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Fight Against Corona: कोरोना के इलाज में मददगार बना इंडो-डेनिश टूल रूम, रिम्स के लिए बना रहा आक्सीजन कनेक्टर

Fight Against Corona सरायकेला-खरसावां जिला स्थित इंडो-डेनिश टूल रूम में आक्सीजन कनेक्टर का निर्माण किया जा रहा है जिसकी आपूर्ति रांची स्थित झारखंड सरकार के अस्पताल रिम्स को की जाएगी। इस तरह टूल रूम कोरोना से जंग में मददगार बन गया है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 11 May 2021 05:28 PM (IST)Updated: Tue, 11 May 2021 05:28 PM (IST)
Fight Against Corona: कोरोना के इलाज में मददगार बना इंडो-डेनिश टूल रूम, रिम्स के लिए बना रहा आक्सीजन कनेक्टर
टूल रूम ने सबसे पहले आरटीपीसीआर किट बनाया, क्योंकि इसका आयात होता था।

जमशेदपुर, जासं। सरायकेला-खरसावां जिला स्थित इंडो-डेनिश टूल रूम में आक्सीजन कनेक्टर का निर्माण किया जा रहा है, जिसकी आपूर्ति रांची स्थित झारखंड सरकार के अस्पताल रिम्स को की जाएगी। इस तरह टूल रूम कोरोना से जंग में मददगार बन गया है।

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आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र स्थित भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय़ के तहत संचालित इंडो डेनिस टूल रूम कोरोना के इलाज में मददगार बन रहा है। टूल रूम के एमडी आनंद दयाल बताते हैं कि आईडीटीआर एक टेक्नोलॉजी सेंटर है। सरायकेला के अलावा पटना और वाराणसी में इसका एक्सटेंशन सेंटर है। कोविड की पहली लहर मार्च 2020 में आई थी, उसी वक्त हमने सोचना शुरू किया कि हम इसमें क्या सहयोग कर सकते हैं। इसके बाद इस दिशा में प्रयास शुरू किया गया।

सबसे पहले आरटीपीसीआर किट बनाया

कोरोना की लड़ाई में टूल रूम ने सबसे पहले आरटीपीसीआर किट बनाया, क्योंकि इसका आयात होता था। हमने यहां इसे खुद डिजाइन किया। यह पूरी तरह से स्वदेशी आरटीपीसीआर टेस्टिंग किट था। इसे आंध्रप्रदेश की कंपनी एएमटीजेड के सहयोग से तैयार किया गया। इस किट में 21 कंपोनेट होते हैं औऱ इनकी एक्यूरेसी चार माइक्रोन होती है। लॉकडाउन के वक्त रिकार्ड समय में 195 सेट डिस्पैच किया था। इसी तरह अस्पताल में फेश शील्ड की जरूरत थी। उस जरूरत को पूरा करने के लिए काम किया। इसे डिजाइन औऱ डेवलप किया और 8000 फेस शील्ड तैयार कर विभिन्न सरकारी अस्पतालों, फ्रंट लाइन वर्कर्स के साथ ही पटना के आईजीआईएस अस्पताल को दिया। टूल रूम ने सैनिटाइजर पंप भी डेवलप किया। पहले ये पंप चीन से आते थे। इसे इंजेक्शन मोल्डिंग का उपयोग करते हुए तैयार किया गया। इसमें 728 कंपोनेंट होते थे। इसके लिए मोल्ड बनाने की जरूरत थी। इसके बाद टूल रूम ने एक कंपोनेंट का मोल्ड बनाया और अहमदाबाद में टेस्टिंग की वहां से स्वीकृति मिली और इस क्षेत्र में देश की क्षमता भी बढ़ गई।

अभी आक्सीजन से संबंधित आवश्यकता

आनंद दयाल बताते हैं कि दूसरे वेव में दूसरी तरह की चुनौतियां हैं चैलेंजज हैं, जो पहले फेज में नहीं थी। अभी आक्सीजन की कमी हो रही है। इसका उत्पादन देखना होगा। आक्सीजन कंसंट्रेटर बनाने की जानकारी हमने अन्य एमएसएमई को दी है। रिम्स में एडॉप्टर कनेक्टर, जो आक्सीजन लाइन और वेंटिलेटर के बीच कनेक्ट करता है, की जरूरत थी। इसकी जरूरत पुराने और नए बिल्डिंग में थी। इसके बाद हमने इसे यहां डेवलप कर दिया। इसके अलावा 3900 फेस शील्ड डिस्पैच किए। अभी ऑक्सीजन फ्लो मीटर की कमी है। उसका सैंपल टूल रूम को मिला है। हमने इसका सैम्पल तैयार कर लिया है। अब सरकार के स्तर पर जांच व स्वीकृति मिलने पर उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा।


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