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देश में चेक वापसी के 40 लाख मुकदमे न्यायालयों में लंबित Jamshedpur News

कैट की रिपोर्ट पर चिंता जताते हुए कन्फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने वित्त मंत्री व वाणिज्य मंत्री को पत्र लिख दिलाया ध्‍यान।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 12:40 PM (IST)Updated: Fri, 07 Feb 2020 12:40 PM (IST)
देश में चेक वापसी के 40 लाख मुकदमे न्यायालयों में लंबित Jamshedpur News
देश में चेक वापसी के 40 लाख मुकदमे न्यायालयों में लंबित Jamshedpur News

जमशेदपुर (जासं)। सिंहभूम चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के पूर्व अध्यक्ष व कन्फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण व वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है, जिसमें देश में  चेक वापसी की संख्या में हो रही तेजी पर ध्यान आकर्षित किया है।

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कैट के मुताबिक यह सबसे महत्वपूर्ण और ज्वलंत मुद्दा बन गया है, जिसके चलते देश में हो रहे व्यापार में चेक की साख कम हो गई है, जबकि देश में चेक बैंकिंग लेनदेन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। कैट ने कहा है कि चेक वापसी (चेक बाउंस) के मामलों में न्यायालयों से न्याय प्राप्त करने के लिए देश में पूरे व्यापारिक समुदाय को बेहद लंबे समय तक कानूनी प्रक्रिया से जूझना पड़ता है। उसके बाद भी पैसा नहीं मिलता है । 

कैट ने दे रखा है फास्‍ट ट्रैक कोर्ट के गठन का सुझाव 

कैट ने वित्त मंत्री को निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 की धारा 138 में संशोधन लाने के साथ इस महत्वपूर्ण मुद्दे से प्रभावी रूप से निपटने के लिए एक तत्काल विकल्प के रूप में बाउंस चेक के मामलों के त्वरित निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन का सुझाव दिया है। कैट ने विधि आयोग की 213 वीं रिपोर्ट पर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा है कि देश में  लगभग 40 लाख चेक बाउंस के मामले विभिन्न न्यायालयों में लंबित हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि न्यायालयों में लंबित मामलों में चेक बाउंस के मामले एक बड़ा हिस्सा है।

उल्लेखनीय है कि 20 जून, 2018 को न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने भी कहा कि अधीनस्थ न्यायालयों में 20 प्रतिशत से अधिक मामले बाउंस चेक से जुड़े हैं, जो दंड के साथ-साथ आर्थिक अपराध है। इन मामलों के मुकदमों के निर्णयों में तेजी लाने के लिए नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट अधिनियम की धारा 138 के तहत इन अपराधों के निस्तारण में तेजी आनी चाहिए।

साख बहाल करने को प्रभावी कदम उठाने की जरूरत : सोंथालिया 

सोंथालिया ने कहा कि सरकार द्वारा निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 की धारा 138 पर गौर करने और चेक जारी करने की साख को बहाल करने के लिए सरकार द्वारा प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। उपरोक्त  मामलों में कड़े प्रावधानों को रखने के लिए इस अधिनियम में संशोधन लाने के अलावा कैट ने सुझाव दिया कि एक तात्कालिक उपाय के रूप में, सरकार को देश में प्रत्येक जिला स्तर पर फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना करनी चाहिए, ताकि चेक बाउंस  मामलों का समयबद्ध तरीके से निपटारा किया जा सके।

उन्होंने आगे कहा कि यह ध्यान देने वाली बात है कि चेक वापसी के मामलों के निपटारे में गुजरात में सबसे अधिक समय लगभग औसतन 3,608 दिन (10 साल से थोड़ा कम) लगता हैं, जबकि हिमाचल प्रदेश में सबसे कम औसत  967 दिन (लगभग दो साल और नौ महीने) लगते हैं जो सीधे तौर पर न्यायिक कहावत  'न्याय में देरी, न्याय का खंडन' का एक जीवित उदाहरण है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के खिलाफ है। इन मामलों के निपटारे में हो रही देरी अदालतों की अक्षमता और  समय पर मुकदमों के निपटारे के  मौलिक अधिकारों का एक गंभीर उल्लंघन है। इस कारण से देश में नकद के लेन-देन, भ्रष्टाचार, नकली नोट जैसी प्रवृतियों को बढ़ावा मिलता है।

मामलों के निपटारे में लंबा समय लगने से कारोबार पर पड़ता है असर 

कैट ने यह भी कहा कि उच्च न्यायपालिका और विधायिका दोनों ने इस घटना पर चिंता व्यक्त की है और कई मौकों पर धारा 138 के तहत मामलों के तेजी से निपटान के लिए तंत्र को लागू करने की आवश्यकता को दोहराया है। इन मामलों की व्यावसायिक प्रकृति को देखते हुए, चेक बाउंस मामलों के निपटान में देरी से व्यापार बुरी तरह प्रभावित होता है और व्यापार में अविश्वसनीयता की भावना अधिक प्रबल होती है ।

भारतीय संसद के अपने भाषण में, वर्ष 2017-2018 के लिए वार्षिक बजट पेश करते हुए तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चेक बाउंस मामलों के निवारण के लिए कम समय की आवश्यकता के बारे में जोरदार बात की थी। मुकदमेबाजी की जटिलता पर टिप्पणी करते हुए इस प्रक्रिया को आसान करने की बात भी कही थी ! इस दृष्टि से अब इन मामलों के त्वरित निपटान में केंद्र सरकार को अविलंब कदम उठाना चाहिए।


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