जैविक खाद का उपयोग कर बालकनी को ही बना दिया ग्रीन गार्डेन
मानगो स्थित वाटिगा ग्रीन सिटी निवासी इशिता अग्रवाल ने बालकनी में ही ग्रीन गार्डेन विकसित कर लिया है। इसके लिए उन्होंने जैविक खाद का इस्तेमाल किया।
जासं, जमशेदपुर : मानगो स्थित वाटिगा ग्रीन सिटी निवासी इशिता अग्रवाल ने बालकनी में ही ग्रीन गार्डेन विकसित कर लिया है। इसके लिए उन्होंने जैविक खाद का इस्तेमाल किया।
इशिता बेंगलूर में माउंट कार्मेल कॉलेज से पढ़ाई कर शहर लौटी हैं। कहती हैं कि उन्हें ऐसा करने की प्रेरणा उनके एक परिचित से मिली, जो बड़े पैमाने पर जैविक खेती के माध्यम से फल, फूल व सब्जी की खेती करते हैं। उन्हीं से उन्हें इन सबकी जानकारी मिली। एक दिन वह अपने उस परिचित के फार्म हाउस में गईं तो देखा कि उन्होंने बड़े पैमाने पर सब्जियां, फल, फूल उगाए हैं। देखकर पूछा तो बताया गया कि यह पूरी तरह आर्गेनिक खेती है। जिसमें रसायनिक खाद का प्रयोग किया ही नहीं गया है। इसका प्रयोग करने से लोग विभिन्न प्रकार की बीमारी से तो दूर रहते ही हैं, खाने में स्वाद भी अलग ही लगता है।
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परिचित ने बदल दिया मेरी सोच
इशिता कहती हैं कि उसी परिचित ने उन्हें यह सोच दी कि वे घर के बालकोनी में किचन गार्डेन तैयार कर सकती हैं। उसी ने उन्हें जैविक खाद दिए और पौधे भी दिए। इशिता कहती हैं कि उन्होंने मेहनत की, इसके बाद जैविक खाद व पौधे को गमले में तैयार किया। वह बीते एक साल से मेहनत कर पूरे बालकनी में गमले में ही टमाटर, धनिया पत्ती, चेरी, बैगन, पालक, भिंडी उगाने लगीं। आज वह उसी सब्जी को खाती हैं।
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सब्जी को स्वादिष्ट बनाता है जैविक खाद
इशिता कहती हैं कि अपनी बगिया में सब्जी के उत्पादन में वह केवल जैविक खाद का ही प्रयोग करती हैं। जैविक खाद के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। पैदावार अधिक होती है। पौधे में लगे फसल जल्द नष्ट नहीं होते। जैविक खाद से उपजे सब्जी खाने में स्वादिष्ट व पौष्टिक से भरा रहता है।
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भविष्य में बड़े पैमाने पर खेती करने की इच्छा
इशिता कहती हैं कि आज के समय में वह कई ऐसे लोगों व दोस्तों को जानती हैं, जो पढ़ लिखकर खेती की काम में जुट गए हैं। उनकी इच्छा है कि यदि मौका मिला तो वह बड़े पैमाने पर खेत में सब्जियां उगाएंगी ताकि आम जनता को पौष्टिक व स्वादिष्ट सब्जी मिल सके।