Move to Jagran APP

Jharkhand Suicide : सेवानिवृत्ति में नहीं मिली फूटी कौड़ी, सदमे में डाक कर्मी ने दे दी जान

Jharkhand News. क्या बताएं लौटकर नौकरी से क्या लाए हैं घर से जवानी ले गए थे लौटकर बुढ़ापा लाए हैं- मानवीय संवेदना को झकझोरने वाली ये पंक्तियां पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत पोटका थाना क्षेत्र के रोलडीह गांव निवासी निरोद वरण गोप पर सटीक बैठती है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 10:18 PM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 09:22 AM (IST)
Jharkhand Suicide : सेवानिवृत्ति में नहीं मिली फूटी कौड़ी, सदमे में डाक कर्मी ने दे दी जान
सरकारी नौकरी पा लेने की ख्वाहिश आज के दौर में तकरीबन हर युवा की होती है।

चाकुलिया, पंकज मिश्रा। ''क्या बताएं लौटकर नौकरी से क्या लाए हैं, घर से जवानी ले गए थे लौटकर बुढ़ापा लाए हैं''- मानवीय संवेदना को झकझोरने वाली ये पंक्तियां पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत पोटका थाना क्षेत्र के रोलडीह गांव निवासी निरोद वरण गोप पर सटीक बैठती है।

loksabha election banner

सरकारी नौकरी पा लेने की ख्वाहिश आज के दौर में तकरीबन हर युवा की होती है। चपरासी अथवा ग्रुप डी की भी बहाली हो तो भारी भरकम डिग्री धारी युवाओं की फौज उमड़ पड़ती है। लेकिन दशकों तक उसी सरकारी नौकरी को करने के बाद जब कोई खाली हाथ घर वापस लौटे तो उसकी मानसिक स्थिति क्या होगी इसका अंदाजा आसानी से नहीं लगाया जा सकता। संभवत: कुछ ऐसी ही मानसिक स्थिति से गुजर रहे रोलडीह गांव निवासी 60 वर्षीय निरोद वरण गोप ने मंगलवार को गले में रस्सी का फंदा डालकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। बुधवार को उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया। भले ही गोप ने खुदकुशी का मार्ग चुनकर अपनी कठिनाइयों एवं विपत्तियों से मुक्ति पा लिया पर अपने पीछे वे कई अनुत्तरित सवाल छोड़ गए। ये सवाल उनके सहकर्मियों एवं आम लोगों को कुरेद रहे हैं।

31 जनवरी को सेवानिवृत्त हुए थे गोप

निरोद वरण गोप डाक विभाग में ग्रामीण डाक सेवक के तौर पर लंबे समय से कार्यरत थे। डाक सेवकों के लंबे आंदोलन एवं मांग के बाद 9 साल पहले अन्य लोगों के साथ उनका भी नियमितीकरण किया गया था। वे जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित मुख्य डाकघर में कार्यरत थे। बीते 31 जनवरी को 60 वर्ष की आयु पूरा होने पर चार अन्य सहकर्मियों के साथ वह सेवानिवृत्त हो गए थे। सेवानिवृत्त डाक कर्मियों के लिए बकायदा विदाई समारोह भी आयोजित हुआ था। उनके साथ सेवानिवृत्त होने वाले अन्य डाक कर्मियों में किशुन राम, जे भट्टाचार्य, मीता राय घटक एवं उत्पल महापात्र शामिल है। बताया जा रहा है कि गोप को छोड़कर बाकी चारों डाक कर्मी 2004 से पहले की नियमावली के तहत बहाल थे। इसलिए उन्हें सेवानिवृत्ति पर लाखों रुपए की परिपक्वता राशि, पेंशन समेत अन्य सुविधाएं मिली। लेकिन गोप को फूटी कौड़ी भी नहीं मिल सकी। वेतन से कटकर जमा राशि के तहत उन्हें 80000 रुपए मिलने थे लेकिन वह भी सेवाकाल में ऋण लेने के कारण समायोजित हो गया था। लिहाजा अन्य डाक कर्मी जहां लाखों रुपए का चेक हाथ में लेकर विदाई समारोह से निकले, वहीं गोप खाली हाथ ही मन मसोसकर घर पहुंचे।

परिवार की माली हालत भी है दयनीय

दिवंगत निरोध गोप के सहकर्मियों के मुताबिक, उनके परिवार की माली हालत अत्यंत दयनीय है। घर में पत्नी दो बेटे, बहु एवं पोता पोती से भरा पूरा परिवार है। लेकिन आय का साधन इतना सीमित है कि पूरा परिवार स्वर्गीय गोप पर ही निर्भर था। इस बात का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि सेवानिवृत्ति के अगले ही दिन गोप वापस उसी बिष्टुपुर डाक घर जा पहुंचे जहां से उन्हें 1 दिन पहले ही विदाई दी गई थी। उन्होंने विभागीय पदाधिकारियों से दैनिक मजदूरी पर उन्हें रखने की गुहार लगाई। उन्हें रख भी लिया गया। उनके एक सहकर्मी डाक सहायक ने बताया कि सेवानिवृत्ति के बाद गोप बिल्कुल गुमसुम रहते थे। किसी से कोई बात नहीं करते। उनकी हालत मानसिक अवसाद ग्रस्त व्यक्ति की तरह थी। शायद, सेवानिवृत्ति में राशि नहीं मिलने से वह सदमे में थे। आर्थिक तंगी के कारण डाक कर्मी के जान देने से उनके सहयोगी सरकार की दोहरी नियमावली को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.