Dalma Fire: रोके नहीं रुक रही दलमा जंगल में आगलगी की घटना, सात दिनों में सात स्थानों पर लगी आग
Fire in Dalma. दलमा के जंगल में आग को रोकने के लिए वन विभाग ने भले ही कई स्थानों पर फायर वाचर को तैनात कर दिया है। इसके बावजूद घटना रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। एक सप्ताह में छह स्थानों पर आग लग चुकी है।
जमशेदपुर, जासं। दलमा की जंगल में आगलगी घटना को रोकने के लिए वन विभाग भले ही कई स्थानों पर फायर वाचर को तैनात कर दिया है। इसके बावजूद आगलगी की घटना रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। बीते एक सप्ताह में जंगलों में छह स्थानों पर आग लग चुकी है ।
आगलगी की घटना को गंभीरता से लेते हुए डीएफओ डा. अभिषेक कुमार ने रेंजर से पूछा है कि आखिर आग लगने का कारण क्या है। रेंजर को खुद घटनास्थल पर जाकर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है। रेंजर ने बताया कि पांच प्रमुख स्थानों पर फायर वाचर तैनात किए गए हैं जिनमें फदलोगोड़ा, गणेश मंदिर, माता मंदिर, मकुलाकोचा व पिड्राबेड़ा शामिल हैं।
इस तरह जंगल में लगती है आग
जंगल में आग लगने और इसके फैलने में मौसम की भूमिका महत्वपूर्ण रहती है। जैसे -जैसे तापमान बढ़ता है, गर्म हवाएं जंगलों में आग लगने के लिए अनुकूल माहौल बना देती है। इसका फायदा स्थानीय निवासी महुआ चुनने के लिए उठाते हैं। या तो बाद में जलावन के लिए सूखी लकड़ी के लिए आग लगाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सूखे की वजह से तेज़ धूप में पेड़, घास और छोटे जंगल सूखने लगते हैं और घर्शण से भी आग लग जाती है। इसके अलावा बीड़ी या सिगरेट बिना बुझाए जंगल में फेंक देने से भी आग लग जाती है।
अब तक इन जंगलों में लग चुकी है आग
दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के अंदर जंगलों में अब तक आध दर्जन से अधिक बार आग लग चुकी है। जिसमें दलमा के चांडिल एरिया में, एमजीएम कॉलेज के पीछे जंगल में, मानगो वन क्षेत्र के सुंदरनगर थाना क्षेत्र में, पातीपानी, आसनबनी मिर्जाडीह पहाड़ी में, आशियाना उडलैंड के पीचे जंगल में आग लग चुकी है।
इस तरह जंगल में बुझाए जाते हैं आग
इस संबंध में पूछने पर दलमा के रेंजर दिनेश चंद्रा कहते हैं कि आग बुझाने के लिए पर्याप्त संख्या में फायर वाचर की नियुक्ति की गई है। आग बुझाने सबसे अधिक कारगर होता है वह है फायर लाइन। रेंजर दिनेश चंद्रा कहते हैं कि जंगल में यदि आग लग गई तो उस पर काबू पाने का सबसे अच्छा तरीका होता है फायर लाइन बनाना। आग जिस दिशा से आगे की ओर बढ़ता जाता है, बढ़ने वाली दिशा में ही फायर लाइन बना दिया जाता है। इससे आग फायर लाइन के पास आकर अपने आप बुझ जाता है। इसके अलावा मकुलाकोचा व पिंड्राबेड़ा में पानी का टैंकर भी रखा जाता है। यदि गाड़ी पहुंचने के रेंज में आग लगी हो तो उसे पानी से भी बुझाया जाता है। इसके अलावा वन विभाग के पास 30 की संख्या में फायर ब्लोवर है। ब्लोवर का उपयोग आग वाले रास्ते से पत्ता को उड़ाने के लिए किया जाता है। जब पत्ता नहीं रहेगा तो आग अपने-आप बुझ जाता है। इसके अलावा जंगल में कई स्थानों पर तैनात फायर वाचर पूरी तरह निगरानी व भ्रमणशील रहते हैं ताकि कोई आग न लगा सकें।