जमशेदपुर में खतरनाक रूप से बढ़ रहा है वायु प्रदूषण, लोगों की घट रही उम्र Jamshedpur news
जमशेदपुर की प्रदूषित हवा में निरंतर अवधि में सांस लेने से एक औसत निवासी का जीवन 4.3 साल से अधिक कम हो सकता है। ये तथ्य ईपीआईसी की गणना में सामने आए हैं।
जमशेदपुर, जेएनएन। झारखंड के जमशेदपुर में खतरनाक रूप से बढ़ रहा वायु प्रदूषण लोगों की उम्र घटा रही है। सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड ) ने वायु गुणवत्ता और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा की विभिन्न रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को शहर में एक स्टेकहोल्डर जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया। जिसमें वायु प्रदूषण और इसके सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों पर चर्चा हुई।
जमशेदपुर में बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने के लिए क्लीन एयर ऐक्शन प्लान सहित विभिन्न नीति-नियामक तकनीकी हस्तक्षेपों पर भी चर्चा हई। कार्यशाला के विशेषज्ञों ने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक क्षेत्रीय दृष्टिकोण के साथ क्लीन एयर ऐक्शन प्लान (स्वच्छ वायु कार्य योजना ) बनाने और इसे सरकार से लागू करने का आग्रह किया ।
वायु की गुणवत्ता तेजी से हो रही खराब
जमशेदपुर की प्रदूषित हवा में निरंतर अवधि में सांस लेने से एक औसत निवासी का जीवन 4.3 साल से अधिक कम हो सकता है। ये तथ्य ईपीआईसी (Energy policy Institute of Chicago) द्वारा विकसित एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स (AQLI) की गणना में पाया गया । जमशेदपुर के वायु प्रदूषण पर प्रकाश डालते हुए सीड की कार्यक्रम अधिकारी अंकिता ज्योति ने कहा कि जमशेदपुर शहर में वायु प्रदूषण चिंताजनक स्तर पर है। शहर की वायु गुणवत्ता लगातार तेजी से खराब हो रही है जिसका गंभीर परिणाम लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा हैं ।
छह वर्षों से शहर झेल रहा गंभीर परिणाम
वर्ष 2016 में वायु प्रदूषण के कारण राज्य में प्रति 1 लाख जनसंख्या पर 100 मौतें हुई हैं। जमशेदपुर की स्थिति के बारे में उन्होंने ज्योति ने कहा कि जमशेदपुर पिछले छह वर्षों से वायु प्रदूषण के गंभीर परिणाम को झेल रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर देखा जाए तो जमशेदपुर में PM10 की वार्षिक औसत सांद्रता वर्ष 2017 में 131 mg /m³ था, जो राष्ट्रीय मानक (सुरक्षित सीमा) से 2 गुना और WHO के मानक(सुरक्षित सीमा )से 6 गुना अधिक है। वहीं वर्ष 2012 में 150 μg / m3 नोट किया गया, 116 μg / m3 2013 में 134 μg / m3 (2015) और 2016 में 136 μg / m3 था ।
ये रहे प्रदूषण के मुख्य श्रोत
अंकिता ज्योती ने बताया कि 2018 में प्रदूषण के लिए योगदान देनेवाले मुख्य स्रोत में गाड़ियो से निकलने वाले उत्सर्जन, उद्योगों से होने वाले उत्सर्जन, निर्माण गतिविधियों से उड़ने वाले धूल , खुले अपशिष्ट जलाने से निकलने वाला धुआँ, डीजल जनरेटर और ईंट भट्टे की चिमनी हैं। ज्योति ने सरकार से क्लीन एयर ऐक्शन प्लान(स्वच्छ वायु कार्य योजना) को तैयार करके इस गंभीर पर्यावरणीय चिंता का समाधान करने का आग्रह किया।
इन बीमारियों का ज्यादा खतरा
PM को पर्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter) या कण प्रदूषण (particle pollution) भी कहा जाता है, जो कि वातावरण में मौजूद ठोस कणों और तरल बूंदों का मिश्रण है। हवा में मौजूद कण इतने छोटे होते हैं कि आप नग्न आंखों से भी नहीं देख सकते हैं। कुछ कण इतने छोटे होते हैं कि इन्हें केवल इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का उपयोग करके पता लगाया जा सकता है। कण प्रदूषण में PM 2.5 और PM 10 शामिल हैं जो बहुत खतरनाक होते हैं। जब आप सांस लेते हैं तो ये कण आपके फेफड़ों में चले जाते हैं जिससे खांसी और अस्थमा के दौरे पढ़ सकते हैं। उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, स्ट्रोक और भी कई गंभीर बीमारियों का खतरा बन जाता है। इसके परिणामस्वरूप समय से पहले मृत्यु भी हो सकती है.
दिल और फेफड़ों की बीमारी वालों को ज्यादा खतरा
शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा, वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों को बुरी तरह प्रभावित होने की संभावना रहती है। दिल और फेफड़ों की बिमारी वाले लोगों को वायु प्रदूषण से काफी खतरा हो सकता है।
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