Positive India : 32 बरस बाद देखा रामायण तो चमक उठी आखें, तीन पीढ़ियां बनी गवाह Jamshedpur New
Positive India हर घर मंगल भवन अमंगल हारी.. की आवाज । सड़कों गली-मुहल्लों में सन्नाटा और तकरीबन हर घर से निकलती यही आवाज। यह इतिहास को दुहरा रही आवाज थी।
जमशेदपुर, जेएनएन। Positive India कहते हैं- अंधेरा तो सदा उजाले का वाहक होता है। जब सबकुछ खत्म हो जाता है तो नए की शुरुआत होती है। अभी पूरी दुनिया में इंसानों की नाश का सबब बने कोरोना वायरस से त्राहिमाम् है। बचने के तमाम उपक्रम हो रहे हैं। भारत में लॉकडाउन है। घरों में कैद रहने की मजबूरी के बीच लोगों का बस एक ही सवाल- घर में करें तो कैसे ? ऐसे में शनिवार की सुबह इतिहास में दर्ज होने वाली सुबह बनकर आई। जैसे ही नौ बजे , हर घर मंगल भवन अमंगल हारी.. की आवाज से गूंज उठा। सड़कों, गली-मुहल्लों में सन्नाटा और तकरीबन हर घर से निकलती यही आवाज। यह इतिहास को दुहरा रही आवाज थी।
तकरीबन 32 वर्ष पहले ऐसा ही नजारा हर जगह दिखता था। हर घर में, हर गांव व शहर की गलियों में और कहां -कहां, पूछे मत। तब टीवी चैनलों के बहुतायत विकल्पों का जमाना नहीं था और एकमात्र दूरदर्शन ही दृश्य- श्रव्य का माध्यम था। ट्रेनों के पहिए जनदबाव पर रोकने पड़ते थे। इसके बाद शुरू हुए बीआर चोपड़ा निर्मित धारावाहिक महाभारत ने भी लोकप्रियता के मामले में तकरीबन इसी बुलंदियों को छुआ। धार्मिक सीरियलों का दौर चल पड़ा। लेकिन समय के साथ सूचना क्रांति की रफ्तार तेज पड़ी और सबकुछ सामान्य होता चला गया।
आंंखों में दिखा दादा-दादी, पापा- मम्मी का अक्श
सोशल डिस्टेंसिंग के बाद फीजिकल डिस्टेंसिंग के तकाजे के बीच इस सुबह का इंतजार अगर दादा-दादी को था तो उतनी ही सास-बहू और फिर पोते-पोतियों को। बेटे और बहू के जेहन में तो कुछ यादें थीं, मगर पोते-पोतियों के जेहन में दादा-दादी से धारावाहिक राममायण और महाभारत से जुड़ी सुनी-सुनाई कहानियां। ऐसा नहीं कि पोते -पोतियां यदा-कदा अगल-अलग चैनलों पर विभिन्न रूपों में रामायण और महाभारत से संबंधित प्रसारित धारावाहिकों से अनभिज्ञ थे, लेकिन दादा-दादी और पापा-मम्मी की आंखों में कोई 32 बरस पुराने धारावाहिक के पुनदर्शन के सबब बनी चमक उन्हें खुद में दादा-दादी और पापा-मम्मी का अश्क दिखा रहा था।
बी पाजीटिव, यह दिन भी गुजर जाएगा
झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के मुख्यालय जमशेदपुर के रामदेवबगान में रहते हैं रमेश कुमार सिंहद्य खुद टिनप्लेट कंपनी से रिटायर्ड हैं। साथ में पत्नी वीणा देवी रहती हैं। बेटे-बेटियों की शादी हो चुकी। बेटियां ससुराल में रहती हैं और बेटे-बहू अपने बच्चे संग शहर में बहुत दूर। इनके लिए धारावाहिक रामायण का प्रसारण इतना सकूनदायक है कि पूछिए मत। जब नौकरी में थे तब नियमित देख पाना संभव नहीं हो पात था। तब मन मसोसकर रह जाने की मजबूरी थी। बाद के दिनों में जब जिंदगी में थोड़ा इत्मीनान आया तो दूरर्शन का जमाना लद चुका था। दूसरे चैनलों पर टुकड़े में रामायण और फिर महाभारत सीरियल देखने का मौका तो मिला, लेकिन वह कोई 32 बरस कवल के दूरदर्शन पर दिखनेवाले रामायण और महाभारत को देखने जैसा सकूनदायक नहीं था। बकौल रमेश कुमार सिंह-कोरोना की वजह से आया संकट भी छंट जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा की है तो कुछ सेाच-समझकर की होगी। लेकिन लॉकडाउन के सबब दरपेश घरों में कैद रहनेकी मजबूरी के बीच दूरदर्शन पर रामायण सीरियल देखना मेरे उन अरमानों को पूरा कर गया जो कोई 32 बरस पहले अधूरा रह गया गया था। वह जोड़ते है- बी पॉजीटिव। यह दिन भी गुजर जाएगा।