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इसी माह से प्रारंभ होगा KU में पीएचडी प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन, ये रही पूरी जानकारी

PhD Entrance Examination रिसर्च काउंसिल के सभी सदस्य तथा विश्वविद्यालय के सभी डीनों ने इस बात पर सहमति जता दी है कि विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन कार्य जनवरी यानि इस माह के अंतिम सप्ताह से प्रारंभ कर सकता है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 13 Jan 2022 08:47 AM (IST)Updated: Thu, 13 Jan 2022 08:47 AM (IST)
इसी माह से प्रारंभ होगा KU में पीएचडी प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन, ये रही पूरी जानकारी
पीएचडी प्रवेश परीक्षा के सभी प्रश्न ऑब्जेक्टिव टाइप होंगे।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : कोल्हान विश्वविद्यालय छह साल बाद अपने दूसरे पीएचडी प्रवेश परीक्षा को लेकर तैयार हो गया है। इसे लेकर रिसर्च काउंसिल की बैठक भी हो चुकी है। इस बैठक में यह बात उभरकर सामने आ गई है कि विभागवार रिक्तियां तैयार कर ली गई है।

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अब तक मिली जानकारी के अनुसार यह संख्या लगभग 400 है। रिक्तियों को फाइनल स्वरूप देने का निर्देश दिया गया है। जल्द ही विश्वविद्यालय पीएचडी प्रवेश परीक्षा को परीक्षा कमेटी भी बनाने जा रहा है। रिसर्च काउंसिल के सभी सदस्य तथा विश्वविद्यालय के सभी डीनों ने इस बात पर सहमति जता दी है कि विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन कार्य जनवरी यानि इस माह के अंतिम सप्ताह से प्रारंभ कर सकता है। परीक्षा ओएमआर शीट पर लेने का निर्णय लिया गया है।

सभी प्रश्न होंगे आब्जेक्टिव

इस दौरान सभी प्रश्न ऑब्जेक्टिव टाइप होंगे। परीक्षा आफलाइन होगी या आनलाइन यह कोविड संक्रमण पर निर्भर करेगा। पीएचडी प्रवेश परीक्षा को लेकर पूछे जाने पर कोल्हान विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डा. पीके पाणि ने बताया कि इस प्रवेश परीक्षा को आवेदन की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। एक सप्ताह में उम्मीद है कि परीक्षा कमेटी को भी अधिसूचित कर दिया जाएगा। जनवरी से ही आवेदन का कार्य प्रारंभ हो सकता है।

जांच रिपोर्ट के कारण फंसी थी परीक्षा

वर्ष 2016 में आयोजित पीएचडी प्रवेश परीक्षा के डेढ़ साल बाद शोधार्थियों के निबंधन, पीएचडी की उपाधि तथा कक्षाओं को लेकर अनियमितता उजागर हुई थी। यहां तक बिना कक्षा किए हुए पीएचडी की उपाधि की बात सामने आ रही थी। बाद में राजभवन के आदेश पर तत्कालीन प्रोवीसी डा. रणजीत कुमार सिंह की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई गई। इस जांच कमेटी दो माह में अपनी 300 पन्नों की रिपोर्ट राजभवन को सौंपी थी। इसमें कई तरह की अनियमिताओं का जिक्र किया गया। राजभवन की ओर से इस अनियमितताओं को दूर करने का आदेश दिया। इसे दूर करने में चार साल लग गए।


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