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ZAKAT: गरीबों का सहारा बन रही जकात की रकम, कोई करा रहा रोजगार; तो कोई पढ़ाई पर खर्च

कई ऐसे लोग हैं जो जकात का पैसा एकत्र कर गरीबों की मदद करते हैं। कोई किसी को कारोबार करा रहा है तो कोई किसी के इलाज में पैसा लगा रहा है। तो कोई किसी की तालीम पर खर्च कर रहा है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 29 May 2019 02:44 PM (IST)Updated: Wed, 29 May 2019 02:44 PM (IST)
ZAKAT:  गरीबों का सहारा बन रही जकात की रकम, कोई करा रहा रोजगार; तो कोई पढ़ाई पर खर्च
ZAKAT: गरीबों का सहारा बन रही जकात की रकम, कोई करा रहा रोजगार; तो कोई पढ़ाई पर खर्च

जमशेदपुर, मुजतबा हैदर रिजवी।  कुछ लोग दूसरों की मदद कर दिली सुकून हासिल करते हैं। जमशेदपुर शहर में कई ऐसे लोग हैं जो जकात का पैसा एकत्र कर गरीबों की मदद करते हैं। कोई किसी को कारोबार करा रहा है तो कोई किसी के इलाज में पैसा लगा रहा है। तो कोई किसी की तालीम पर खर्च कर रहा है। इस तरह, जकात का पैसा लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। 

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मानगो की शमीमा खातून बेहद गरीब हैं। वो घरों में काम कर घर चला रही हैं। उनके पति मोहम्मद दिलशाद बीमार हैं। पति की बीमारी के बाद शमीमा को घर का बोझ उठाना मुश्किल हो रहा है। ओमान में रहने वाले उलीडीह खानकाह निवासी माई कंट्री इज माई फैमिली के अध्यक्ष मोहम्मद शमीम ने जकात के 21 हजार रुपये एकत्र किए हैं। इनमें से 16 हजार रुपये लगा कर वो ठेला बनवा रहे हैं। ये ठेला वो शमीमा खातून को देंगे ताकि वो कोई दुकान लगा कर घर चलाने के साथ ही पति का इलाज करा सकें। जुगसलाई के इरशाद अहमद ने 11 हजार रुपये एकत्र कर दुकान चलाने के लिए गरीब मजदूर इकराम को दिए हैं। 

 इंजीनियरिंग के छात्र को देते हैं जकात का पैसा 

जकात के पैसे से तैयार किया जा रहा ठेला।

ज गसलाई के इफ्तेखार अली ने इस रमजान में जकात के 45 हजार रुपये एकत्र किए हैं। वो शहर के ही मानगो के इंजीनियङ्क्षरग के छात्र मो. अकरम को ये रकम भेजेंगे। मो. अकरम के पिता गरीब हैं। इसके बाद भी वो अपने बेटे को इंजीनियरिंग करा रहे हैं। अकरम की मदद पहले से कई संस्थाएं कर रही हैं। 

जकात के पैसे से बचाई बच्चे की जान 

मानगो के जाकिर नगर निवासी मो. वसीम के दो बेटे कतर में हैं। उन्होंने इस बार जकात के 35 हजार रुपये एकत्र किए थे। उन्होंने ये रकम पड़ोसी मोहम्मद वसी के बच्चे के इलाज पर खर्च कर दी। मो. वसी ठेला चलाते हैं। उनके पांच साल के बेटे हलीम पर बाइक चढ़ गई थी। उसे टीएमएच में भर्ती कराया गया था। वसीम अगर जकात के पैसे नहीं लगाते तो हलीम का इलाज नहीं हो पाता। 

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