Weekly News Roundup Jamshedpur: पिंक पेट्रोलिंग की सुस्ती...
मनचलों पर लगाम के िलिए शुरू की गई पिंक पेट्रोलिंग का असर नजर नहीं आ रहा है। एक थाना ऐसा है जहां बोहनी के बिना काम शुरू नहीं होता।
जमशेदपुर [अन्वेष अंबष्ठ]। शहर के पुलिस महकमे की कार्यशैली भी खूब है। मनचलों पर लगाम के लिए पिंक पेट्रोलिंग की शुरुआत तो काफी तामझाम से हुई लेकिन शायद ही कभी सुनने को मिले कि लड़कियों व महिलाओं की सुरक्षा के लिए इस वाहन सवार पुलिसवालों ने कोई बड़ा कारनामा कर दिखाया हो। वहीं एक थाना ऐसा है जहां लेनदेन का हाल यह है कि बिना बोहनी के काम शुरू नहीं होता। एक थाना प्रभारी ने सरस्वती पूजा में लाठियां क्या चटका दीं, नए-नवेले जनप्रतिनिधि के कोपभाजन बन गए।
पिंक पेट्रोलिंग की सुस्ती..
शहर में शोहदों से निपटने को यूं तो कहने को शक्ति एप है। एंटी रोमियो दल है। पिंक पेट्रोलिंग भी है पर, जमीन पर इसका असर नजर नहीं आता। हां, पिंक पेट्रोलिंग वाहन बिष्टुपुर महिला विद्यालय और कभी-कभार जुबिली पार्क में जरूर दिखते हैं। छेड़खानी जैसी घटनाएं पहले की तरह बदस्तूर जारी हैं। स्कूल-कॉलेजों, कोचिंग सेंटर और मॉल के पास शोहदे बाइक और बुलेट से पटाखे फोड़ने जैसी आवाज निकाल कर लड़कियों के आगे-पीछे मंडराते हैं। कमेंट पास करते और फब्तियां कसते हैं। सुबह हो या शाम, अश्लील हरकत के डर से बेटियां बेखौफ घर से बाहर नहीं निकलतीं। जुबिली पार्क, बस स्टैंड व उन स्थानों पर जहां लड़कियों और महिलाओं की भीड़ लगी होती है, वहां मनचलों की मटरगश्ती देख सकते हैं। इन पर पुलिस नकेल कस पाने में नाकाम है। जमशेदपुर शहर की युवतियां परेशान हैं। वह कहती हैं कि पिंक पेट्रोलिंग वाहन के कोई मायने नहीं हैं।
यहां मुहर से होती बोहनी
यहां थाने में ऊपरी कमाई को एक तरह से सामाजिक स्वीकृति मिल चुकी है। ऐसा इसलिए कि थाने में कर्मचारी अपने काम की शुरुआत बोहनी से करते हैं, जो मुहर मारने की एवज में नसीब होती है। किसी का मोबाइल खो गया या अन्य कागजात। कंपनी गेट पास के लिए चरित्र प्रमाण पत्र लेना हो या लाइसेंस। थाने की मुहर जरूरी है। हर काम के लिए पेशगी है। मंहगाई के इस दौर में अमूमन 100 रुपये से शुरुआत होती है। आगे जो ऊपर वाला किस्मत से दिला दे। किसी भी थाने में चले जाइए, मुहर की एवज में कुछ न कुछ अर्पित करना पड़ता है। हां, भीड़ भरे इलाके वाले थानों में आमद ज्यादा होती है। दूर-दराज के थानों में आमदनी कम है। लेकिन, हर थाने में चढ़ावा आता है। मुंशी की तो हिस्सेदारी रहती ही है। कमाई का थोड़ा हिस्सा थाना के दैनिक खर्चे में भी इस्तेमाल होता है।
रास नहीं आ रही थानेदारी
कहानी है सब इंस्पेक्टर भूषण सिंह की। साहब गोल-गोल घूम रहे हैं। या तो इन्हें थानेदारी रास नहीं आ रही या मामला कुछ और है। ये कुछ महीने में दो थानों से लाइन क्लोज कर दिए गए। बिरसानगर में थाना प्रभारी थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के विधायक प्रतिनिधि पवन अग्रवाल से पंगा हो गया। हटाने की मांग पर भाजपा कार्यकर्ता अड़ गए। जनाब लाइन क्लोज कर दिए गए। विधानसभा चुनाव के पहले सुंदरनगर थाने की कमान मिली। चुनाव तो शांतिपूर्वक संपन्न हो गया लेकिन, सरस्वती पूजा में युवकों पर लाठियां चटका दीं। शिकायत विधायक तक पहुंची। जमशेदपुर प्रखंड दफ्तर में विकास कार्यो की समीक्षा बैठक थी। परिचय सुनते ही झामुमो के विधायक संजीव सरदार ने थानेदार को लाठी-डंडे नहीं बरसाने की सख्त चेतावनी दे डाली। इतना ही नहीं, सारंडा चले जाने की सलाह दे डाली। बेचारे नप भी गए। एसोसिएशन में बात पहुंचाई पर, किसी ने साथ नहीं दिया।
.. तो ये हुई न बात
बड़े साहब का आदेश मिला कि हर हाल में अपराधियों को पकड़ना है। पहले समझा कि लो आ गई आफत। जब कप्तान साहब ने कहा, अपराधियों से पहले तुम्हे मुंबई पहुंचना है तो ठंड में भी पसीना आ गया। जब पता चला कि हवाई जहाज से जाना है तो मन में लड्डू फूटने लगे। कारण, कभी मौका नहीं मिला था। अचानक सुनहरा अवसर हाथ लग गया। सब-इंस्पेक्टर चंद्रशेखर ने फौरन कहा- साहब! दबोच कर लाते हैं। आनन-फानन में रांची से हवाई जहाज पर सवार होकर चल दिए मुंबई। चंद्रशेखर कहने से संकोच नहीं करते कि काम बनता है तो चारों तरफ से। एक तो हवाई जहाज पर बैठने को मिला, दूसरी ओर उलीडीह में हुई सुमन रक्षित की हत्या में आरोपित रिशू श्रीवास्तव व राहुल पकड़े भी गए। यहां लौटने पर एसएसपी अनूप बिरथरे से शाबाशी मिली। इनाम के तौर पर उलीडीह ओपी से बड़े बहरागोड़ा की थानेदारी मिल गई।