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जनता कोई गुलाम नहीं, हमें एसी में बैठने और कम पढ़े-लिखे नेता मंजूर नहीं

बुधवार का दिन। दोपहर के 12 बज रहे हैं। जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा के मानगो गोलचक्कर के पास टेंपो चालकों की भीड़ देख दैनिक जागरण की टीम भी वहां रुक गई। पता चला कि यहां चुनावी रंग परवान चढ़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 05:11 AM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 06:19 AM (IST)
जनता कोई गुलाम नहीं, हमें एसी में बैठने और कम पढ़े-लिखे नेता मंजूर नहीं
जनता कोई गुलाम नहीं, हमें एसी में बैठने और कम पढ़े-लिखे नेता मंजूर नहीं

अमित तिवारी, जमशेदपुर : बुधवार का दिन। दोपहर के 12 बज रहे हैं। जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा के मानगो गोलचक्कर के पास टेंपो चालकों की भीड़ देख दैनिक जागरण की टीम भी वहां रुक गई। पता चला कि यहां चुनावी रंग परवान चढ़ रहा है। सबकी जुबान पर विधासभा चुनाव की चर्चा है। फिर क्या था शुरू हो गई चुनावी चौपाल।

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यहां मौजूद सभी आठ टेंपो चालक ओल्ड पुरुलिया रोड के निवासी हैं। वहीं तीन डिमना रोड के शंकोसाई, डिमना बस्ती व खड़िया बस्ती के रहने वाले हैं। ओल्ड पुरुलिया रोड के संजय माणिक ने कहा कि हमलोग की परेशानी कोई समझने वाला नहीं है। सिर्फ कानून बना देने से नहीं होता। जनहित का भी ध्यान रखना चाहिए। बात आगे बढ़ाते हुए मुन्ना खान कहने लगे कि अभी हाल में टेंपो चालकों के खिलाफ जोरशोर से अभियान चलाया गया। नतीजा क्या हुआ? कुछ नहीं, सिर्फ कुछ दिनों तक गाड़ियां घरों में खड़ी रहीं और समस्याएं जस की तस हैं। उसपर कोई चर्चा ही नहीं करना चाहता। सिर्फ कानून का डंडा चला देने से नहीं होता, उसे समझने वाला नेता होना चाहिए। जिस कागजात की जांच हो रही थी, उसे बनाने की प्रकिया इतनी जटिल है कि अभी भी अधिकतर लोग कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। आलम खान कहने लगे कि कई दिनों तक टेंपो घर में ही खड़ा होने से रोजी-रोटी पर आफत बन आई थी। मो. अनवर कहते हैं कि पहले सिस्टम को दुरुस्त करने की जरूरत है, न कि जनता पर चाबुक चलाया जाए। सभी सरकारी निर्णय को कोसते नजर आए। तभी शंकोसाई के सुधीर महतो ने कहा कि सरकार की सोच अच्छी है। उसे लागू कराने का तरीका गलत है। एसी में बैठे नेता, अधिकारी-पदाधिकारी को जमीन पर आकर समस्याएं सुनने की जरूरत है, न कि वहीं से नियम-कानून बनाने की।

