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Shardiya Navratri 2020 : पंचांग भेद के कारण अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन

Shardiya Navratri 2020.रविवार को अपराह्नकाल में विजयादशमी अपराजिता पूजन जयंती ग्रहण विजय यात्रा आदि होंगे। सोमवार को दशमी तिथि दिन 1133 बजे तक रहेगा। इसके बाद एकादशी तिथि प्रारंभ होगी। विजया दशमी का पावन पर्व 25 अक्टूबर रविवार को मनाया जाएगा।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 10:37 AM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 09:04 AM (IST)
Shardiya Navratri 2020 : पंचांग भेद के कारण अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन
मंदिर में प्रवेश के पहले भक्तों को किया जा रहा सैनिटाइज। जागरण

जमशेदपुर, जासं।  इस बार अष्टमी तिथि 24 अक्तूबर शनिवार के दिन मनाई जा रही है, नवमी तिथि 25 अक्तूबर को होगी। लेकिन पंचांग भेद के कारण अष्टमी और नवमी तिथि दोनों एक ही दिन है। शनिवार को अष्टमी पूजा के बाद सुबह 11 बजे से 11.48 बजे तक संधि पूजा की जाएगी। संधि पूजा का बलिदान सुबह 11.24 बजे होगा। शहर के पूजा पंडाल और मंदिरों में भोर से ही देवी आद्याशक्ति महामाया दुर्गा की पूजा-अर्चना चल रही है। इस दौरान कोरोना संक्रमण से बचने के लिए गाइडलाइन का अनुपालन किया जा रहा है। शहर के मंदिरों में अलग-अलग टोली बनाकर श्रद्धालुओं को दर्शन-पूजन कराया जा रहा है। वहीं सोसाइटी में बाहर के किसी भी श्रद्धालु को अंदर प्रवेश करने नहीं दिया जा रहा है।

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ग्रामीण क्षेत्र में गांव के अलग-अलग टोला के लिए समय निर्धारित कर देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना कराई जा रही  है। ईचागढ़ के देवलटांड में गांव के सात अलग-अलग टोला के समय निर्धारित कर पूजा कराई जा रही है। गांव के नापित टोली के लिए आधी रात 1.30 बजे से 3.45 तक, दास टोली के लिए 3.45 से 4.45 तक, महताे टोला के लिए 4.45 से छह बजे तक, बांध टोली के लिए छह से आठ बजे, गोड़िया टोली के लिए आठ से 9.15 तक, मांझी टोला के लिए 9.15 से 10.30 बजे और मछुवा टोला के लिए 10.30 से 11 बजे तक पूजा-अर्चना करने का समय निर्धारित किया गया है। इसके बाद संधि पूजा प्रारंभ होगी। संधि पूजा के बाद महानवमी की तिथि प्रारंभ होगी। पंडित बापी मुखर्जी के अनुसार अष्टमी तिथि दिन 11:48 बजे तक है, इसके बाद नवमी तिथि प्रारंभ होगी। रविवार को नवरात्र व्रत का नौवां दिन, माता के नौवें रूप सिद्धिदात्री का ध्यान पूजन किया जाएगा।

रविवार को नवमी तिथि दिन 11:14 बजे तक है। इसके बाद दशमी तिथि प्रारंभ होगी। इसी दिन नवमी तिथि में पाठ के उपरांत हवनादि होंगे। नवमी तिथि के अंत में नवरात्र व्रत का पारण किया जाएगा। रविवार को ही अपराह्नकाल में विजयादशमी, अपराजिता पूजन, जयंती ग्रहण, विजय यात्रा आदि होंगे। सोमवार को दशमी तिथि दिन 11:33 बजे तक रहेगा। इसके बाद एकादशी तिथि प्रारंभ होगी। विजया दशमी का पावन पर्व 25 अक्टूबर रविवार को मनाया जाएगा, लेकिन देवी दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन सोमवार 26 अक्टूबर को किया जाएगा।


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