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38 दिनों बाद शेख समीर के शव को नसीब हुई पैतृक मिट्टी

पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला थाना क्षेत्र के फुलपाल गांव के 26 वर्षीय युवक शेख समीर का शव तमाम प्रयासों के बाद अपने गांव पहुंचा। समीर की मौत पिछले 16 जनवरी को सउदी अरब के अरबीयन स्पार कंपनी लिमिटेड अल जुबेल में कार्य करने के दौरान एक दुर्घटना में मौत हो गई थी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Feb 2020 12:19 AM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2020 06:20 AM (IST)
38 दिनों बाद  शेख समीर के शव को नसीब हुई पैतृक मिट्टी
38 दिनों बाद शेख समीर के शव को नसीब हुई पैतृक मिट्टी

संवाद सूत्र, गालूडीह : पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला थाना क्षेत्र के फुलपाल गांव के 26 वर्षीय युवक शेख समीर का शव तमाम प्रयासों के बाद अपने गांव पहुंचा। समीर की मौत पिछले 16 जनवरी को सउदी अरब के अरबीयन स्पार कंपनी लिमिटेड अल जुबेल में कार्य करने के दौरान एक दुर्घटना में मौत हो गई थी। 38 दिन बाद काफी प्रयास से शव को कोलकता स्थित दमदम एयरपोर्ट पहुंचा। वहां से एंबुलेंस द्वारा शव को घाटशिला के फुलपाल गांव लाया गया। विदित हो कि शव लाने के लिए घाटशिला से दिल्ली तक गुहार लगाना पड़ा था। शेख समीर की मौत के बाद शव को गांव लाने में परिजनों को बहुत मशक्कत करनी पड़ी। नेता, जन प्रतिनिधि से लेकर जिला प्रशासन और केंद्र सरकार से गुहार की गई थी तब जाकर शेख समीर का शव को अपने वतन लाने का प्रयास शुरू हुआ। शव पहुंचते ही रिश्तेदार व पूरे गांव में मातम छा गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। हर एक के आंख से आंसू रूकने का नाम नहीं ले रहा था। अंतत: मुस्लिम रीति रिवाज से शेख समीर के शव को मिट्टी में दफना दिया गया।

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शेख समीर अपनी बहन की शादी के खर्च के लिए पैसे कमाने था विदेश

मृतक अरबियन कंपनी में दुर्घटना से हुई मौत के बाद 38 दिन बाद जब शव गांव पहुंचा तो परिजनों के साथ-साथ उसके दोस्तों का आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा है। मृतक के दोस्त शेख सद्दाब व सोनू ने रोते हुए हालत में बताया कि शेख समीर परिवार का एक मात्र कमाऊ लड़का के साथ बूढ़े मां बाप का सहारा था। दोस्तों ने कहा कि वह जाने के कुछ दिन पहले कह रहा था की अब विदेश में नौकरी करने का मन नहीं हैं लेकिन छोटी बहन की शादी करवाना मेरी जिम्मेवारी है, इसलिए इस बार जा रहें हैं और आने के बाद बहन की शादी करवाने के बाद और नहीं जाएंगे। दोस्तों ने कहा समीर तो नहीं आया लेकिन उसका शव गांव पहुंचा।


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