500 करोड़ रुपये के सिटी सेंटर की जगह कंटीली झाड़ियां, जानिए क्या है वजह
पर्यावरण विभाग से समय पर अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं मिलने के कारण आदित्यपुर सिटी सेंटर प्रोजेक्ट 13 वर्षो से ठंडे बस्ते में है।
जमशेदपुर [वीरेंद्र ओझा]। ऐसे समय में जब झारखंड सरकार विदेशी निवेशकों को यहां बुलाने के लिए हर कवायद कर रही है। पर्यावरण विभाग से समय पर अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं मिलने के कारण आदित्यपुर सिटी सेंटर प्रोजेक्ट 13 वर्षो से ठंडे बस्ते में है। पांच सौ करोड़ के इस प्रोजेक्ट के लिए आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में आयडा ने फोरम कंपनी को 25 एकड़ जमीन दी थी।
शर्त के अनुसार 18 महीने में निर्माण पूरा नहीं होने से आयडा ने करार रद कर दिया। कंपनी हाईकोर्ट में मुकदमा लड़ रही है। फैसले का इंतजार है। उधर, टाटा-कांड्रा मुख्य मार्ग पर उत्कल आटोमोबाइल के सामने चारदीवारी से घिरी यह जमीन झाड़ियों में समा गई है। बड़ी मुश्किल से एक-दो जगह दीवार पर सिटी सेंटर लिखा हुआ दिखता है। यह प्रोजेक्ट वर्ष 2005 में फोरम कंपनी को दिया गया था।
दो करोड़ से बनी चारदीवारी
वर्ष 2006 में गड्ढा भरने और समतल बनाने का काम शुरू हुआ। जमीन समतल बनाने के बाद वर्ष 2007 में दो करोड़ की लागत से चारदीवारी बनी। निर्माण कार्य से जुड़े लोगों के लिए कुछ कमरे बनाए गए। एक बिल्डिंग की नींव भी रखी गई। दूसरी बिल्डिंग की नींव के लिए गड्ढा खोदा गया। इसके बाद काम बंद हुआ तो दोबारा शुरू नहीं हुआ। तब प्रोजेक्ट की लागत पांच सौ करोड़ रुपये थी। अब करीब दो अरब खर्च करने पड़ेंगे।
सिटी सेंटर में प्रस्तावित थे ये महत्वपूर्ण निर्माण
यहां छह थियेटर के दो मल्टीप्लेक्स और शॉपिंग काम्प्लेक्स के अलावा 17तल्ला के छह भवन, एक मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल व एक गेस्ट हाउस बनाना था। आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की कंपनियों को कार्यालय मुहैया कराने के लिए 15 मंजिला भवन भी बनना था। खाली जमीन पर पार्क-फाउंटेन के अलावा गेमिंग सेंटर बनने थे।
अब हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार
करार रद होने के बाद फोरम कंपनी रांची हाईकोर्ट चली गई। उसका तर्क है कि उसे पर्यावरण विभाग से ससमय अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं मिला। इस कारण वह दोषी नहीं है। वहीं आयडा का कहना है कि शर्त के मुताबिक 18 महीने में निर्माण पूरा नहीं होने से करार रद कर दिया गया। अब कोर्ट के फैसले का इंतजार है। देखना यह होगा कि हाईकोर्ट कब फैसला सुनाता है।
भूमि पूजन के बाद पीछे हट गई थी पारले कंपनी
सिटी सेंटर के लिए प्रस्तावित जमीन पर पहले पारले कंपनी खुलनी थी। बात वर्ष 1995-96 की है। कोलकाता से कंपनी के एमडी अधिकारियों के साथ यहां आए थे। भूमि-पूजन भी किया, पर दोबारा लौट कर नहीं आए। कहा जाता है कि भूमि पूजन के बाद ही कंपनी अधिकारियों ने आयडा कार्यालय में फाइल सौंपकर कह दिया था कि यहां प्लांट नहीं लगाएंगे। पारले कंपनी यहां बिस्कुट व चाकलेट बनाने वाली थी।