कार्यप्रणाली में सुधार लाएं सेविका-सहायिका
आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन को लेकर उठ रहे सवालों के बीच शनिवा
संवाद सूत्र, चाकुलिया : आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन को लेकर उठ रहे सवालों के बीच शनिवार को बाल विकास परियोजना पदाधिकारी जीरामनी हेंब्रम ने नगर पंचायत क्षेत्र के तीन आंगनबाड़ी केंद्रों का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने केंद्रों में कई खामियां पाई। सुगनीबासा स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में सेविका वीणापाणि मल्लिक मौजूद थी, लेकिन वहां एक भी बच्चा नहीं था। तरंगा आंगनबाड़ी केंद्र की जांच के क्रम में सेविका नदारद मिली। पूर्णापानी आंगनबाड़ी केंद्र में 28 बच्चों को पोषाहार खिलाने की बात कही गई, जबकि वहां मात्र छह बच्चे ही उपस्थित थे। आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति से असंतुष्ट सीडीपीओ ने सभी सेविका-सहायिकाओं की बैठक बुलाकर उन्हें कार्यप्रणाली में सुधार लाने की चेतावनी दी। सीडीपीओ ने कहा कि जांच के क्रम में फर्जी उपस्थिति की बात सामने आई है। इसे कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। सभी सेविका-सहायिका अपने पोषक क्षेत्र के तीन से छह वर्ष के सभी बच्चों का नामांकन आंगनबाड़ी केंद्र में सुनिश्चित कराएं। सुबह 7:30 बजे केंद्र खोले तथा 11:30 बजे तक वहां मौजूद रहे। आंगनबाड़ी केंद्र का शौचालय एवं रसोईघर साफ सुथरा रखें। वृद्धि चार्ट समय पर भरते रहें। कोई भी जनप्रतिनिधि या आम आदमी आंगनबाड़ी केंद्र जाता है तो उसके साथ सही तरीके से पेश आएं। बैठक में मौजूद नगर पंचायत अध्यक्ष संध्या रानी सरदार ने कहा कि सेविका सहायिका अपनी जिम्मेदारी पूरी इमानदारी से निभाएं। जिस तरह अपना घर चलाती हैं उसी तरह आंगनबाड़ी केंद्र चलाएं। उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों को हरसंभव सहयोग करने का आश्वासन दिया। प्रखंड बीस सूत्री अध्यक्ष शंभूनाथ मल्लिक ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यरत सेविका-सहायिकाएं भी कई तरह की समस्याओं से जूझ रही है। सरकार उनके यथासंभव निष्पादन का प्रयास कर रही है। आपसी समन्वय के साथ मिलजुल कर बेहतर ढंग से आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन करें। बैठक में महिला पर्यवेक्षिका सविता सिन्हा ने भी अपने विचार रखे।
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चार महीने से नहीं मिला मानदेय : पुष्पा
आंगनबाड़ी कर्मियों की समस्याओं को रखते हुए सेविका-सहायिका संघ की प्रखंड अध्यक्ष पुष्पा महतो ने कहा कि बीते चार महीने से आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं को मानदेय नहीं मिला है। गत वर्ष का भी दो महीने का मानदेय बकाया है। इसके अलावा चावल की आपूर्ति बंद होने के बावजूद जिन सेविकाओं ने नवंबर 2017 तक अपने केंद्र पर खिचड़ी चलाया था, उनके विपत्र का भुगतान नहीं हुआ है। प्रखंड के कई आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत बेहद खराब है। कहीं भवन नहीं है, तो कहीं पीने का पानी। कहीं शौचालय नहीं है तो कहीं रसोईघर। इन सबके बावजूद सेविका-सहायिका ने अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रही हैं।