पूर्वी सिंहभूम के सुदूर गांव की यह महिला बन गई देश का जाना-माना नाम, जानिए
देश की राजधानी नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में धालभूमगढ़ प्रखंड की आंगनबाड़ी सेविका शांति मुर्मू को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
घाटशिला (पूर्वी सिंहभूम), जेएनएन। झारखंड के पूर्वी सिंहभूम के सुदूरवर्ती गांव की यह महिला देश का जाना-माना नाम बन गई। लोगबाग उसकी प्रशंसा करते नहीं थक रहे। बधाई देनेवालों का तांता लगा है। हालांकि, यह सफर आसान नहीं था। यह संभव हुआ है सेवा के प्रति समर्पण की वजह से। वैसा समर्पण जो औरों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई।
देश की राजधानी नई दिल्ली में सोमवार को आयोजित एक कार्यक्रम में धालभूमगढ़ प्रखंड की आंगनबाड़ी सेविका शांति मुर्मू को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने उन्हें सम्मानित किया। झारखंड से दो आंगनबाड़ी सेविकाओं को यह पुरस्कार मिला है जिनमें तमाड़ की सेविका बहालेन भेंगरा भी शामिल है।
28 वर्षों से हैं आंगनबाड़ी सेविका
शांति मुर्मू को मेनका गांधी ने सम्मान स्वरूप 50 हजार की राशि व सर्टिफिकेट भेंट किया। सेविका शांति मुर्मू धालभूमगढ़ प्रखंड अंतर्गत कनास पंचायत के देरांग गांव की निवासी हैं। वह सेविका के पद पर 1991 से पदस्थापित हैं। पिछले 28 साल से उनके बेहतर कार्यों के लिए उन्हें सम्मानित किया गया है। इस दौरान धालभूमगढ़ की सीडीपीओ नीतू कुमारी भी मौजूद थी।
गदगद हैं बाल विकास परियोजना पदाधिकारी
धालभूमगढ़ की बाल विकास परियोजना पदाधिकारी नीतू कुमारी ने कहा कि यह गर्व की बात है। हमारे क्षेत्र की सेविका शांति मुर्मू को नेशनल अवार्ड मिला है। यह दूसरी सेविकाओं को बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रलय द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष में बेहतर कार्य करने वाली आंगनबाड़ी सेविकाओं को सम्मानित किया जाता हैं।
वर्ष 2017-18 के लिए पुरस्कार
महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग झारखंड सरकार द्वारा पूरे राज्य से बेहतर कार्य करने वाली आंगनबाड़ी सेविकाओं की सूची भारत सरकार के पास भेजी जाती है। जिसमें इस वित्तीय वर्ष 2017-18 में शांति मुर्मू को पुरस्कार के लिए चुना गया था।