टाटा स्टील समेत सभी उद्योग प्रदूषित कर रहे झारखंड के जमशेदपुर का पर्यावरण : सरयू राय
सरयू ने बताया कि स्थापना के वक्त टाटा स्टील की उत्पादन क्षमता एक मिलियन टन थी जो आज 11 मिलियन टन उत्पादन कर रहा है। इसका पर्यावरण पर व्यापक प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जमशेदपुर और आसपास के लोगों को पर्यावरण संबंधी चुनौतियों से जूझना पड़ेगा।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत संस्था लाइफ व युगांतर भारती की पर्यावरण पर दो दिवसीय कार्यशाला बिष्टुपुर स्थित होटल अलकोर में हुई, जिसमें दामोदर बचाओ आंदोलन के अध्यक्ष व जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। अपने संबोधन में सरयू ने बताया कि स्थापना के वक्त टाटा स्टील की उत्पादन क्षमता एक मिलियन टन थी, जो आज 11 मिलियन टन उत्पादन कर रहा है। इसका पर्यावरण पर व्यापक प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जमशेदपुर और आसपास के लोगों को पर्यावरण संबंधी चुनौतियों से जूझना पड़ेगा।
उन्होंने कहा सिर्फ अकेले टाटा स्टील को ही पर्यावरण प्रदूषण के मामले में सभी घसीटते हैं, पर एक दर्जन बड़े उद्योग हैं और कई दर्जन छोटे उद्योग भी लगातार प्रदूषण फैला रहे हैं। उन्होंने दलमा वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी के परिप्रेक्ष्य में कहा कि हवा का रुख जब दलमा की ओर जाता है, वहां रहने वाले जीव जंतुओं और आसपास के आदिवासियों पर उसका व्यापक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। संस्था लाइफ की ओर से पर्यावरणविद व वन्य प्राणी विशेषज्ञ डा. आरके सिंह ने पर्यावरण की चुनौतियां को लेकर कई बिंदुओं पर चर्चा की, जिसमें उन्होंने कल-कारखानाें से नदियों पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि जहां कहीं भी पर्यावरण से खिलवाड़ किया जाता है और लोगों का जीवन नारकीय बनाया जाता है। इसके खिलाफ भारत के संविधान में जीवन का अधिकार के तहत कोई व्यक्ति नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल या सर्वोच्च न्यायालय में निश्शुल्क मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। कार्यशाला सोमवार दोपहर तक चली। कार्यशाला में कई पर्यावरणविद मौजूद थे। सभी ने पर्यावरण की चुनौतियां को लेकर विभिन्न बिंदुओं पर अपना प्रकाश डाला।