Birsa Jayanti: बिरसा जयंती पर आदिवासी सेंगेल अभियान का होगा संकल्प दिवस
Birsa Jayanti आदिवासी सेंगेल अभियान 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को संकल्प दिवस के रूप में मनाएगा। अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा कि बिरसा मुंडा की जयंती पर 5 प्रदेशों के करीब 44 जिलों के विभिन्न क्षेत्रों में संकल्प दिवस मनाया जाएगा।
जमशेदपुर, जासं। आदिवासी सेंगेल अभियान 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को संकल्प दिवस के रूप में मनाएगा। आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि बिरसा मुंडा की जयंती पर 5 प्रदेशों के करीब 44 जिलों के विभिन्न क्षेत्रों में संकल्प दिवस मनाया जाएगा। इसमें सरना धर्म कोड और झारखंड में संताली राजभाषा के रूप में मान्यता दिलाने सहित अन्य 6 मुद्दों को सफल बनाने का संकल्प लिया जाएगा।
सती प्रथा की तरह खत्म हो डायन बिसाही
आज ओडिशा के सात जिलों को छोड़कर जहां कांग्रेस पार्टी के द्वारा ओडिशा बंद का आह्वान है, झारखंड, बंगाल, बिहार और असम के लगभग 35 जिलों में सेंगेल द्वारा सती प्रथा की तरह आदिवासी गांव-समाज से डायन प्रथा को जड़ मूल समाप्त करने के लिए सभी जिला मुख्यालयों में धरना प्रदर्शन के माध्यम से जिलों के उपायुक्त और एसपी को ज्ञापन पत्र सौंपा जा रहा है।
झारखंड में पीएसी का गठन संविधान विरोधी
सालखन मुर्मू ने कहा कि झारखंड सरकार द्वारा चार जून 2021 को टीएसी (आदिवासी सलाहकार परिषद) का संविधान बिरोधी गठन करना तथा 11 नवंबर 2020 को झारखंड विधानसभा में पारित 'सरना आदिवासी धर्म कोड' बिल को बिना राज्यपाल (झारखंड) की अनुशंसा से केंद्र को भेजना अब गलत साबित हो रहा है। दोनों अहम मुद्दों के लिए हेमंत सरकार दोषी है। इसी प्रकार हेमंत सोरेन ने 23 मार्च 2021 को शहरों के विस्तारीकरण के नाम पर लैंड पूल बिल पास कर सीएनटी/ एसपीटी कानून को तोड़ने का काम किया है। 27-28 अगस्त 2021 को दिल्ली में उद्योगपतियों के साथ 10 हजार करोड़ रुपयों का एमओयू किया है। रघुवर दास की भाजपा सरकार ने भी सीएनटी/ एसपीटी कानून तोड़ कर रांची में लैंड बैंक के मार्फत हाथी उड़ाकर उद्योगपतियों के साथ करार किया था। हेमंत सरकार टीएसी, सरना धर्म कोड और सीएनटी/ एसपीटी के अहम मामलों पर स्वत: आदिवासी बिरोधी प्रमाणित हो जाती है।
बिरसा व सिदो के वंशज फटेहाल
सालखन ने कहा कि भारत सरकार द्वारा बिरसा जयंती पर अब हर साल देश में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने के फैसले का सेंगेल स्वागत करता है। मगर मुंडा विद्रोह या उलगुलान से आधी शताब्दी पूर्व 30 जून 1855 से प्रारंभ हुए संताल हूल को सम्मान देना भी जरूरी है, जो कार्ल मार्क्स के अनुसार अंग्रेजों के खिलाफ प्रथम जनक्रांति है। सिदो मुर्मू के नेतृत्व में हुए इस जनक्रांति को भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का दर्जा मिलना चाहिए न कि 1857 को। बिरसा मुंडा और सिदो मुर्मू के वंशज आज भी फटेहाल हैं। सेंगेल की मांग है कि वंशजों के लिये दो ट्रस्ट का गठन किया जाय और केंद्र / राज्य सरकारों द्वारा प्रत्येक ट्रस्ट को 100 करोड़ रुपये का फिक्स्ड डिपॉजिट दिया जाय, ताकि वंशजों का सम्मान, सुरक्षा, समृद्धि कायम हो जिनके बलिदान का प्रतिफल सीएनटी / एसपीटी कानून है।