल दूसरे यूनिट में सीसी रॉड व अन्य सामग्री का निर्माण करती है। ताम्र से निर्मित सामग्री देश-विदेश के बाजार में उपलब्ध होते हैं।

कंपनी के जानकारों की मानें तो मंदिर निर्माण में अयोध्या के तांबा के इस्तेमाल पर चर्चा चल रही है। आइसीसी कंपनी तांबा का उत्पादन कर दे सकती है। हालांकि उसका उपयोग किस रूप में मंदिर निर्माण में होगा, यह अभी तय नहीं हुआ है। मंदिर काफी भव्य व विशाल बन रहा है। मंदिर के किस भाग में इस तांबा का उपयोग होना है, यह तय नहीं है। इस विषय पर चर्चा चल रही है। मंदिर के निर्माण व उसके डिजाइन के अनुरूप कंपनी तांबा का प्रोडक्ट दे पाएगी या नहीं, यह एक सवाल बना हुआ है। हालांकि सभी तकनीकी बिदुओं पर चर्चा चल रही है। जानकारी के अनुसार भव्य राममंदिर में लगभग 30-35 टन तांबा के उपयोग पर चर्चा चल रही है। फिलहाल कंपनी को आधिकारिक तौर पर तांबा बनाने का कोई ऑर्डर नहीं मिला है। यदि मंदिर निर्माण में यहां के तांबा का उपयोग होगा तो आजीवन यहां के ताम्र की चमक लोगों को भव्य राम मंदिर में दिखेगी। आइसीसी कंपनी के यूनिट हेड संजय सिंह ने बताया कि जमशेदपुर में एमजीमए अस्पताल में काम कर रही एलएनटी के कुछ लोग आए थे। उन्होंने तांबा की गुणवत्ता को परखा है। फिलहाल उन्होंने कुछ भी फाइनल नहीं किया है। संभावना है कि यहां से तांबा लेने के लिए एलएनटी कंपनी काफी इच्छुक दिख रही है। एलएनटी की ओर से जिस साइज के तांबा की मांग की गई है, उसके लिए अलग से तैयारी करनी होगी।


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