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Jharkhand Lockdown: दिहाड़ी मजदूरों के लिए संंजीवनी से कम नहीं मुख्‍यमंत्री दाल-भात योजना Jamshedpur News

Jharkhand Lockdown. दिहाड़ी मजदूरी या सड़क पर काम करने वालों के लिए मुख्यमंत्री दाल-भात योजना केंद्र किसी संजीवनी से कम नहीं है। इन्हें पांच रुपये में भरपेट खाना परोसा जा रहा है।

By Edited By: Published: Sat, 28 Mar 2020 09:36 AM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2020 09:36 AM (IST)
Jharkhand Lockdown: दिहाड़ी मजदूरों के लिए संंजीवनी से कम नहीं मुख्‍यमंत्री दाल-भात योजना Jamshedpur News
Jharkhand Lockdown: दिहाड़ी मजदूरों के लिए संंजीवनी से कम नहीं मुख्‍यमंत्री दाल-भात योजना Jamshedpur News

जमशेदपुर, जासं। लॉकडाउन के बीच मुख्यमंत्री कैंटीन योजना रिक्शा, ठेलेवाले, फल वाले, सफाई कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आया। जब शहर के सभी होटल, ढाबे बंद है तब झारखंड सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री दाल-भात योजना से पांच रुपये में लोगों ने छककर तो खाया ही। शारीरिक दूरी बरकरार रखकर कोरोना वायरस से लड़ाई में अपना फर्ज भी निभाया।

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लॉकडाउन के कारण सब्जी से लेकर राशन तक महंगे हो गए है। कई लोग जो कालाबाजारी कर अपने जेब गर्म करने में लगे हुए हैं। ऐसे में दिहाड़ी मजदूरी या सड़क पर काम करने वालों के लिए मुख्यमंत्री दाल-भात योजना केंद्र किसी संजीवनी से कम नहीं है। इन्हें पांच रुपये में भरपेट खाना परोसा जा रहा है। कोरोना वायरस को देखते हुए जिला प्रशासन ने सभी केंद्र संचालकों को खाना थाली में देने के बजाए पैक कर देने का निर्देश दिया है। इसका सभी केंद्र के संचालकों ने भी शिद्दत से पालन किया। सभी को उनका खाना पैकेट में दिया गया ताकि वे कहीं एकांत में किसी पेड़ की छांव के नीचे अपनी भूख मिटा सके।

सोनारी में थी अच्छी व्यवस्था

सोनारी के झबरी बस्ती के पास भी दोपहर एक बजे मुख्यमंत्री की तस्वीर वाली एक गाड़ी आकर खड़ी हुई। पहले ये गाड़ी ऐरोड्राम के पास लगती थी जहां दस रुपये में पेट भर भोजन मिलता था। अपनी बस्ती में इस गाड़ी को देखकर स्थानीय लोगों के चेहरे खिल उठे। क्योंकि अब दस के बजाए पांच रुपये में उन्हें खाना मिलने वाला था। खाने के लिए सभी को फिजिकल डिस्टेंस का नियम अपनाने का आदेश देकर एक-एक मीटर में घेरे में खड़ा करवाया गया। सभी एक-एक कर आते और संचालक द्वारा बनाए गए पांच किलोग्राम के आचार के गुल्लकनुमा जार में पैसे डालते और आगे बढ़ते। गाड़ी के पास पहुंचने पर उन्हें सैनिटाइजर से हाथ साफ कराए जाते। फिर रजिस्टर में वे अपना नाम व पता लिखते। इसके बाद पैकेटनुमा खाना लेकर मुस्कुराते चेहरे के साथ अपनी घर की ओर चल पड़ते। शुक्रवार को यहां दाल-भात के बजाए खिचड़ी और आचार की व्यवस्था थी। संचालक का कहना है कि पैसे हैं तो दीजिए नहीं तो ऐसे ही खाना खा सकते है। झारखंड सरकार को धन्यवाद ऐसी व्यवस्था के लिए जहां महंगाई में भी पांच रुपये में भरपेट खाना मिल रहा है।

एमजीएम केंद्र में दिखी भीड़

दो दिन की बंदी के बाद एमजीएम स्थित मुख्यमंत्री कैंटीन शुक्रवार को खुली तो आसपास के दुकानदार, रिक्शा चालक, अस्पताल के अटेंडरों की भीड़ लग गई। शुक्रवार को यहां दाल भात के साथ चने की सब्जी थी। लोगों ने यहां पैकेट का खाना लेकर छायादार जगह देखकर अपने लिए जगह बनाई और खाना खाकर तृप्त हुए।

रॉबिन हूड ने बांटे 200 पैकेट खाना

रॉबिन हूड जमशेदपुर एक संस्था है जो शुक्रवार दोपहर घूम-घूमकर गरीब रिक्शा चालक, ठेले वाले, सड़क पर दुकान लगाने वालों के बीच गए और उन्हें दोपहर का भोजन कराया। संस्था के सदस्य हर¨मदर ¨सह ने बताया कि उनकी ओर से 200 लोगों को खाना खिलाया गया। वे ये सारा खाना एमजीएम अस्पताल में संचालित मुख्यमंत्री कैंटीन से पांच रुपये में खरीदकर लाए हैं। इसमें संदीप तापड़िया, मोहित अग्रवाल, राजू, परमजीत ¨सह काले ने अपना योगदान दिया है।


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