Wild Animal Trafficking: बुलेट प्रूफ गाड़ी, जैके एवं बंदूक से लैस रहेंगे फाॅरेस्ट गार्ड, जानिए
Wild Animal Trafficking. दलमा केवल हाथियों का ही स्वर्ग नहीं बल्कि यहां औषधीय पौधों का भी खजाना है। दलमा का पूरा क्षेत्र 193.22 वर्ग किलोमीटर में है। गजराजों के घोषित अभ्यारण्य में हिरण कोटरा जंगली सूअर खरगोश मोर बंदर लाल गिलहरी आदि बहुतायत में हैं।
जमशेदपुर, मनोज सिंह। जंगल व जंगली जानवरों की तस्करी को रोकने के लिए अब बुलेट प्रूफ गाड़ी व गोली-बंदूक से लैस रहेंगे फॉरेस्ट गार्ड। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र व राज्य सरकार एक सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के साथ ही वन विभाग के आला अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया है।
खासकर वैसे वन एवं वन्य अभ्यारण्य जिसे जंगली जानवरों के लिए संरक्षित किया है। इस संबंध में जब दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के डीएफओ डा. अभिषेक कुमार से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश की जानकारी मिली है। उन्होंने गार्डों को सुरक्षा तकनीकि से लैस करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के संबंध में कहा कि उनके यहां 30 वनरक्षी हैं, जिन्हें सुरक्षा के लिए हथियार उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए वह जल्द ही बंदूक चलाने का प्रशिक्षण दिलाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट का क्या है आदेश
कुछ राज्यों में वन विभाग के कर्मचारियों पर हमलों की बढ़ती संख्या पर अमरावती स्थित एक एनजीओ द नेचर कंजरवेशन सोसाइटी की तरफ से दायर एक इंटरलॉक्यूरिटी ऐप्लिकेशन आईए पर 8 जनवरी को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को कहा कि वे वन रक्षकों को बंदूक और बुलेट प्रूफ गाड़ी, जैकेट जैसे रक्षात्मक उपकरण देने की नीतियां बनाएं। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े की अगुवाई वाली पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय में एक विशेष वन्यजीव प्रकोषठ बनाने का सुझाव दिया। क्योंकि वन्य जीव व वन संसाधनों का अवैध व्यापार अक्सर विदेशी मुद्रा में होता है। उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी ने इस बात पर ध्यान दिलाया कि वन विभाग के कर्मचारियों के लिए वन में अवैध अतिक्रमणकारियों, लकड़ी माफियाओं और शिकारियों से कितना खतरा है।
हाथियों के लिए संरक्षित है दलमा
दलमा केवल हाथियों का ही स्वर्ग नहीं बल्कि यहां औषधीय पौधों का भी खजाना है। दलमा का पूरा क्षेत्र 193.22 वर्ग किलोमीटर में है। गजराजों के घोषित अभ्यारण्य में हिरण, कोटरा, जंगली सूअर, खरगोश, मोर, बंदर, लाल गिलहरी आदि बहुतायत में हैं। कुछ वर्ष पहले बढ़ते प्रदूषण, जानवरों के शिकार व पेड़-पौधों की कटाई से दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी पर संकट के बादल गहराने लगे थे, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा जानवरों को बचाने के लिए दलमा क्षेत्र से सटे पांच किलोमीटर के क्षेत्र को इको सेंसेटिव जोन घोषित कर दिया, जिसका फायदा आज देखने को मिल रहा है। हाल ही में दलमा के जंगल में दुर्लभ सिवेट कैट भी देखने को मिला जो सुखद संकेत है।