आदित्यपुर की कंपनियों में लौटी रौनक, 75 फीसद तक उत्पादन
करीब छह माह बाद आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में वह रौनक दिख रही है जो लाकडाउन के पहले थी। मार्च के अंत में कोरोना की वजह से लगे लाकडाउन के बाद जो मजदूर पलायन कर गए थे वे भी लौट रहे हैं। कुछ बिहार में फंसे हैं उनके भी चुनाव बाद लौटने की उम्मीद है।
वीरेंद्र ओझा, जमशेदपुर : करीब छह माह बाद आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में वह रौनक दिख रही है, जो लाकडाउन के पहले थी। मार्च के अंत में कोरोना की वजह से लगे लाकडाउन के बाद जो मजदूर पलायन कर गए थे, वे भी लौट रहे हैं। कुछ बिहार में फंसे हैं, उनके भी चुनाव बाद लौटने की उम्मीद है। कंपनियां तो अगस्त में ही खुल गई थीं, लेकिन 25-30 फीसद तक उत्पादन हो रहा था। अब टाटा मोटर्स समेत अन्य वाहन कंपनियों में उत्पादन बढ़ने का असर यह हुआ कि अब यहां भी 75 फीसद तक उत्पादन हो रहा है।
आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में 1182 कंपनियां चल रही हैं, जिसमें लगभग 900 कंपनियां टाटा मोटर्स पर निर्भर हैं। इनमें भारी वाहनों के कल-पुर्जे बनाने से लेकर कास्टिग-फोर्जिंग की इकाइयां हैं। फिलहाल सभी बेहतर स्थिति में हैं।
सिंहभूम चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष अशोक भालोटिया बताते हैं कि अब तक हमने जो संकट झेला था, उसकी तुलना में काफी बेहतर स्थिति है। टाटा मोटर्स को करीब सात हजार भारी वाहनों का आर्डर मिला है। ये वाहन नवंबर से मार्च तक बनेंगे, जिससे इतना तो तय है कि अगले छह माह तक हम अच्छी स्थिति में रहेंगे। नवंबर में हमारी उत्पादन क्षमता भी सौ फीसद तक पहुंच जाएगी। भगवान से यही प्रार्थना है कि दोबारा कोरोना लौटकर नहीं आए। टाटा मोटर्स को भी इसी तरह आर्डर मिलता रहे। हमारी जानकारी के मुताबिक बाजार में वाहनों की मांग बढ़ने की उम्मीद है।
कुछ कंपनियां 80 से 90 फीसद उत्पादन कर रही हैं : इंदर
आदित्यपुर स्माल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (एसिया) के अध्यक्ष इंदर अग्रवाल ने कहा कि फिलहाल हम लाकडाउन से पहले की स्थिति में आ गए हैं। अभी यहां की कुछ कंपनियां 80-90 फीसद तक उत्पादन कर रही हैं, जो नवंबर में सौ फीसद तक पहुंच जाएगी। हालांकि एक बार कोई गाड़ी पटरी से उतर जाती है, तो उसे दोबारा पटरी पर आने और उसी रफ्तार में दौड़ाने में समय लगता है। कई परिस्थितियां इतनी बदल जाती हैं कि उन्हें अनुकूल बनाने में काफी कठिनाई होती है। इन सबके बावजूद हम खुश हैं।