तमिलनाडु में 'बंधुआ' बनीं झारखंड की 700 बेटियां
नौकरी के नाम पर तमिलनाडु गई झारखंड की करीब 700 बेटियां सिर्फ चार से पांच हजार पगार पर 12 घंटे काम करने को मजबूर हैं।
जमशेदपुर, जेएनएन। कौशल विकास योजना के तहत नौकरी के नाम पर तमिलनाडु गई झारखंड की करीब 700 बेटियां सिर्फ चार से पांच हजार पगार पर 12 घंटे काम करने को मजबूर हैं। ये सभी लड़कियां टी-शर्ट बनाने वाली एक कंपनी में सिलाई-कटाई का काम कर रही हैं। आरोप है कि इनसे बंधुआ मजदूर की तरह काम लिया जाता है। बीमार होने पर छुट्टी भी नहीं दी जाती। सोमवार को पूर्वी सिंहभूम जिला उपायुक्त अमित कुमार के समक्ष तमिलनाडु से लौट कर आई जिले की दो बेटियों ने आपबीती बताते हुए पूरे मामले का खुलासा किया।
जमशेदपुर शहर के पटेल बगान सुंदरनगर की रहने वाली 19 वर्षीय कापरा मुर्मू और 22 वर्षीय कुंती हांसदा सोमवार को पूर्व विधायक रामदास सोरेन के साथ उपायुक्त से मिलने पहुंची थीं। बताया कि कुछ माह पूर्व तमिलनाडु की एक कंपनी सिलाई का काम कराने के लिए ले गई। कुंती हांसदा ने बताया कि काम के एवज में उन्हें चार से पांच हजार पगार दिया जाता है। सेहत खराब रहने पर किसी लड़की को अवकाश नहीं मिलता है। जब उन्होंने झारखंड आने की इच्छा जताई तो प्रबंधन भेजने से इंकार करते हुए प्रताडि़त करने लगा। इन लोगों ने इसकी सूचना किसी प्रकार परिवार को दी। परिजनों ने पूर्व विधायक रामदास सोरेन को जानकारी दी।
पूर्व विधायक के अनुसार, उन्होंने मामले को जिला उपायुक्त, वरीय पुलिस अधीक्षक के समक्ष रखा। जब प्रशासन ने पहल की तो कंपनी ने दोनों युवतियों को यहां भेज दिया। रविवार को दोनों अपने घर पहुंचीं। सोमवार को दोनों पूर्व विधायक रामदास सोरेन के साथ जिला उपायुक्त के यहां पहुंची थीं। कापरा मुर्मू की सेहत ज्यादा खराब देखकर उपायुक्त ने एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक से बात की। बेहतर इलाज करने का निर्देश दिया। कपरा मुर्मू ठीक से बोल भी नहीं पा रही है। पूर्व विधायक और युवतियों ने जिला उपायुक्त से तमिलनाडु से सभी युवतियों को वापस बुलाने की मांग की। उपायुक्त ने कहा कि यदि कोई युवती तमिलनाडु से लौटने की इच्छा जताएगी तो प्रशासन लाने का काम करेगा।