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Adityapur Industrial Area: औद्योगिक क्षेत्र बनने के वर्षों बाद भी उद्यमियों को नहीं मिला मालिकाना हक

आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमी लंबे समय से जमीन का मालिकाना हक मांग रहे हैं जो आज तक पूरी नहीं हुई। इसे लेकर उद्यमी कई बार सरकार तक अपनी बात रख चुके हैं। आदित्यपुर स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के कई अध्यक्ष बदले लेकिन मांग जस की तस है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 03 Aug 2021 05:59 PM (IST)Updated: Tue, 03 Aug 2021 05:59 PM (IST)
Adityapur Industrial Area: औद्योगिक क्षेत्र बनने के वर्षों बाद भी उद्यमियों को नहीं मिला मालिकाना हक
आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में करीब 1200 कंपनियां अभी चल रही हैं।

चंदन, आदित्यपुर। आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमी लंबे समय से जमीन का मालिकाना हक मांग रहे हैं, जो आज तक पूरी नहीं हुई। इसे लेकर उद्यमी कई बार सरकार तक अपनी बात रख चुके हैं। आदित्यपुर स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के कई अध्यक्ष बदले, लेकिन मांग जस की तस है। आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में करीब 1200 कंपनियां अभी चल रही हैं। वही दूसरी तरफ कर्नाटक, गुजरात के अलावा कई अन्य राज्यों में भूखंड का मालिकाना हक प्रदान कर दिया गया।

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इस सबंध में एसिया के पूर्व अध्यक्ष एसएन ठाकुर ने बताया कि यह मांग काफी पहले से चली आ रही है, लेकिन आज तक पूरी नहीं हुइ। उद्यमी काफी परिश्रम से कंपनी स्थापित करते हैं, लेकिन जब उनका समय खराब होता है तो कंपनी का अधिग्रहण कर लिया जाता है। यह काफी दुख की बात है।

भूखंड का रेंट व लेवी का मामला भी कर रहा परेशान

आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में जियाडा द्वारा 2004 से उद्यमियों को भूखंड रेंट व लेवी का बिल देना बंद कर दिया गया। अब 2017 से जोड़कर सूद समेत बिल भेजा जा रहा है। उद्यमियों को लाखों का बिल मिल रहा है, जिससे उद्यमी परेशान हैं। निर्वतमान अध्यक्ष इंदर अग्रवाल ने बताया कि इस मामले में जियाडा गलत है। जब उद्यमियों को बिल मिला ही नहीं, बकाया कहां से आ गया। उद्यमी उस बिल का भुगतान क्यों करें, जो उनसे पहले मांगा ही नहीं गया था। इस मामले पर पहले उद्योग सचिव ने विभाग को समस्या का निदान करने का आदेश दिया था। जब उनका तबादला हो गया, तो विभाग पुराने ढर्रे पर आ गया। इसको लेकर एसिया ने शुरू में ही आंदोलन किया था।

अभी चल रही एसिया चुनाव की प्रक्रिया

फिलहाल एसिया चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। कइ पदों पर चुनाव निर्विरोध ही हो गए। कइ पदों पर मुकाबले के आसार हैं। चुनाव में जो मुद्दे उछल रहे हैं, उनमें मालिकाना का मुद्दा भी है। इस मांग को मजबूती से उठानेवालों की आेर उद्यमियों का स्वाभाविक झुकाव होगा।


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