पूर्वी सिंहभूम के एक दर्जन पारा शिक्षक हुए नजरबंद, जानिए क्या है मामला
सरकार ने पठन-पाठन को धता बताकर आंदोलनात्मक गतिविधियों में संलग्न रहने वाले पारा शिक्षकों की पहचान करने का निर्देश दिया है।
जमशेदपुर(जेएनएन)। 15 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस के दिन विरोध प्रदर्शन की चेतावनी देने वाले पारा शिक्षकों के रुख को देखते हुए जिला प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से ले लिया है। मुख्य सचिव के निर्देश का पालन करते हुए पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन के निर्देश पर पुलिस ने एकीकृत पारा शिक्षक संघ के जिला स्तरीय नेताओं को नजरबंद करना प्रारंभ कर दिया है। सिर्फ यहीं नहीं इन पारा शिक्षक नेताओं को अपने थाने से अलग दूसरे थानों में रखा जा रहा है।
एकीकृत पारा शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सुमित तिवारी को 13 नवंबर से ही हिरासत में लेकर उलीडीह थाने के बदले बोड़ाम थाना में रखा गया है। वहीं जिला सचिव गोविंद गोप को चाकुलिया थाना में रखा गया है। डुमरिया से मिहिर कांति व रोहन पति को हिरासत में लेकर थाना में रखा गया है। जिलाध्यक्ष सुमित तिवारी ने बताया कि अब तक एक दर्जन से अधिक पारा शिक्षकों को पुलिस हिरासत में ले चुकी है।
हड़ताल की है तैयारी
16 नवंबर से प्रारंभ होने वाली पारा शिक्षकों की हड़ताल के बारे में उन्होंने कहा कि स्थापना दिवस के दिन राज्य स्तरीय नेता इस बारे में निर्णय लेंगे। वैसे पूर्वी सिंहभूम की जिला इकाई हड़ताल को लेकर पूरी तरह तैयार है। मालूम हो कि राज्य स्तरीय नेताओं ने राज्य सरकार से स्पष्ट कहा है कि यदि 15 नवंबर को उनकी मांगों पर सकारात्मक घोषणा नहीं की जाएगी तो वे काला झंडा दिखाएंगे और अगले दिन से हड़ताल पर चले जाएंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार उनकी मांगों को लेकर घोषणा करेगी तो वे सरकार के पक्ष में जय-जयकार करेंगे।
चलेगा नो वर्क नो पे का फार्मूला
सरकार ने पठन-पाठन को धता बताकर आंदोलनात्मक गतिविधियों में संलग्न रहने वाले पारा शिक्षकों की पहचान करने का निर्देश जिला शिक्षा पदाधिकारियों को दिया है। ऐसे शिक्षकों को अनुपस्थित करार देते हुए उनपर नो वर्क नो पे का फार्मला लागू करने के साथ-साथ उनसे स्पष्टीकरण मांगने तथा संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अनुबंध समाप्त करने की कार्रवाई करने को कहा है। राज्य परियोजना निदेशक उमाशंकर सिंह के स्तर से जारी निर्देश में पारा शिक्षकों के लिए एक दिसंबर से बायोमीट्रिक पद्धति से उपस्थिति अनिवार्य कर दिया गया है। उपस्थिति केआधार पर ही मानदेय के भुगतान की सख्त हिदायत दी गई है।
क्यों कर रहे पारा शिक्षक आंदोलन
दो सूत्री मूल मांग : एक स्थायीकरण तथा समान काम का समान वेतन, इसके लिए छत्तीसगढ़ या बिहार का फार्मूला लागू करने की मांग कर रहे हैं।
इन बातों पर सहमति होने का सरकार का दावा
-जेटेट पास पारा शिक्षकों की अनुमान्य अवधि पांच साल से बढ़ाकर सात साल किया गया।
- शिक्षक कल्याण कोष मद की राशि पांच करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ किया गया है।
- टेट पास पारा शिक्षकों के मानदेय में लगभग 20 फीसद वृद्धि की अनुशंसा की गई है।
-इसी तरह रसोइयों के मानदेय में प्रति माह 500 रुपये की वृद्धि की जा चुकी है।