गांव के बच्चों के बीच शिक्षा का अलख जगा रहा यह शिक्षक
कोरोना को लेकर राज्यभर के स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई भी मानो लॉक हो गया। शिक्षा का महत्व समझते हुए गालूडीह के ग्रामीण क्षेत्र संथाल बहुल गांव धातकीडीह में बीकॉम पास युवक बादल सोरेन बच्चों को मुफ्त में पढ़ा रहे हैं।
गालूडीह : कोरोना को लेकर राज्यभर के स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई भी मानो लॉक हो गया। इसका सबसे ज्यादा असर ग्रामीण क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। शिक्षा का महत्व समझते हुए गालूडीह के ग्रामीण क्षेत्र संथाल बहुल गांव धातकीडीह में बीकॉम पास युवक बादल सोरेन बच्चों को मुफ्त में पढ़ा रहे हैं।
बादल सोरेन शिक्षित है, लेकिन बेरोजगार भी हैं। वह किसान है और खेती-बाड़ी से समय निकालकर आजकल गांव के बच्चों के बीच शिक्षा का अलख जगा रहे हैं। बादल वर्ष 2010 में घाटशिला कॉलेज से स्नातक करने के बाद जमशेदपुर में बैंकिंग कोचिंग किया। कई इंटरव्यू दिए पर नौकरी नहीं मिली। फिर गांव में आकर खेती बाड़ी करने लगे। लॉकडाउन में स्कूल बंद हुआ तो देखा कि गांव के बच्चे खेलकूद में ज्यादा समय बिता रहे हैं। ऐसे में बादल को बच्चों की पढ़ाई की चिंता सताने लगा। उसने बच्चों को इकट्ठा किया और निश्शुल्क शिक्षा देने लगे। गांव के लोगों का भी उन्हें साथ मिला।
शिक्षा बांटने से बढ़ता है ज्ञान : बदल
बादल सोरेन का मानना है, शिक्षा बेचना पाप है, इसे बांटना चाहिए। इससे ज्ञान बढ़ता है। बादल का कहना है की लॉकडाउन में देखा कि बच्चे पढ़ाई से ज्यादा खेलकूद समय बिताने लगे थे। पढ़ाई के प्रति लगाव कम हो रहा था। गांव के अभिभावक कम शिक्षित होने के कारण शिक्षा का महत्व नही समझ पा रहे थे। हमने सभी को समझाया। जबतक स्कूल बंद है, हम इन बच्चों को निश्शुल्क पढ़ाएंगे।