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मरने से पहले होना होगा छोटा, तभी शव पहुंच पाएगा घाट, ये है खास वजह

मरने से पहले होना होगा छोटा तभी शव पहुंच पाएगा घाट। सुनने में भले अजीब लगे पर है सच। दरअसल एमजीएमअस्पताल में जंग खा रहे शव वाहन की लंबाई भी कम है।

By Edited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 11:10 PM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2020 03:50 PM (IST)
मरने से पहले होना होगा छोटा, तभी शव पहुंच पाएगा घाट, ये है खास वजह
मरने से पहले होना होगा छोटा, तभी शव पहुंच पाएगा घाट, ये है खास वजह

जमशेदपुर, जासं। Omni van was purchased to carry a dead body In mgm Hospital Jamshedpur महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जंग खा रहे शव वाहन की लंबाई भी कम है। इस, वजह से इंडियन रेडक्रास सोसाइटी ने उसे संचालित करने से मना कर दिया है।

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शव ढोने वाले वाहन में चालक के लिए अलग से केबिन की सुविधा होती है। साथ ही उसके पिछले हिस्से की लंबाई 7.5 फीट होनी चाहिए। लेकिन, सरकार द्वारा नौ माह पूर्व एमजीएम अस्पताल को उपलब्ध कराए गए तीन शव वाहनों की लंबाई करीब 5.4 फीट है। यानी की 2.1 फीट कम। ऐसे में सवाल उठता है कि 5.4 फीट से अधिक लंबाई वाले शवों को इस वाहन में नहीं ले जाया जाएगा? अगर ले भी जाया जाए तो उसे भला कैसे रखा जाएगा। यह सोचने वाली बात है। खरीदारी करते समय क्या इस बिंदुओं पर ध्यान नहीं दिया गया? वहीं, शव वाहन में रखे गए स्ट्रेचर में पकड़ने की सुविधा नहीं है। इस तरह के तमाम सवाल सिस्टम को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। आलम यह है कि तीनों शव वाहन नौ माह से जंग खा रहे हैं। अब आशंका जताई जा रही है कि शव वाहन में तार को चूहों ने कुतर भी दिया होगा। आशंका इसलिए कि सदर अस्पताल में ऐसी घटना हो चुकी है।

एमजीएम में हर माह करीब 180 लोगों की मौत

एमजीएम अस्पताल का आंकड़ा देखा जाए तो यहां हर माह करीब 150-180 लोगों की मौत होती है। लेकिन, अधिकतर को शव वाहन नसीब नहीं होते। जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी होती वह निजी वाहन से शव को ले जाते हैं। जिनके पास पैसा नहीं होता, शव को जैसे-तैसे लेकर जाते हैं। कई बार तो रिक्शा या ऑटो पर लादकर ले जाते हैं।

मनमानी कीमत वसूलते हैं निजी वाहन चालक

एमजीएम में सरकारी शव वाहन नहीं होने से निजी शव वाहनों की चांदी है। वह लोगों से मनमानी राशि वसूल रहे हैं। विभाग की इस पर नजर कभी नहीं जाती। सोमवार को एमजीएम से एक शव ले जाना था। एक निजी शव वाहन को बुलाया गया। पहले उसने पटमदा जाने के लिए तीन हजार रुपये किराया मांगा। जब स्वजन ऑटो से ले जाने की बात करने लगे तो 1400 रुपये में तैयार हो गया। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह लूट मची है।

ये कहते रेडक्रास महासचि‍व

कायदे से शव वाहन की लंबाई 7.5 फीट होनी चाहिए। एमजीएम अस्पताल में खड़े शव वाहन की लंबाई कम है। उसमें 5.4 फीट से ज्यादा वाले शव को नहीं ले जाया जा सकता है।

- विजय सिंह, महासचिव, रेडक्रास सोसाइटी। 


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