गैंग्स ऑफ जमशेदपुर: जिसने दिखाई आंख बना इस गैंगस्टर का निशाना
गैंग्स ऑफ जमशेदपुर का यह गैंगस्टर कुछ अगल किस्म का है। इसे जिसने आंख दिखाई गोलियों का निशाना बना।
जमशेदपुर (जेएनएन)। मिनी भारत के रूप में परिचित झारखंड का औद्योगिक शहर जमशेदपुर। उद्योगों के लिए इस शहर को जितनी नेकनामी मिली है, उससे अधिक यहां सक्रिय आपराधिक गिरोहों ने बदनामी दी है। यहां आपराधिक बर्चस्व के लिए गिरोहों के बीच खून-खराबा आम है। लेकिन गैंग्स ऑफ जमशेदपुर का यह गैंगस्टर कुछ अगल किस्म का है। इसे जिसने आंख दिखाई या उसके फरमान का तामिला नहीं किया, गोलियों का निशाना बना। नाम हैं अखिलेश सिंह। यह शख्स फिलहाल जेल की सलाखों के पीछे है, पर हनक कायम है।
अखिलेश सिंह के खिलाफ वर्ष 2001 से अब तक जो आपराधिक मामले दर्ज हैं इनमें चर्चित मामलों में जेलर उमाशंकर पांडेय, व्यवसायी ओम प्रकाश काबरा, टिस्को के सुरक्षा अधिकारी जयराम सिंह, कारोबारी अशोक शर्मा, आशीष डे, परमजीत सिंह हत्याकांड, जज आरपी रवि पर फायरिंग, सब इंस्पेक्टर अरविंद कुमार और अरविंद सिंह पर फायरिंग समेत कई मामले हैं। अखिलेश सिंह गिरोह ने बिल्डर, व्यापारी, ठेकेदार, राजनीतिक दल के नेता किसी को भी नहीं बक्शा।
कोर्ट कैंपस में हुई थी उपेंद्र की हत्या
तथ्यों की गवाही है कि जमशेदपुर व्यवहार न्यायालय के बार एसोसिएशन भवन के दूसरे तल पर बागबेड़ा कॉलोनी निवासी ट्रांसपोर्टर उपेंद्र सिंह की 30 नवंबर 2016 को भरी भीड़ के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या में शामिल दो शूटरों को भीड़ ने न्यायालय में दबोच लिया था। पूछताछ में दोनों ने पुलिस को बताया था कि अखिलेश सिंह ने हत्या करवाई। पुलिस उसकी तलाश में लगी थी। इस बीच उपेंद्र सिंह के सहयोगी सोनारी निवासी अमित राय की हत्या गिरोह ने 6 दिसंबर 2016 को कर दी थी। पुलिस ने अखिलेश सिंह के सिदगोड़ा 28 नंबर रोड स्थित आवास की कुर्की 2 दिसंबर 2016 को और बिरसानगर स्थित सृष्टि गार्डेन आवास की 23 दिसंबर 2016 को कुर्की जब्ती की थी।
जमशेदपुर के थानों में दर्ज हैं 56 मामले
अखिलेश सिंह के खिलाफ शहर के विभिन्न थानों में कुल 56 आपराधिक मामले दर्ज है। साकची कारा के जेलर उमाशंकर पांडेय की हत्या में अखिलेश सिंह को न्यायालय ने 3 जनवरी 2006 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस मामले में उसे उच्च न्यायालय से जमानत मिली थी। उपेंद्र सिंह और अमित सिंह की हत्या के बाद झारखंड उच्च न्यायालय ने उसकी जमानत को रद कर दिया था। अखिलेश सिंह मूल रूप से बिहार के बक्सर जिले के डुमरांव सिमरी नगवा धनंजयपुर का रहने वाला है। पहली बार पुलिस ने उसे बक्सर आवास से 2004 में दबोचा था।
अखिलेश सिंह की तलाश में दून से पकड़ा गया विक्रम शर्मा
अखिलेश सिंह की तलाश के दौरान पुलिस टीम ने उसके सहयोगी विक्रम शर्मा को उत्तराखंड के देहरादून से 15 अप्रैल 2017 को गिरफ्तार किया था। विक्रम शर्मा का आवास शहर के एमजीएम थाना क्षेत्र के आशियाना में भी है।
गुरुग्राम से पकड़ा गया अखिलेश सिंह
11 अक्टूबर 2017 को अखिलेश सिंह मुठभेड़ के बाद गुरुग्राम में पत्नी गरिमा सिंह के साथ पकड़ा गया। गुरुग्राम पुलिस ने दोनों को अवैध रुप से आम्र्स रखने और पुलिस पर फायङ्क्षरग के मामले में जेल भेज दिया। मुठभेड़ में अखिलेश सिंह को घुटने में गोली लगी थी। वह लंबे समय तक इलाजरत रहा।
2 नवंबर 2017 को रिमांड पर लेकर जमशेदपुर पहुंची थी पुलिस
2 नवंबर 2017 को गुरुग्राम से रिमांड पर अखिलेश सिंह और उसकी पत्नी गरिमा सिंह को पुलिस लेकर जमशेदपुर पहुंची थी। दोनों को पुलिस ने दस दिनों की रिमांड पर लेकर पूछताछ की थी। घाघीडीह सेंट्रल जेल उसे भेजा गया। 30 नवंबर को अखिलेश सिंह को जेल प्रशासन ने विधि व्यवस्था और सुरक्षा कारणों से दुमका जेल भिजवा दिया।
2016 से अब तक तक के दर्ज मामले
अखिलेश सिंह के खिलाफ नवंबर 2016 से 2017 अब तक छह मामले दर्ज किए गए। इन मामलों में उपेंद्र सिंह की कोर्ट परिसर में हत्या, सोनारी में उपेंद्र सिंह के सहयोगी अमित राय की 6 दिसंबर 2016 को हत्या, साकची में सितंबर 2016 में अमित राय पर फायङ्क्षरग और गोलमुरी थाने में 30 अगस्त को स्क्रैप कारोबारी से रंगदारी मांगने के मामले हैं।