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गांधी घाट, साकची : एक किलोमीटर आगे जाने पर साकची गांधी घाट पर बुजुर्गो का समूह चुनावी गपशप में मशगूल मिला। मानगो पोस्ट ऑफिस रोड के शिवपूजन सिंह कहने लगे कि जनता पर प्रत्याशी थोपा नहीं जा सकता। जो लोग, जमीन से जुड़े होते हैं, सुख-दुख में खड़ा होते हैं, पढ़े-लिखे और जिनकी छवि अच्छी होती है, पार्टी उन नेताओं का टिकट काटकर क्या संदेश देना चाहती है? जनता गुलाम नहीं होती। उनका अगर भ्रम है कि किसी को भी खड़ा कर देने से जनता वोट दे देगी तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। जनता सोचती है, समझती है, उसके बाद ही अपना कीमती वोट देती है। समर्थन करते हुए टेल्को के यमुना तिवारी कहने लगे कि राजनीति का स्तर इतना गिर गया है कि अच्छे नेताओं को हटाकर घोटालेबाजों को भी प्रत्याशी बना दिया जा रहा है। गोलमुरी निवासी यश शर्मा कहने लगे कि राज्य के मुखिया के मन में क्या चल रहा है, जनता सबकुछ समझ चुकी है। सरयू राय पढ़े-लिखे विद्वान नेता हैं, उन्हें राजनीति से बाहर करना ठीक नहीं। बोलते-बोलते आक्रोशित भी हो गए। कहने लगे कि आज उन्हें बाहरी कहा जाता है, जबकि वह झारखंड गठन के पूर्व से रह रहे हैं। वह बाहरी कैसे हुए? धतकीडीह के मसूद खान ने कहा कि सिर्फ वादा करने से नहीं होता, निभाने वाला भी चाहिए। हरियाणा में बुजुर्गो को तीन हजार रुपये पेंशन मिलता है, लेकिन यहां जो लागू है वह भी नहीं मिल रहा।

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सोनारी : इसके बाद दैनिक जागरण की टीम सोनारी पहुंची। चुनावी चर्चा शुरू होते ही कमल सिंह कहने लगे कि पार्टी अच्छी है तो प्रत्याशी नहीं, और प्रत्याशी अच्छा है तो पार्टी नहीं। उनका इशारा भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशियों की ओर था। कमल कहते हैं कि भाजपा ने जिसे प्रत्याशी बनाया है उनके बारे में कोई जानता ही नहीं। उन्होंने कभी जनता की लड़ाई नहीं लड़ी। वहीं कांग्रेस ने जिसे प्रत्याशी घोषित किया है वह लड़ाई तो लड़े, पर उनकी पार्टी ही पसंद नहीं। कहने लगे हमें एसी में बैठने और कम पढ़े-लिखे नेता मंजूर नहीं। हरेंद्र कुमार जोशी के मन में भी इसी तरह का सवाल मचल रहे थे। उन्हें इसबार कोई प्रत्याशी पसंद नहीं है। कहते हैं कि जो योग्य थे, जिन्हें वह पसंद करते थे, उनका टिकट ही कट गया। वहीं दिलीप घनघोर कहते हैं कि सरकार सिर्फ हाथी उड़ा रही है। सोनारी में दर्जनों युवक डिग्री लेकर ठेला लगाने को मजबूर हैं। उनको रोजगार दिलाने पर कभी कोई चर्चा नहीं हुई। भुनेश्वर सिंह कहते हैं कि स्कूलों की फीस आसमान छू रही है, लेकिन उस पर कोई बोलने को तैयार नहीं है। सरकारी स्कूलों की स्थिति इतनी खराब है कि वहां कोई अभिभावक अपने बच्चा को पढ़ना नहीं चाहता। ऐसे में वह क्या वोट करेंगे। चुनाव जीतने के बाद जनता का मुद्दा कोई नहीं उठाता।

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बिष्टुपुर : इसके बाद दैनिक जागरण की टीम कदमा व बिष्टुपुर का रुख करती है। कदमा में एक राशन दुकान के बाहर सुरेंद्र सिंह, घनश्याम यादव व रामजनक पाठक मिल गए। सुरेंद्र सिंह बोले कि इसबार चुनाव में दम नहीं रह गया। प्रत्याशी योग्य नहीं होने से मतदाताओं की दिलचस्पी घट गई है। लड़ाई पूर्वी जमशेदपुर विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिलेगी। वहां एक ईमानदार नेता मैदान में ताल ठोक रहा है। उनका समर्थन करना चाहिए। बिष्टुपुर के गौतम भारती कहते हैं कि जनता के साथ खड़ा होने वाला नेता चाहिए न कि जीतने के बाद एसी में बैठने वाला।


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