Move to Jagran APP

सबरों के उत्थान को 'किसलय' ने बढ़ाया हाथ

By Edited By: Published: Thu, 17 Nov 2011 01:31 AM (IST)Updated: Thu, 17 Nov 2011 01:31 AM (IST)
सबरों के उत्थान को 'किसलय' ने बढ़ाया हाथ

जमशेदपुर, जागरण कार्यालय : लौहनगरी भले ही देश में औद्योगिक राजधानी के नाम से जानी जाती हो लेकिन शहर से थोड़ी दूर पोटका में कुछ ऐसे गांव हैं जहां विलुप्त प्राय आदिम जनजाति 'सबर' रहती है। विकास की किरणों से लगभग पूरी तरह मरहूम, सबर बाहरी दुनिया और विकास से दूर हैं। आदिवासी जनजाति में न तो शिक्षा का कोई मतलब है और न ही चिकित्सा का कोई आधार। ऐसे में इनके विकास की राह और कठिन हो जाती है जब सबरों में ही कई आदिम मान्यताएं प्रचलित भी हों। सबरों के विकास को कई स्वयंसेवी संस्थाओं नें इनके उत्थान के लिए कदम बढ़ाए हैं। इन्हीं में से एक है जमशेदपुर की यूथ यूनिटी फॉर वॉलेंटियर एक्शन 'युवा'। सबरों की नयी कोपलों (किसलय) को शिक्षित कर इनके विकास के लिए 'किसलय' नाम से दो ऐसे विद्यालय खोले हैं जो सबरों के उत्थान को गति दे रहे हैं। 'युवा' संस्था का पहला विद्यालय पोटका के कोपे गांव चाकरी में लगभग छह माह पहले खोला गया था। इसी क्रम में मंगलवार को भी 'किसलय' की ही एक और शाखा पोटका गांव ढेंगाम में खोली गई। उद्घाटन श्रीलेदर्स के शेखर डे ने किया। 'युवा' संस्था की सचिव वर्णाली चक्रवर्ती ने कहती हैं कि बच्चों को केवल साक्षर कर देना ही चुनौती से कम नहीं क्योंकि ये जाति विलुप्त होने के साथ अत्यन्त पिछड़ी हुई भी है। 'युवा' के संस्थापक अरविंद तिवारी का कहना है कि सबर जाति पर आज तक विकास की छाया नहीं पड़ी है।

loksabha election banner

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.