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'मुर्दे' की गवाही से मुजरिम बना सिस्टम, जानिए क्या है मामला

मुर्दे की गवाही से सिस्टम मुजरिम बनकर कठघरे में है। अगर गवाही नहीं होती तो इस बात का भेद नहीं खुलता कि जिस इंसान को मृत घोषित कर पेंशन बंद कर दी गई है वह तो जिंदा है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 24 Feb 2019 02:51 PM (IST)Updated: Sun, 24 Feb 2019 02:51 PM (IST)
'मुर्दे' की गवाही से मुजरिम बना सिस्टम, जानिए क्या है मामला
'मुर्दे' की गवाही से मुजरिम बना सिस्टम, जानिए क्या है मामला

गालूडीह (पूर्वी सिंहभूम),  सुजीत सरकार।  'मुर्दे' की गवाही से सिस्टम मुजरिम बनकर कठघरे में है। अगर गवाही नहीं होती तो इस बात का भेद नहीं खुलता कि जिस इंसान को मृत घोषित कर पेंशन बंद कर दी गई है वह तो जिंदा है। जीते-जागते इंसान को भी कहां पता होता कि वह सिस्टम की फाइल में कब का मर चुका। 

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पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला प्रखंड इलाके के जोड़सा पंचायत के छोलागोड़ा गांव के स्वर्गीय देवी सिंह की 80 वर्षीय पत्नी नीरी देवी इस बात की जानकारी लेने निकली कि उनकी वृद्धावस्था पेंशन क्यों बंद हो गई है तो उनकी 'मौत' की सच्चाई सामने आई। उन्होंने पूर्व पंचायत समिति सदस्य राखो हरि महतो को जाकर पेंशन बंद होने की जानकारी दी तो महतो ने जिला कल्याण विभाग से जानकारी ली।

तब पता चला कि पेंशन रुकने की वजह खास है। दरअसल, पंचायत सचिव ने सत्यापन के दौरान नीरी देवी को मृत घोषित कर दिया था। इस वजह से नीरी देवी की पेंशन जिला कल्याण विभाग से रोक दी गई थी। सरकारी नियम के अनुसार पेंशनधारियों का प्रतिवर्ष सत्यापन पंचायत स्तर से किया जाता है। नियमत: पंचायत सचिव या जनसेवक घर-घर जाकर पेंशनधारी के जीवित रहने का प्रमाण प्रखंड कार्यालय को भेजते हैं। उसी आधार पर प्रखंड कार्यालय से जिला कल्याण विभाग को सूची भेजी जाती है।

ऐसे हुआ मामले का खुलासा 

नीरी देवी ने बताया कि 1995-96 में 100 रुपया से उनकी पेंशन शुरू हुई। बाद में 200, 400 व 600 रुपए हुई। 2 मई 2017 को अंतिम बार 600 रुपये पेंशन आई। उसके बाद पेंशन बंद हो गई। इसके बाद परिजनों के साथ पूर्व पंचायत समिति राखोहरी के पास जाकर जानकारी दी। कुछ दिन बाद पूर्व पंचायत समिति सदस्य ने बताया कि जांच के दौरान उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इस वजह से पेंशन कर दी गई है।

अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी

पूर्व पंचायत समिति सदस्य राखोहरी महतो कहते हैं कि अधिकारी व कर्मचारी ईमानदारी पूर्वक काम नहीं करते हैं। यही कारण है कि घर में बैठकर पंचायत सचिव ने किसी के कहने पर जीवित व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया। जब जिला कल्याण विभाग गया तो मामले की जानकारी हुई। वे इस मामले को लेकर न्यायालय तक जाएंगे।

कानूनी कार्रवाई की मांग

ग्रामीण कालीपदो सिंह, बुरिया सिंह एवं बुद्वेश्वर सिंह ने कहा कि कर्मचारी घर में नहीं आकर बिचौलिया के माध्यम से जीवित व्यक्ति को मृत घोषित कर देता है। गांव में अबतक कई ऐसे लोग हैं जिन्हें पेशन मिलनी चाहिए नहीं मिल रही है और जिसको मिल रही है उसका बंद करवा दिया गया। ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होना चाहिए। 

मुखिया मानते पंचायत सचिव की भूल

नीरी देवी को मृत घोषित कर पेंशन बंद कर देने की जानकारी मुझे पूर्व पंचायत समिति से हुई है। यह गंभीर मामला है। पंचायत सचिव की भारी भूल के कारण ही ऐसा हुआ है। नीरी देवी का पुन: पेंशन स्वीकृत के लिए फार्म भर दिया गया है। जल्द ही शुरू कर दी जाएगी।  

-मंगल सिंह, मुखिया, जोड़सा पंचायत

बीडीओ करायेंगे जांच

पेंशनधारी का भौतिक सत्यापन ग्राम सभा के माध्यम से प्रतिवर्ष किया जाता है। ग्राम सभा में किसी पेंशनधारी पर दुविधा होने पर स्थल पर जाकर जांच करना है। किसी से जानकारी लेकर पेंशनधारी को मृत घोषित नहीं किया जा सकता। ये मामला मेरे संज्ञान में नहीं हैं। जांच कराई जाएगी।

- संजय पांडेय, प्रखंड विकास पदाधिकारी, घाटशिला।


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