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कोरोना संक्रमित ट्रैकमेन की मौत ने साथी ट्रैकमेनों की नींद उड़ाई Jamshedpur News

अगर रेलवे ने ट्रैकमेन के बीच शारीरिक दूरी व अन्य सुविधाओं का ख्याल रखा होता तो शायद ट्रैकमेन के बीच दहशत का माहौल नहीं होता।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 08:02 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 08:02 PM (IST)
कोरोना संक्रमित ट्रैकमेन की मौत ने साथी ट्रैकमेनों की नींद उड़ाई Jamshedpur News
कोरोना संक्रमित ट्रैकमेन की मौत ने साथी ट्रैकमेनों की नींद उड़ाई Jamshedpur News

जमशेदपुर (गुरदीप राज)। टाटानगर में कार्यरत ट्रैकमेन की कोरोना संक्रमित होने से मौत गुरुवार को होने के बाद उसके साथ काम करने वाले साथी ट्रैकमेन दहशत में आ गए है। तबीयत खराब होने के दौरान कई ट्रैकमेन से मृतक ने मुलाकात की थी।

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अगर रेलवे ने ट्रैकमेन के बीच शारीरिक दूरी व अन्य सुविधाओं का ख्याल रखा होता तो शायद ट्रैकमेन के बीच दहशत का माहौल नहीं होता। चक्रधरपुर मंडल में गार्ड, चालक व  ट्रैक मेंटेनरों में कोरोना संक्रमण का खतरा गहराता जा रहा है। रेलवे इनके साथ सौतेला व्यावहार कर रही है। इन्हें न ही सैनिटाइजर दिया जा रहा है और न ही मास्क, दस्ताने भी कई ट्रैक मेंटेनरों के पास नहीं है।

इंजीनियरिंग विभाग के  चेहेते ग्रुप को सैनिटाइजर, मास्क की सुविधा तो चुपके से दे दी जाती है। लेकिन जो चहेते नहीं है उन्हें कोरोना की मार झेलने को लिए छोड़़ दिया जाता है। वार्ल्ड हेल्थ आर्गानाइजेशन के नियमों का भी उल्लंघन ट्रैक मेंटेनरों के मामले में हो रहा है। यह बातें मेंस कांग्रेस के मंडल संयोजक शशि मिश्रा ने कही। उन्होंनेे कहा कि गैंगमैन के हक में उनलोगों ने कई बार आवाज उठाई लेकिन उनकी  भी इंजीनियरिंग विभाग नहीं सुन रहा है। पत्राचार किया लेकिन कोई फायदा नहीं  हुआ।

जब गैंगमैन (ट्रैक मेंटेनर्स ) के प्रमोशन की  बात उठाई जाती है तो उनकी फाइल को छह-छह माह तक विभाग के अधिकारी दबा देते है। इन गैंगमैन के साथ सौतेले व्यवहार रेलवे कर रही है। वही अपने चेहते को पूरी सुविधा उपलब्ध कराई है रही है। तीन माह से लगातार गैंगमैनों को काम में बुलाया जा रहा है। जबकि दूसरे मंडलों में एक दिन ड्यूटी व एक दिन छुट्टी दी जा रही है। शारीरिक दूरी का भी इनके बीच ख्याल नहीं रखा जाता है। इमर्जेंसी ड्यूटी का बहाना बनाकर शारीरिक दूरी को यह विभाग के अधिकारी हवा कर दे रहे है। 

तीन माह से घर के बाहर नहाने को मजबूर

तीन माह से ट्रैक मेंटेनर अपने घर से  बाहर ही नहा रहे हैं और कपड़ों को घर के बाहर ही टांग रहे है। ड्यूटी में आने से पहले घर के बाहर रखे कपड़ों को पहनकर ड्यूटी आते हैं और वापसी में फिर उसी प्रक्रिया को अपना रहे है। जब तक ट्रैक मेंटेनर घर के बाहर नहा नहीं लेते। उनके सामने परिवार का कोई सदस्य नहीं आता। बच्चे अगर पिता के पास अाना भी चाहते हैं तो कभी मां खींच कर बच्चों को अंदर ले जाती है तो कभी ट्रैक मेंटनर ही बच्चों से दूर भागते हैं।

चक्रधरपुर मंडल में प्रत्येक कर्मचारी एक दूसरे को शक की निगाह से देख रहे है। हल्की छींक व खासी आने पर ही ट्रैक मेंटेनर्स दहशत में आ रहे है।  एक ग्रुप में 12-15 ट्रैक मेंटेनर से रेलवे काम ले रही है। खासकर टाटानगर में काम करने वाले ट्रेक मेंटेनरों को रेलवे कोरोना संक्रमण के बीच भी पूरा काम ले रही है। जबकि दूसरे मंडलों में एक दिन ड्यूटी, दूसरे दिन छुट्टी के तर्ज पर काम हो रहा है।

ड्यूटी नहीं आने पर छुट्टी को किया जा रहा एडजस्ट

रेलवे एक दिन ड्यूटी एक दिन छुट्टी की प्रक्रिया को ट्रैक मेंटेनरों पर नहीं अपना रही है तो दर्जनों ट्रैक मेंटेनर ड्यूटी पर नहीं आकर अपनी छुट्टी ही एडजस्ट करा रहे हैं ताकि कोरोना के संक्रमण से बचाव हो सके। एक ही औजार से दर्जनों कर्मचारी काम कर रहे है। लॉकडाउन की शुरुआत में तो इन कर्मचारियों को दस्ताना, हैंड सैनिटाजर व मास्क तक नहीं दिया गया था। लेकिन ट्रैक मेंटेनरों व यूनियन के नेताओं के विरोध के बाद रेलवे ने इन्हें मास्क व हैंड सेनिटाइजर देना तो शुरु कर दिया। लेकिन दस्ताना अब भी पुराना ही यह कर्मचारी इस्तेमाल कर रहे हैं। जबकि चक्रधरपुर मंडल में ही दूसरे विभाग के कर्मचारियों के एक दिन ड्यूटी व एक दिन छुट्टी का नियम लागू किया गया था। टाटानगर में चाकुलिया, धालभूमगढ़, ,सीनी से ट्रैक मेंटेनर्स काम करने के लिए आते हैं।

अपने चहेतों को मास्क व सैनिटाइजर उपलब्ध कराया जा रहा है।लेकिन दूसरे ट्रैक मेंटेनरों को बिना मास्क, हैंड सेनिटाइजर व दस्तानों के काम कराया जा रहा है। इंजीनियरिंग विभाग वर्ल्ड  हेल्थ आर्गानाइजेंसन के सिद्धाओं पर सुरक्षा की दृष्टि से अमल नहीं कर रही है। - शशि मिश्रा मंडल संयोजक मेंस कांग्रेस।


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