उर्वरा शक्ति को बचाए रखने के लिए जैविक खेती को प्रोत्साहित करना जरूरी
वर्तमान में अधिक उपज के लिए किसान तरह-तरह की रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। एक आंकड़े के मुताबिक 80 फीसद किसान इसका उपयोग करते हैं।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। वर्तमान में अधिक उपज के लिए किसान तरह-तरह की रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। एक आंकड़े के मुताबिक 80 फीसद किसान इसका उपयोग करते हैं। इससे उपज तो बढ़ी है, लेकिन इसका दुष्प्रभाव पर्यावरण के साथ मानव व पशु-पक्षियों पर पड़ रहा है।
मिट्टी की गुणवत्ता में लगातार हो रही कमी भविष्य के लिए खतरा है। मिट्टी का अपना जीवन है, उसमें असंख्य सूक्ष्म जीवाणु हैं, जल ग्रहण करने और वायु के संचार की व्यवस्था है, अनेक तरह के पोषक तत्व पेड़-पौधों को संतुलित रूप में देने की क्षमता है। कृषि विशेषज्ञ श्रीमंत मिश्रा बताते हैं कि रासायनिक खाद के असंतुलित व लगातार प्रयोग से मिट्टी में इनके विषाक्त अवशेष बढ़ने लगते हैं, जिसके कारण मिट्टी में प्राकृतिक रूप से मौजूद लाभदायक जीव-जंतु, फफूंद व जीवाणुओं की संख्या घटने लगती हैं।
इसके फलस्वरूप मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। मिट्टी को हवादार बनाए रखने वाले जीव जैसे केंचुए आदि कम होने लगते हैं। जिसके कारण वायु व जल की अवशोषण क्षमता भी कम हो जाती है और फसलों की जड़े उथली हो जाती हैं।
जैविक खेती के लिए सरकार कर रही प्रोत्साहित
जमीन की उर्वरा शक्ति को बरकरार रखने और मानव के साथ पशु-पक्षियों को बचाए रखने के लिए जैविक कृषि को बढ़ावा देना होगा। वैसे सरकार किसानों को जैविक कृषि के लिए प्रोत्साहित कर रही है। किसानों को जैविक खेती के फायदे बताए जा रहे हैं और जैविक खाद तैयार करने व उसके उपयोग के लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मिट्टी की गुणवत्ता जांचने के लिए उन्हें हुनरमंद बनाया जा रहा है।
जैविक खाद के फायदे
जैविक खाद के प्रयोग से लंबे समय तक फसल को पोषक तत्व मिलता है। यह खाद अपना अवशिष्ट गुण मिट्टी में छोड़ती हैं, जिससे दूसरी फसल को भी लाभ मिलता है। इससे मिट्टी की उर्वरता का संतुलन ठीक रहता है। जैविक खादें सड़ने पर कार्बनिक अम्ल देती हैं जो भूमि के अघुलनशील तत्वों को घुलनशील अवस्था में परिवर्तित कर देती हैं, जिससे मिट्टी का पीएच मान सात से कम हो जाता है। अत: इससे सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ जाती है। यह तत्व फसल उत्पादन में आवश्यक है।
- जैविक खाद के प्रयोग से मिट्टी का जैविक स्तर बढ़ता है, जिससे लाभकारी जीवाणुओं की संख्या बढ़ जाती है और मिट्टी उपजाऊ बनी रहती है।
- जैविक खाद पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक खनिज पदार्थ प्रदान कराते हैं, जो मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवों द्वारा पौधों को मिलते हैं। जिससे पौधे स्वस्थ बनते हैं और उत्पादन बढ़ता है।
- फसल वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और काफी मात्रा में गौण पोषक तत्वों की पूर्ति जैविक खादों के प्रयोग से ही हो जाती है।
- जैविक खाद भूमि को लंबे समय तक नम रखती है। जिसके कारण खेती के दौरान सिंचाई की कम जरूरत होती है।
- जैविक खेती से प्रदूषण कम होता है। जैविक खाद व कीटनाशक के इस्तेमाल से वातावरण में किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं फैलता है, बल्कि वातावरण शुद्ध होता है।
- जैविक खाद से उपजाई गई फसल में अधिक पोषक तत्व होते हैं, जिसमें सूक्ष्म पोषक तत्वों की प्रधानता होती है। - मिट्टी में वायु का संचार अच्छा होता है जिससे पौधों की जड़ों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलता है।
अधिक पैदावार के लिए रासायनिक खाद व कीटनाशक का सीमित उपयोग किया जा सकता है। बेतहाशा इस्तेमाल के कारण इसका दुष्प्रभाव पर्यावरण पर पड़ रहा है। इससे मानव के साथ पशु-पक्षियों को भी नुकसान पहुंच रहा है। मिट्टी की दशा भी बदल रही है। फल और सब्जी उत्पादन बढ़ाने के लिए इन रसायनों का अधिक इस्तेमाल होता है। छिड़काव के बाद निर्धारित समय के पूर्व फल और सब्जी तोड़े जाने के कारण उसे खाने वालों पर रसायनों का प्रभाव पड़ता है। इन खादों के प्रयोग से आंख, पेट व बालों से संबंधित बीमारी के साथ कैंसर होने का खतरा रहता है। एक प्रकार से रासायनिक खाद व कीटनाशक धीमा जहर का काम करता है। - डॉ. अरविंद कुमार मिश्रा, प्रभारी प्रधान वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, सरायकेला-खरसावा