कर्मचारी-ठेकेदार की गठजोड़ से 500-600 फीट तक बोरिग
पिछले पांच साल में आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में अंधाधुंध बोरिग हुई है। पिछले साल घटते भूजल स्तर की रिपोर्ट के बाद नगर निगम बोर्ड ने बोरिग के लिए नियम बनाया। उसके अनुसार कोई भी व्यक्ति घरेलू उपयोग के लिए सिर्फ 300 फीट तक बोरिग कर सकता है वो भी निगम की अनुमति के बाद। लेकिन निगम कर्मचारियों और बोरिग करने वाले ठेकेदार की गठजोड़ के कारण 500 से 600 फीट तक बोरिग हो रही है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : पिछले पांच साल में आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में अंधाधुंध बोरिग हुई है। पिछले साल घटते भूजल स्तर की रिपोर्ट के बाद नगर निगम बोर्ड ने बोरिग के लिए नियम बनाया। उसके अनुसार कोई भी व्यक्ति घरेलू उपयोग के लिए सिर्फ 300 फीट तक बोरिग कर सकता है, वो भी निगम की अनुमति के बाद। लेकिन निगम कर्मचारियों और बोरिग करने वाले ठेकेदार की गठजोड़ के कारण 500 से 600 फीट तक बोरिग हो रही है।
वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि निगम पाइप लाइन कनेक्शन नहीं दे रहा है। ऐसे में बोरिग ही विकल्प है। दरअसल, निगम क्षेत्र में 48 हजार मकान हैं, जिनमें सिर्फ नौ हजार मकानों में पेयजल स्वच्छता विभाग का कनेक्शन है। अगले तीन साल होगा जर्बदस्त दोहन, अगर पाताल में पानी बचा तो
अभी प्रतिदिन आठ से दस बोरिग की अनुमति निगम कार्यालय से दी जा रही है। वैसे सरकार हर घर में पानी की सप्लाई के लिए आदित्यपुर जलापूर्ति योजना शुरू की है। इसका कार्य प्रगति पर इसे पूरा होने में अभी तीन साल और लगेंगे। इसका मतलब हुआ कि अगले तीन साल निगम क्षेत्र में भू-गर्भ जल का जर्बदस्त दोहन होगा, अगर पाताल में पानी बचा तो।
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आदित्यपुर जलापूर्ति योजना लागत : 355.49 करोड़ रुपये।
लाभान्वित : 48 हजार मकान व 1400 औद्योगिक इकाइयां।
कार्य होगा
- 35 वाडरें में 484 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाई जाएगी।
- 11 जगहों पर जलमीनार का निर्माण होगा
- प्रतिदिन 60 मिलियन लीटर पानी की सप्लाई का लक्ष्य
- सीतारामपुर और शहरबेड़ा में ट्रीटमेंट प्लाट
वर्तमान स्थिति : कार्य प्रगति पर, पूरा में कम से कम तीन साल लगेंगे आंकड़े बोलते हैं
निगम क्षेत्र में मकान की संख्या : 48 हजार
पेयजल स्वच्छता विभाग का कनेक्शन : नौ हजार मकानों में
भू-गर्भ स्त्रोत पर निर्भर : 37 हजार मकान आदित्यपुर में बोरिग की अनुमति की प्रक्रिया
- नगर निगम एक साल के लिए दस हजार रुपये लेकर बोरिग करने वाली गाड़ी का रजिस्ट्रेशन करता है।
- रजिस्टर्ड गाड़ी निगम क्षेत्र में बोरिग कर सकती है।
- आवेदन के साथ होल्डिंग नंबर और मुखिया के आधार कार्ड की छायाप्रति देनी होती है।
- साथ में पांच सौ रुपये का शुल्क जमा करना पड़ता है।
- उसके बाद निगम के कर्मचारी स्थल निरीक्षण करते हैं, जिसमें आसपास के बोरिग की संख्या व स्थिति देखी जाती है।
- कर्मचारी की रिपोर्ट पर नगर निगम अनुमति देता है। पहली जून से बिना रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं होगी बोरिग
देश के 21 शहरों के डे जीरो के कगार पर खड़े होने की रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार ने भूमिगत जल के सीमित उपयोग के लिए कड़े नियम बनाए हैं। कोई भी व्यक्ति एक जून, 2019 से कहीं भी बोरिंग नहीं करा सकेगा। उसके लिए उसे स्थानीय निकाय या जिला प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। बोरिंग के लिए अनुमति के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य किया गया है। वैसे कृषि संबंधी कार्य के लिए जल का उपयोग करने वालों, गैर ऊर्जा उपाय जैसे रस्सी, बाल्टी, हैंडपंप के जरिए पानी निकालने वालों को छूट रहेगी। घरेलू उपयोग के लिए एक इंच व्यास के डिलीवरी पाइप के जरिए पानी निकालने पर परिवारों को छूट मिलेगी।