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The Story Munch : द स्टोरी मंच में हुई कथा परब-2021 की शुरुआत, देश-विदेश के साहित्यकारों ने की शिरकत

The Story Munch जमशेदपुर की बहुभाषीय साहित्यिक संस्था सहयोग ने ऑनलाइन द स्टोरी मंच बनाया है जिसमें पांच जून से कथा परब की शुरुआत हुई। इसमें देश-विदेश के कथाकार जुड़कर अपनी-अपनी कहानी सुना रहे हैं। आइए आप भी जानिए।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 13 Jun 2021 11:38 AM (IST)Updated: Sun, 13 Jun 2021 11:38 AM (IST)
The Story Munch : द स्टोरी मंच में हुई कथा परब-2021 की शुरुआत, देश-विदेश के साहित्यकारों ने की शिरकत
कथा परब में शामिल देश-विदेश की कथाकार ।

जमशेदपुर, जासं। जमशेदपुर की बहुभाषीय साहित्यिक संस्था सहयोग ने ऑनलाइन द स्टोरी मंच बनाया है, जिसमें पांच जून से कथा परब की शुरुआत हुई। इसमें देश-विदेश के कथाकार जुड़कर अपनी-अपनी कहानी सुना रहे हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ द स्टोरी मंच की अध्यक्ष ऋचा सिन्हा के स्वागत भाषण से हुआ।

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इस कथा परब का विषय था पौराणिक कहानियां। कार्यक्रम की संचालक सहयोग की सदस्य इंदिरा पांडेय ने कहा कि पौराणिक कथाओं ने हमारे जीवन और विचारधारा को हर युग में संवेदनात्मक रूप से प्रभावित किया है। सर्वप्रथम "मानस के स्त्री पात्र" शीर्षक पुस्तक के विषय पर इसके संपादक डा. अरुण सज्जन ने अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि ये पात्र और इनके चरित्र अमूल्य धरोहर हैं, जिन्हें अगली पीढ़ी तक पहुंचाना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। कथा गोष्ठी में चार भाषाओं में कहानियां सुनाई गई। दिल्ली से डा. जसबीर कौर ने एक नए रूप में इंग्लिश में शबरी की कहानी पढ़ी। सहयोग की अध्यक्ष डा. जूही समर्पिता ने बड़े ही सरल और प्रभावी शब्दों में शबरी की प्रतीक्षा में श्रमना से शबरी बनने की कथा सुनाई। सचमुच शबरी निश्छल प्रेम की पराकाष्ठा है।

भोजपुरी कहानी सुनाकर किया भावविभोर

डा. संध्या सिन्हा ने "हं हम कुंती हंयी" शीर्षक से स्वरचित भोजपुरी कहानी सुनाकर सभी को भावविभोर कर दिया। उनकी दमदार प्रस्तुति सचमुच कुंती की वेदना और विवशता हर हृदय तक पहुंची। अंतिम प्रस्तुति थी मगही भाषा में "श्रवण कुमार की मातृ पितृ भक्ति" डा. कल्याणी कबीर की रोचक और सजीव प्रस्तुति सभी सुनने वालों को उनके बचपन तक ले गई। सचमुच अपनी भाषा की मिठास का अलग ही आनंद है। देश-विदेश से जुड़े सभी श्रोता-दर्शकों ने कार्यक्रम की सराहना की। इस कार्यक्रम को द स्टोरी मंच के फेसबुक पेज पर देखा जा सकता है। धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ। प्रबुद्ध श्रोताओं में बी चंद्रशेखर, श्रीप्रिया धर्मराजन, निर्मला ठाकुर, वरुण प्रभात, सुधा गोयल, डा. मुदिता चंद्रा, अविनाश, अपराजिता, अंजनी के अलावा देश-विदेश से लोग जुड़े थे। सभी ने पौराणिक कथा का आनंद लिया और द स्टोरी मंच का आभार व्यक्त किया।

बच्चों को सिखाई जा रही कहानी लेखन की कला

द स्टोरी मंच की तरफ से इन दिनों आॅनलाइन अंतरराष्ट्रीय कथा पर्व मनाया जा रहा है। इसमें देश-विदेश से सैकड़ों कथाप्रेमी शामिल हो रहे हैं। इसमें ऋचा सिन्हा (अध्यक्ष, स्टोरी मंच) छोटे बच्चों को कथा कहना, सुनना, लिखना, पढ़ना सिखाती हैं और इसके माध्यम से उन्हें प्रेरित करती हैं अपनी संस्कृति से जुड़ने की। 27 तारीख तक चलने वाले इस कथा परब में बच्चों के लिए अनेक प्रतियोगिताओं और वर्कशाॅप का आयोजन किया जा रहा है। दस जून को ॠचा झा ने 8 से 15 आयु वर्ग के बच्चों के लिए वर्कशाप में उन्हें कहानी लिखने की कला सिखाई और और पात्रों को कैसे गढ़ते हैं, बताया। बच्चों ने मौलिक लेखन से जुड़ी बातें सीख कर अगले दिन स्वयं अपनी-अपनी कहानी लिख कर सुनाई। पुस्तकों के प्रकाशन के विषय में भी ऋचा झा ने बच्चों को बताया। ऋचा झा अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखिका हैं और पिकल योक बुक्स संस्था की संस्थापक भी हैं।  12 जून को हेमा सुब्रमण्यम ने 7-9 वर्ष के बच्चों के लिए क्रिएटिव राइटिंग पर वर्कशाॅप किया।। स्टोरी गेम्स वर्कशाप का आयोजन मुंबई स्टोरी टेलर्स सोसाइटी की ऊषा वेंकटरमण ने किया। बच्चों को शालिनी बजाज सुवरे का ड्रैगन स्टोरी सत्र बहुत पसंद आया।  सिंगापुर से शीला वी (डायरेक्टर, फीस्ट) ने प्री-प्राइमरी शिक्षकों के लिए विशेष सत्र में कथा के माध्यम से गहराइयों तक विषय को कैसे समझा जाए बताया। अफ्रीका से काउफुट प्रिंस, उसिफो जलो व गुंजन सिन्हा ने मेंटल वेल बीइंग पर कहानियों के माध्यम से विशेष सत्र में डाक्टर और नर्स से जुड़कर उनका आभार व्यक्त किया।


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